आज के समय मेंं भारतीय फिल्म इंडस्ट्री लोगोंं के मनोरंजन का वह अहम हिस्सा है, जिसके बिना एंटरटेनमेंट की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. फिल्मी दुनिया से बहुत से व्यक्तियों ने जहां नाम कमाया है तो वहीं करोड़ोंं लोगों का मनोरंजन भी किया है. हिन्दी सिनेमा ने हमेंं कई उम्दा सितारे दिये हैंं, जिनकी दुनिया दीवानी हैं. हिन्दी फिल्मेंं समाज और आम व्यक्ति के जीवन पर आधारित होती हैं.
100 सालों में कितना बदला हिंदी सिनेमा
तकरीबन 100 दशक से भी ज्यादा पुराना हिंदी सिनेमा पहले की तुलना मे काफी बदल गया है. बीते समय मे किसी ने भी कल्पना भी की होगी कि फिल्मी दुनिया इतनी तरक्की भी कर सकती है. देखा जाए तो आज के समय मे हिन्दी फिल्मेंं पूरी दुनिया में मशहूर हैंं.
50-60 के दौर मे अधिक सुविधाएंं न होने के बाद भी हिन्दी सिनेमा ने लोगोंं के दिलोंं पर छाप छोड़ी उसी दौर मेंं सिनेमा को अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, दिलीप कुमार, देव आनंद जैसी शख्सियतें मिलींं, जिन्होंंने भारतीय सिनेमा को देश ही नहीं विदेशोंं मेंं भी लोकप्रिय बनाया.
हिंदी सिनेमा के साथ फैला क्षेत्रिय सिनेमा भी
हिंदी सिनेमा यानी की बॉलीवुड के फैलतेे ही रिजनल सिनेमा भी ख्याति प्राप्त करने लगा. तमिल, बंगाली, तेलुगू, भोजपुरी, मराठी, मलयाली, गुजराती मेंं भी फिल्मों का निर्माण होने लगा. आज भारतीय फिल्म इंडस्ट्री मेंं तकरीबन सभी भाषाओं में फिल्में बनती हैंं, जो पहले सिर्फ एक कल्पना ही लगता था, लेकिन भारतीय सिनेमा ने लोगोंं की कल्पना को पर्दे पर उतार दिया.
फैल रहा है बॉलीवुड
हर दिन भारतीय फिल्म इंडस्ट्री मेंं तरक्की देखी जा रही है. लोग फिल्मों को अपने जीवन से जोड़कर देखते हैंं, जिसके फलस्वरूप फिल्मी दुनिया एवं फिल्मी सितारो की दुनिया दीवानी बनती जा रही है.
भारत मे हर साल करीब 1500-2000 फिल्में प्रोड्यूस होती हैंं जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्री बनाने के लिए काफी हैं. भारतीय सिनेमा की पहुंच पूरे विश्व में है.
हॉलीवुड और बॉलीवुड में अंतर
हॉलीवुड की फिल्में भले ही भारतीय फिल्मों की तुलना अधिक कमाई करती है, उनकी फिल्मों के सब्जेक्ट और भारतीय फिल्मों के सबजेक्ट मेंं भी जमीन आसमान का अंतर होता है.
हॉलीवुड की फिल्मेंं अपने बड़े-बड़े सेट के लिए काफी मशहूर हैं लेकिन फिल्म प्रोडक्शन की तुलना यदि भारतीय फिल्म प्रोडक्शन से की जाये तो आज भी वह हमसे बहुत पीछे हैंं. हालांकि इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में भी तेजी से बदलाव आए हैं. ग्राफिक्स, एनिमेशन और डिजिटल तकनीक ने हिंदी सिनेमा का चेहरा बदल दिया है.
भारतीय फिल्में आज भी भावना प्रधान हैं. प्रेम प्रसंगों, भावना, परिवार की दुनिया फिल्मों की दुनिया है. हालांकि बीते एक दशक में समाज के संघर्ष और यथार्थ को दिखाने में भारतीय सिनेमा ने पूरी दुनिया के बीच अपनी खास जगह बनाई है. फिल्मों की दुनिया में हॉलीवुड के बाद आज भी बॉलीवुड दूसरे नंबर पर है और यही इसकी सफलता है.