कवि और सुपरिचित फिल्मकार गौहर रज़ा की सद्य प्रकाशित नज़्म पुस्तक ‘खामोशी’ का लोकार्पण इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुआ. पुस्तक के प्रकाशक राजपाल एंड संज द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि देश की जानी-मानी अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने इस पुस्तक का लोकार्पण किया. इस अवसर पर हिंदी की प्रसिद्ध कवि अनामिका और प्रसिद्ध लेखक और कवि अशोक वाजपेयी जी ने पुस्तक के सम्बन्ध में चर्चा की.
अशोक वाजपेयी ने कहा कि कविता एक तरह की ज़िद है उम्मीद के लिए और हमें कृतज्ञ होना चाहिए की ऐसी कविता हमारे बीच और साथ में है. उन्होंने कहा कि कविता और राजनीति की कुंडली नहीं मिलती, लेकिन गौहर रज़ा अपनी कविता में जीवन के छोटे-बड़े सभी पहलुओं को जगह देते हैं. अनामिका जी ने गौहर रज़ा की शायरी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि गौहर रज़ा की कविताएं दिल और सोच को छूने वाली है. सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में होने वाली घटनाओं पर भी उनकी कड़ी नज़र है.
शर्मीला टैगोर ने पुस्तक का विमोचन करते वक़्त कहा की गौहर बेबाकी के साथ और बिना डरे नज़्में लिखते हैं और अपना सख़्त से सख़्त प्रोटेस्ट भी हमेशा खूबसूरत ज़बान में लिखते हैं. उन्होंने कहा की गौहर की नज़्में हमारे उस ख़्वाब का हिस्सा हैं, जो हमने आज़ादी के वक़्त देखा था. एक ऐसा समाज बनाए का ख़्वाब जहां ख्यालों की विविधता – हो, जहां बोलने की आज़ादी हो जहां अपनी तरह से जीने का अधिकार हो. ऐसे वक़्त में जब उम्मीद का दामन तंग लगने लगे तब गौहर की नज्में हम सब की आवाज़ बन कर हमेशा सामने आईं हैं. शायर गौहर रज़ा ने समारोह में अपनी पुस्तक से कुछ चुनिंदा ग़ज़लें और नज़्में सुनाई जिन्हें श्रोताओं ने खूब पसंद किया.
शनिवार सायं 6 बजे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कमला देवी चटोपाध्याय कॉम्प्लेक्स में होने वाले इस आयोजन में हिंदी और उर्दू के लेखक, दिल्ली के जाने माने कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बहुत सारे नव युवकों ने भी भाग लिया. आयोजन में आलोचक अपूर्वानंद, कथाकार प्रियदर्शन, पत्रकार कुलदीप कुमार, कथाकार प्रेमपाल शर्मा, क़व्वाल ध्रुव संगारी, सामाजिक कार्यकर्त्ता शबनम हाशमी, हिन्दू कॉलेज की डॉ.रचना सिंह सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी, अध्यापक और लेखक उपस्थित थे.
राजपाल एंड संस की मीरा जौहरी ने बताया कि देश के सबसे पुराने पुस्तक प्रतिष्ठान से उर्दू शायरी की सैंकड़ों लोकप्रिय कृतियां प्रकाशित हुई हैं और गौहर रज़ा की नई कृति भी उसी समृद्ध परम्परा को आगे बढ़ाने वाली सिद्ध होगी. इस प्रकाशन से हिंदी की श्रेष्ठ पुस्तकों के प्रकाशन का क्रम बहुत पुराना है और 2017 में अनेक नई महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित होने के क्रम में है.
ख़ामोशी कविता संग्रह में गौहर रज़ा की 71 नज्मे हैं और यह 174 पन्ने हैं और इसकी कीमत 225 रुपए रखी गई है ताकि यह आम नागरिक तक पहुंच सके.