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Onam 2023: ओणम कितने दिनों तक कहां मनाया जाता है? क्या है ओणम की परंपरा?

ओणम, केरल का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. (significance of onam festival) यह मलयालम महीने चिंगाम में मनाया जाता है. (Image: Pixabay)ओणम, केरल का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. (significance of onam festival) यह मलयालम महीने चिंगाम में मनाया जाता है. (Image: Pixabay)

त्योहारों और पर्वों के बीच दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहार ओणम की शुरुआत हो चुकी है. 20 अगस्त से 31 अगस्त तक चलने वाला यह पर्व दक्षिण भारत के केरल में मलयालम स्ंस्कृति का पारंपरिक पर्व है. (onam festival 2023 date) ओणम के पहले दिन को अथम और 10वें दिन को थिरुवोणम कहा जाता है.

केरल राज्य में किया जाता है और यह यहां के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. यह पर्व दक्षिण भारत में विशेष रूप से थिरुवोणम नक्षत्र के समय मनाया जाता है, जिसे मलयालम में सावन नक्षत्र कहा जाता है. (Which is the main day for Onam 2023) इस दौरान चिंगम माह में सावन नक्षत्र के प्रबल होने की विशेष परिस्थिति होती है, और इसी अवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा थिरुओणम का पूजन करने में होता है.

ओणम, केरल का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. (significance of onam festival) यह मलयालम महीने चिंगाम में मनाया जाता है, जो अगस्त और सितंबर के महीने में आता है. ओणम के त्योहार का इतिहास लगभग 3000 साल पुराना है. यह त्योहार भगवान विष्णु के वामन अवतार और असुर राजा महाबली की कहानी से जुड़ा हुआ है.

ओणम का महत्व और पूजा विधि-  (onam puja vidhi in malayalam) 

ओणम के त्योहार का केरल के लोगों के लिए बहुत महत्व है। यह एक ऐसा त्योहार है जो उन्हें उनकी समृद्ध संस्कृति और विरासत का जश्न मनाने का अवसर देता है. ओणम के त्योहार के दौरान, केरल में खुशियां और उत्साह का माहौल रहता है.

  • ओणम के त्योहार के पहले दिन, लोग अपने घरों को साफ-सुथरा कर देते हैं और नई चीजें खरीदते हैं.
  • दूसरे दिन, लोग पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं और भगवान विष्णु और महाबली की पूजा करते हैं.
  • तीसरे दिन, लोग नौका दौड़ और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं.
  • चौथे दिन, लोग मंदिरों में जाते हैं और प्रार्थना करते हैं.
  • पांचवें दिन, लोग अपने प्रियजनों से मिलने जाते हैं.
  • छठे दिन, लोग ‘पूक्कालम’ बनाते हैं, जो फूलों से बना एक सुंदर कालीन होता है.
  • सातवें दिन, लोग ‘उथरादयाम’ मनाते हैं, जो ओणम के त्योहार का अंतिम दिन होता है.

ओणम क्यों मनाया जाता है? (why onam is celebrated)

ओणम के त्योहार की कथा के अनुसार, असुर राजा महाबली एक धर्मपरायण और न्यायप्रिय शासक थे. उन्होंने अपनी प्रजा को बहुत खुशहाली से शासन किया. एक दिन, देवताओं ने महाबली से युद्ध किया और उन्हें पराजित कर दिया. महाबली को पाताल लोक में वास करने का दंड मिला.

महाबली को अपने प्रिय प्रजा से मिलने की इच्छा होती थी, इसलिए, हर साल वह ओणम के त्योहार के दौरान अपनी प्रजा से मिलने के लिए पाताल लोक से केरल आते हैं. इस दौरान, केरल में खुशियां और उत्साह का माहौल रहता है.

ओणम के व्यंजन

ओणम के त्योहार के दौरान, लोग पारंपरिक मलयालम पोशाक पहनते हैं। वे पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं, जैसे कि ‘सदय’, जो एक शाकाहारी भोज है जिसमें 26 विभिन्न व्यंजन होते हैं। वे नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।

ओणम के सांस्कृतिक कार्यक्रम

ओणम के त्योहार के दौरान, केरल में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में नृत्य, संगीत, नाटक और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं. ये कार्यक्रम केरल की समृद्ध संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करते हैं.

ओणम के त्योहार के दौरान, लोग पारंपरिक मलयालम पोशाक पहनते हैं. वे पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं, जैसे कि ‘सदय’, जो एक शाकाहारी भोज है जिसमें 26 विभिन्न व्यंजन होते हैं. वे नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं.

ओणम के त्योहार के दौरान किए जाने वाले कुछ मुख्य कार्य- 

नौका दौड़: ओणम के त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नौका दौड़ है. ये दौड़ केरल के कई नदियों और झीलों में आयोजित की जाती हैं.

पूक्कालम: पूक्कालम एक फूलों से सजा हुआ कालीन है जिसे ओणम के त्योहार के दौरान बनाया जाता है. यह कालीन केरल की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है.

सदय: सदय एक शाकाहारी भोज है जिसे ओणम के त्योहार के दौरान बनाया जाता है. यह भोज में 26 विभिन्न व्यंजन होते हैं.

नृत्य और संगीत: ओणम के त्योहार के दौरान, केरल में कई नृत्य और संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. ये कार्यक्रम केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं.

ओणम के त्योहार के दौरान, केरल में खुशियां और उत्साह का माहौल रहता है. यह त्योहार केरल के लोगों के लिए एक साझा अनुभव है, जो उन्हें एक साथ लाता है. ओणम के त्योहार के दौरान, केरल के लोग अपने पारंपरिक मूल्यों और संस्कृति को याद करते हैं.

By प्रभुनाथ शुक्ल

वरिष्ठ लेखक

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