स्विट्जरलैंड के दावोस में इस 22 जनवरी से होने वाले वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम समिट में पीएम नरेंद मोदी रिटेल बिजनेस में 100{4f87ad8c368bc179e2d180453c56a403e7e581457176ed0e8ee6656745545539} फॉरेन इन्वेस्टमेंट की मंजूरी को हरी झंडी देने जा रहे हैं. देशी खुदरा व्यापारियों के लाख विरोध के बाद भारत सरकार ने आर्थिक सुधार के कार्यक्रमों को जारी रखते हुए यह फैसला लिया है. मीडिया में सरकार के इस फैसले को लेकर कई तरह की चर्चा है. कोई कह रहा है कि इससे देश का रिटेल मार्केट बढ़ेगा, तो किसी का कहना है कि इससे देश का अरबों रुपए का खुदरा व्यापार चौपट हो जाएगा. आइए जानते हैं कैसे सरकार के इस फैसले से इंडिया के रिटेल कारोबार की कमर टूट सकती है.
फैसले का ऐसा होगा असर
दरअसल, देश में तकरीबन 5 करोड़ खुदरा व्यापारी हैं और यही कारोबार सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराता है. जब व्यापारी विदेशी खुदरा व्यापारी के साथ स्पर्धा करेंगे तो उनके साथ टिकना बेहद कठिन होगा. ऐसे में बड़े कॉरपोरेट ही खुदरा कारोबार को कंट्रोल करने लगेंगे और इस क्षेत्र में जो रोजगार उपलब्ध हो रहा है, उस पर देशी-विदेशी कॉर्पोरेट का दबदबा कायम हो जाएगा.
निवेश का गणित और फैसले का असर
मीडिया में जो खबर आई है उसके आधार पर प्रमुख क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सिंगल ब्रांड खुदरा कारोबार (एसबीआरटी) और निर्माण विकास में 100 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी दी है. यही नहीं अब विदेशी निवेशक एयर इंडिया में 49 प्रतिशत तक निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा फॉरेन इन्वेस्टर्स और पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स का पॉवर एक्सचेंज में प्रायमरी मार्केट के जरिये मौका दिया जाएगा.
हालांकि मेडिकल डिवाइसों की परिभाषा के बदल दिए जाने से आम लोग और हमारे देशी कारोबारी के सेहत पर इसका क्या असर पड़ेगा इसका आकलन अभी होना है. लेकिन खुदरा व्यापार का सीधा असर बहुत व्यापक होगा. अब हमारे छोटे-छोटे शहरों में भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मॉल दिखेंगे. आने वाले समय में छोटे व्यापारियों को ये बड़े कॉरपोरेट व्यापारी कई मोर्चों पर परेशान करके उन्हें व्यापार नहीं करने के लिए बाध्य कर देंगे. ऐसे में देश की जो हालत होगी वह बेहद खतरनाक होगी.
भाजपा के अंदर ही खींचतान, घरेगा विपक्ष
कैबिनेट मीडिंग में सरकार अपने इस निर्णय को लोकहित और भारतीय व्यापार को समृद्ध करने वाला मान रही है. लेकिन विपक्ष सरकार से सवाल पूछेगा कि जब भाजपा सत्ता में नहीं थी तो इसी निर्णय का जमकर विरोध क्यों कर रही थी. कहा जा रहा है कि इससे एफडीआई नीति को आसान बना कर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दिया जाएगा, लेकिन यह भाजपा को प्रतिपक्ष में बैठते समय पता नहीं था क्या?
कांग्रेस ने बोए थे बीज
खुदरा व्यापार में 100{4f87ad8c368bc179e2d180453c56a403e7e581457176ed0e8ee6656745545539} निवेश का फैसला कांग्रेस सरकार में ही हो गया था, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह के काल में बीजेपी का तीखा विरोध और वामपंथी पार्टियों के जमीनी मोर्चा खोल देने के कारण मनमोहन सरकार इसे आगे नहीं बढ़ा पाई. खास बात यह है कि बीजेपी ही नहीं आरएसस भी इस नीति का विरोध कर रहा है.
इधर स्वदेशी जागरण मंच ने बाकायदा इसे स्वदेशी को लेकर एक अभियान और मॉडल दोनों बनाया है. बावजूद इसके नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने खुदरा कारोबार को विदेशी करोबारियों के जिम्मे छोड़ दिया है. यही नहीं विदेशी एयरलाइंस को एयर इंडिया में 49 फीसदी तक निवेश करने की अनुमति दी गई है, जिसके तहत एयर इंडिया में फॉरेन इन्वेस्टमेंट 49 प्रतिशत से अधिक होगा. यह भी भविष्य में हमारे कारोबार को क्षति पहुंचाने वाला साबित होगा. हालांकि इस निर्णय से फिलहाल फायदे की संभावना दिख रही है.
इन क्षेत्रों में भी मंजूरी, सवालों में सरकार
मंत्रिमंडल ने इसके अलावा टाउनशिप, हाउसिंग, अवसंरचना और रियल एस्टेट ब्रोकिंग सेवाओं संबंधी निर्माण विकास क्षेत्र में भी 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी है. हालांकि इसके भी बड़े खतरे हैं लेकिन इस क्षेत्र में यदि विदेशी पूंजीनिवेश होता है तो इससे थोड़ी राहत की संभावना दिख रही है. पहले भी इस क्षेत्र में फॉरेन इन्वेस्टर्स क्षद्म रूप से भारत में पैसे लगा रहे थे.
अब विदेशी कंपनियां प्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में निवेश कर पाएगी. सरकार का दावा है कि इससे हमारे देश में मकान सस्ते होंगे लेकिन सरकारी और गैर सरकारी आंकड़ों में यह बताया गया है कि देश में दो करोड़ मकान बनकर खाली पड़े हैं जिसके लिए ग्रहकों का इंतजार है. अब ये नए निवेशक इस देश में क्या बनाएंगे यह सवाल बड़ा गंभीर है.
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