17 सितंबर 1950 को गुजरात में जन्में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज जन्मदिन है. 26 मई 2014 में इंडिया के पीएम की पोस्ट संभालने वाले नरेंद्र मोदी आज 68 साल के हो गए हैं.
सक्रिय राजनीति में 40 साल से ज्यादा गुजार देने वाले पीएम मोदी के राजनीतिक करियर और पोर्टफोलियो में 4 साल बतौर पीएम के कार्यकाल के भी जुड़ गए हैं.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो भारतीय राजनीति में मोदी सर्वाधिक विवादित राजनेता तो रहे हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा वे लोकप्रिय पीएम रहे हैं.
विरोध के बीच लोकप्रिय होते मोदी
विवाद और विरोध के बीच मोदी का कद लगातार ऊंचा हुआ है. सरकार के नीतिगत फैसलों, योजनाओं और जनप्रिय बन चुके स्वच्छता, उज्वला जैसी आंदोलनकारी योजनाओं को लेकर भले ही पीएम मोदी के कामकाज का मूल्यांकन भविष्य की बात हो और उस पर मिल रही लोकप्रियता संदेह के घेरे में हो, लेकिन व्यक्तित्व के रूप में वे तेजी से जनप्रिय हुए हैं.
बातचीत का स्तर, जनता से जुड़ाव, रेडियो पर मन की बात, शानदार वक्तृत्व कला, जनता से सीधे मिलना, योग से जुड़ाव, लाइफ स्टाइल, लगातार सोशल मीडिया के जरिये एक वर्ग से कनेक्ट रहने का तरीका उन्हें व्यक्ति के रूप में नेहरु के बाद सभी प्रधानमंत्रियों से अलग बनाता है. लोकप्रिय व जनप्रिय बनाता है.
क्या मोदी की लोकप्रियता कम हुई है?
तमाम मीडिया एजेंसियों, चैनल, मैग्जिन से लेकर रेटिंग एंजेसियां सरकार के मुखिया के तौर पर मोदी की लोकप्रियता के ग्राफ को आज भी वैसा ही मानती हैंं, जैसा दो साल पहले मानती रहींं. लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सरकार के नोटबंदी जैसे कुछ बड़े प्रभावी राजनीतिक फैसलों, भीड़ की हिंसक घटनाओं और बदलती सियासी तस्वीर का असर सरकार के साथ पीएम मोदी के प्रभावी व्यक्तित्व पर पड़ा है.
महंगाई, प्रशासनिक लापरवाही, बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं ने उनके सबका साथ सबका विकास की छवि को नुकसान पहुंचाया है. एक बड़ा तबका जो सोचने समझने और विवेकवान वाला है और समाज में शांति का पैरोकार रहा है, वह विशेष रूप से हिंसा की घटनाओं से उनसे छिटका है और आहत हुआ है.
बीजेपी के चुनाव जिताने वाले ब्रैंड
सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर विवाद, विरोध और लोकप्रियता के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे की शख्सियत का लाभ उनकी अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को जरूर मिला है. वे आज भी पूरी पार्टी और देश में विपक्ष का पसीना छुड़ा देने वाले नेता हैंं. उनकी वाणी से लगातार झरता चुनाव जिताने का मंत्र उनकी पार्टी की सबसे बड़ी शक्ति है.
वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी के गुजरात से ही मित्र रहे और उनके सर्वाधिक करीब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कुशल प्रबंधन ने पीएम की इलेक्शन विनिंग पावर को नई दिशा दी है. वे पार्टी के लिए सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे हैं.
क्या मोदी को 2109 में जनता देगी मौका?
लोकतंत्र में हर नेता की असली परीक्षा जनता के बीच चुनावों में होती है. 2019 के आम चुनाव मोदी सरकार के बीते चार साल के कामकाज की पड़ताल करेंगे. जनता के बीच मोदी फिर से होंगे और काम-काज के आधार पर ही वोट मांगेगे.
वैसे भी वे खुद ही अपनी रैलियों में कहते आए हैं कि वे उनके काम का लेखा-जोखा जनता लेगी. और यकीनन ऐसा होता भी है. काम के बूते ही दिल्ली में सरकारें बदलती रही हैं. फिर चाहें मुखिया इंदिरा गांधी रही हों या अटल बिहारी वाजेपयी. लोकप्रियता उतने ही काम आती है जितनी सच हो.
2019 में फिर पीएम बनेंगें मोदी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए आने वाले 10 महीने जनता के बीच परीक्षा के हैं. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गुजरात जैसी कांटे की टक्कर तो नहीं मिलेगी लेकिन तीनों राज्यों में उनकी साख भी दांव पर होगी. उसके बाद असली परीक्षा 2019 में होगी.
इस बात में कोई दो राय नहीं कि मोदी की तुलना में विपक्षी की लामबंदी कितनी ही हो जाए भारतीय राजनीति में चुनाव पार्टी से ज्यादा नेताओं और उनकी जनता के बीच लोकप्रियता व सर्वसम्मति से जीते जाते हैं, ऐसे में विपक्ष के पास मौजूद कमजोर चेहरे के सामने मोदी का व्यक्तित्व विशाल आर कद लगातार ऊंचा हुआ है.
लेकिन बढ़ती सांप्रदायिकता, स्त्रियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ बढ़ती हिंसा की घटनाएं, महंगाई, बेरोजगारी के बीच बढ़ती आर्थिक विषमताएं जैसी अनगिनत समस्याएं उनके लिए चुनौती है.
बहरहाल, राजनीतिक समीकरणों, मूल्यांकन और समीक्षाओं के बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं. Indiareviews.com पीएम मोदी के दीर्घायु होने की मंगलकामनाएं करता है.