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फिर दुनिया में चमका इंडिया, ब्रिटेन को पटखनी देकर हासिल की ये नई उपलब्धि..!

India shows diplomatic power in world against Britain, justice bhandari elected to international court of justice. (Image Source: twitter, bjp.org and social media.)India shows diplomatic power in world against Britain, justice bhandari elected to international court of justice. (Image Source: twitter, bjp.org and social media.)
जस्टिस भंडारी को जनरल असेंबली के 183 और सिक्युरिटी काउंसिल के सभी 15 वोट मिले. (फोटो : mea.gov.in).
जस्टिस दलवीर भंडारी दूसरी बार हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में चुने गए हैं. (फोटो : mea.gov.in).

भारतीयों को असभ्य और पिछड़ा मानकर क्लबों और रेस्टहाउस में ‘इंडियन एंड डाग्स आर नाट एलाऊड’ के बोर्ड चस्पा करने वाले अंग्रेजों को इंटरनेशनल कोर्ट में भारत ने तगड़ा झटका दिया है. इंडिया की कूटनीति के चलते हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट में अब कोई भी ब्रिटेन का जज नहीं होगा. जज के चुनाव के दौरान इंडिया के जज ने ब्रिटेन से बाजी जीत ली है. जस्टिस दलवीर भंडारीदूसरी बार हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में चुने गए हैं. लंबी इलेक्शन प्रॉसेस के बाद आखिरकार उनके ब्रिटिश कॉम्पिटीटर जस्टिस क्रिस्टोफर ग्रीनवुड ने अपनी दावेदारी वापस ले ली.

ऐसे हुई भारत की कूटनीतिक जीत
दरअसल, सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद से अब तक एक ब्रिटेन का एक न्यायाधीश हमेशा आईसीजे यानी की इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में 15 जजों में शामिल रहा है. आईसीजे से ब्रिटेन की अनुपस्थिति की अहमियत कोर्ट के साथ दुनिया में ब्रिटेन के प्रभुत्व को लेकर भी है. इसे डोकलाम विवाद, ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा शामिल करवाने जैसी भारत की एक और बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बधाई दी है.

ऐसे होता है जजों का चुनाव
कोर्ट में हर तीन सालों में 15 में से पांच जजों के पद पर चुनाव होता है. ब्रिटेन के जज सर क्रिस्टोफर ग्रीनवुड को इस चुनाव में अगले नौ सालों के कार्यकाल के लिए दोबारा निर्वाचित होने की उम्मीद थी, लेकिन इस बार यूएन में लेबनान के पूर्व राजदूत डॉ. नवाफ सलाम ने भी अपनी दावेदारी कर दी. ऐसे में अब पांच पदों के लिए पांच की जगह छह उम्मीदवार दावेदारी कर रहे थे.

नीदरलैंड के हेग में स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का ऑफिस. जस्टिस भंडारी 2012 में आईसीजे के जज बने थे, उनका टेन्याेर 18 फरवरी में पूरा हो रहा है. इससे पहले भारत से जस्टिस नगेंद्र सिंह ICJ में दो बार चुने जा चुके हैं. (फोटो icj-cij.org/en).
नीदरलैंड के हेग में स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का ऑफिस. जस्टिस भंडारी 2012 में आईसीजे के जज बने थे, उनका टेन्याेर 18 फरवरी में पूरा हो रहा है. इससे पहले भारत से जस्टिस नगेंद्र सिंह ICJ में दो बार चुने जा चुके हैं. (फोटो icj-cij.org/en).

यूएन में लंबा समय बिताने वाले डॉ. सलाम ने अपने संबंधों के दम पर एशिया के लिए रिजर्व स्लॉट पर कब्जा जमा लिया. ऐसे में भारत के दलवीर भंडारी को उन सीटों पर अपनी दावेदारी करनी पड़ी जो सामान्यतः यूरोपीय जजों के लिए खाली रहती है. यह ब्रिटेन को चुनौती देना था. पांच में से चार सीटों पर जजों की नियुक्ति होने के बाद दलवीर भंडारी और सर क्रिस्टोफर ग्रीनवुड आमने-सामने थे.

और इस तरह हुई भंडारी की जीत
भंडारी को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा का समर्थन हासिल था, तो वहीं ग्रीनवुड को यूएन सुरक्षा समिति से समर्थन मिल रहा था, लेकिन रेस में जीतने वाले को दोनों संस्थाओं की जरूरत थी. ऐसे में कई बार वोटिंग होने के बाद भी कोई फैसला नहीं निकल सका. भारत सरकार ने इस मामले में भारी मेहनत की और इंटरनेशन डिप्लोमेसी का सहारा लिया.

इसलिए हार गया ब्रिटेन
ब्रिटेन सरकार भी कूटनीतिक जोर लगाने में पीछे नहीं रही और प्रयास किया गया कि यूएनए का जॉइंट सेशन बुलाया जाए जिसमें वीटो पावर पाले पांच देश भी शामिल हों, जिसका एक सदस्य खुद ब्रिटेन भी है. यूएनए के कई देशों में सिक्योरिटी काउंसिल के पास बहुत ज्यादा ताकत को लेकर नाराजगी चली आ रही है. आतंकवाद, ग्लोबल वार्मिंग, मानवाधिकार सहित अनेक मुद्दों को लेकर यूएन महासभा के बहुत से देश सुरक्षा परिषद् के स्थाई देशों के दोहरे मापदंडों से खीझे हुए हैं और इसकी पूरी संभावना थी कि संयुक्त अधिवेशन में ब्रिटेन को हार का सामना करना पड़ता जो उसके लिए बहुत बड़ी निराशा होनी थी.

दूसरी ओर आर्थिक मंदी से गुजर रहे ब्रिटेन ने ऐन मौके पर यह प्रयास छोड़ दिया क्योंकि उसे इंडिया के साथ संघर्ष में आर्थिक नुकसान दिख रहा था. किसी दूसरे दौर में ब्रिटेन ने अपनी ताकत के बल पर भारत का सामना किया होता तो उसकी चल सकती थी, लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में आर्थिक, सामरिक व कूटनीतिक दृष्टि से भारत पहले जैसा नहीं रहा. इसी के चलते ब्रिटेन ने पीछे हटने का फैसला किया ताकि एक अल्पावधि नुकसान के बदले में लंबे दौर के आर्थिक नुकसान को बचाया जा सके.

अंतंरराष्ट्रीय मंच पर इसे सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बधाई दी है. फोटो: Twitter).
अंतंरराष्ट्रीय मंच पर इसे सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बधाई दी है. प्रतीकात्मक फोटो: Twitter).

इसलिए है भारत की बड़ी जीत
इंडिया की इस जीत को विकासशील देशों की विकसित देशों पर जीत के रूप में भी देखा जा रहा है. निश्चित रूप से अब विकासशील देशों को इस जीत के बाद भारत के रूप में नया नेतृत्व और उत्साह मिलेगा और वे विकसित देशों के सम्मुख अपनी बात को और भी प्रबलता से रख पाएंगे. देश के लिए गौरव की बात है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति व कूटनीति में भारत अमीर देशों को टक्कर देने की स्थिति में पहुंच गया है.

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By राकेश सेन

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