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teja dashmi katha

वीर तेजाजी महाराज को शिव का अवतार माना जाता है. वे सांपों के देवता कहलाते हैं और तेजाजी की ताती लगाने से सांप का जहर भी असर नहीं करता है. वीर तेजाजी महाराज से संबंधित ही तेजा दशमी (Teja Dashmi Katha) है जिसे देश भर में मनाया जाता है.

भारत में तेजा दशमी (Teja Dashmi 2022) का अपना महत्व है. इस दिन तेजाजी महाराज की रैली निकाली जाती है, उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है, कई जगह पर तेजाजी महराज का मेला भी लगता है.

तेजा दशमी कब है? (Teja Dashmi Kab hai?)

तेजा दशमी हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल संवत की दशमी को होती है. तेजा दशमी वर्ष 2022 में 6 सितंबर, मंगलवार को आने वाली है. इस दिन तेजाजी महाराज की पूजा खासतौर पर की जाती है.

तेजा दशमी के दिन तेजाजी महाराज का जन्म नहीं हुआ था बल्कि सालों पहले वे इसी दिन अपनी वचनबद्धता के कारण वीरगति को प्राप्त हुए थे. उनकी वचनबद्धता देखकर सांपों ने उन्हें अपना आराध्य बनाया था और उन्हें वरदान दिया कि वे कलयुग में सांपों के देवता के रूप में पूजे जाएंगे.

तेजाजी महाराज कौन हैं? (Veer Tejaji Maharaj Katha)

दंतकथाओं और मान्यताओं के अनुसार तेजाजी महाराज राजस्थान के खरनाल में माघ शुक्ल की चतुर्दशी को जन्मे थे. उनके पिता खरनाल के प्रमुख कुँवर तहाड़जी और माता राम कंवर थीं.

बताया जाता है कि तेजाजी (Teja Dashmi 2022) के माता-पिता की पहले कोई संतान नहीं थी. तब तेजाजी के माता पिता ने भगवान शिव और माता पार्वती की कठोर तपस्या की जिसके बाद उनके घर तेजाजी का जन्म हुआ.

जब उनका जन्म हुआ तो भविष्यवाणी हुई कि उनके घर भगवान खुद अवतार लेंगे. तेजाजी को सांपों का देवता, काला-बाला का देवता, गायों का मुक्तिदाता नामों से भी जाना जाता है.

तेजा दशमी क्यों मनाई जाती है? (Why Celebrate Teja Dashmi?)

तेजा दशमी के दिन तेजाजी महाराज का जन्म नहीं हुआ था. ये दिन उनके बलिदान का दिन है. इस दिन वे अपनी वचनबद्धता के चलते वीरगति को प्राप्त हुए थे. उनकी वचनबद्धता को देखकर नागों ने प्रसन्न होकर उन्हें नागों का देवता बनने का वरदान दिया था.

तेजा दशमी का पर्व तेजाजी महाराज के बलिदान को याद करने के लिए मनाया जाता है. उनके समर्थक और उन्हें मानने वाले इस दिन उनकी पूजा करते हैं. धूमधाम से उनकी शोभायात्रा निकालते हैं.

वीर तेजाजी की कथा (Teja Dashmi Katha)

तेजाजी महाराज की शादी पेमल से हुई थी. जब पेमल अपने मायके में थी तब तेजाजी की भाभी ने उन्हें पेमल के बारे में ताने सुनाए जिसका बुरा मानकर वे उठे और ससुराल की ओर चल दिए.

तेजाजी के साथ में लीलण नाम की घोड़ी भी थी. (Teja Dashmi Katha) वे अपनी पत्नी को लेने ससुराल पहुंचे तो उनकी सास गाय का दूध निकाल रही थी. गाय तेजाजी की घोड़ी को देखकर डर गई और उनकी सास को लात मारकर कूद गई. तब पेमल की मां ने गुस्से में कहा कि ‘इस घोड़ी वाले को काल सांप काट खाए, इसके कारण मेरी गाय कूद गई.’

जब पेमल की मां ने देखा तो उसे पता चला कि घोड़ी वाला व्यक्ति उसका दामाद है. लेकिन तेजाजी महाराज को ये बात बहुत बुरी लगी. वे वहाँ से वापस लौट आए. रास्ते में उन्हे पेमल की सहेली दिख गई, जिनके घर पर पेमल थी.

सहेली तेजाजी को पेमल के पास ले गई. तेजाजी ने पेमल से ससुराल चलने के लिए आग्रह किया तो पेमल ने कहा कि आज समय बहुत हो गया है हम कल ही खरनाल के लिए निकल चलेंगे. (Teja Dashmi Katha) आप आज रात विश्राम कर लीजिए.

तेजाजी ने विश्राम करना उचित समझा. उसी रात सहेली के घर से मेर के मीणा सारी गाय चुराकर ले गए. गायों को छुड़ाने के लिए तेजाजी उनके पीछे गए. रास्ते में उन्हें एक जलता हुआ सांप दिखाई दिया. तेजाजी ने उस सांप को आग से बाहर निकाल दिया लेकिन सांप क्रोधित हो गया. क्योंकि उसकी सापिनी जल चुकी थी.

उसने कहा मैं तुम्हें डस लूँगा. तब तेजाजी ने कहा कि मैं किसी को वचन देकर आया हूँ. पहले मुझे वो वचन पूरा कर लेने दो फिर तुम मुझे डस लेना. सांप ने कहा ठीक है. तब तेजाजी गए और सभी गायों को छुड़ाकर ले आए.

गाय छुड़ाने में वे काफी घायल हो गए थे. (Teja Dashmi Katha) उनके शरीर पर काफी घाव हो गए थे. गाय छुड़ाने के बाद वे घायल अवस्था में अपना वचन पूरा करने सर्प के बिल पर पहुंचे. तेजाजी महाराज ने कहा कि ये नागराज अब आप मुझे डस सकते हैं.

सांप ने कहा कि तुम्हारे तो पूरे शरीर पर घाव हो रहे हैं और घाव पर मैं नहीं डसता. अब तुम्ही बताओ मैं कहा डसू. तेजाजी महाराज ने कहा कि मेरी जीभ सही सलामत है उस पर कोई घाव नहीं है. आप वहाँ डस सकते हैं.

सांप ने तेजाजी महाराज को जीभ पर डसा. इसके बाद तेजाजी महाराज नीचे गिर गए तब सांप अपने असली स्वरूप में आए. वो सांप कोई और नहीं बल्कि भगवान शिव थे और वे उनकी वचनबद्धता की परीक्षा ले रहे थे.

उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे सत्य वचन से प्रसन्न हुआ. मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि आज से तुम वीर तेजाजी कहलाओगे और लोग तुम्हें सांपों के देवता के रूप में पूजेंगे. इसके बाद तेजाजी की मृत्यु हो जाती है. तेजाजी की चिता में उनकी पत्नी पेमल भी सती हो जाती है.

तेजा दशमी पर तेजाजी मंदिर पर काफी भीड़ रहती है. तेजाजी महाराज के नाम का धागा यदि किसी सांप के काटे हुए स्थान या किसी कीड़े के काटे हुए स्थान पर बांध दिया जाता है तो वहाँ जहर का असर नहीं होता है. लोग उनमें काफी आस्था और विश्वास रखते हैं.

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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