दीपावली आ रही है और आप नयी कार या बाइक लेने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको वाहन बीमा से जुड़े कुछ नियमों को जान लेना ज़रूरी है. बदले हुए सरकारी नियमों का पालन नहीं करने पर आपको हजारों रुपए का हर्जाना भरना होगा.
कार के बीमा पर सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन (Supreme Court Guidelines)
सड़क सुरक्षा अदालती कमेटी ने वाहन बीमा को लेकर सुप्रीम कोर्ट से कुछ सिफारिशें की थी. इन सिफारिशों पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नियमों का उल्लेख कर इनको अनिवार्य कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आईआरडीए को इस बारे में दिशा-निर्देश जारी करने के आदेश दिए हैं.
क्या थी कमेटी की सिफारिशें?
सड़क सुरक्षा अदालती कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी बाइक या कार की खरीदी पर थर्ड पार्टी बीमा एक वर्ष के लिए ही ज़रूरी है. इस बीमा को क्रमशः पांच और दो सालों के लिए अनिवार्य कर दिया जाए. सिफारिशों के महत्व को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया. इसके पहले तक सिर्फ दोपहिया वाहनों के लिए ही एक साल से अधिक अवधि वाला बीमा कवर बाजार में मिल रहा था.
क्या हैं वाहन बीमा के नए नियम?
व्हीकल इंश्योरेंस के नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2018 से कार खरीदने के साथ दो साल का थर्ड पार्टी बीमा और बाइक के साथ पांच साल का थर्ड पार्टी बीमा कराने को अनिवार्य कर दिया है. भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDA) से इस बारे में गाइड लाइन जारी करने की बात भी कोर्ट ने कही है.
जरूरी है थर्ड पार्टी बीमा (Third party insurance is essential)
यदि आप सड़क पर वाहन चला रहे हैं तो आपको उस वाहन का थर्ड पार्टी बीमा कराना बेहद ज़रूरी है. इसके लिए मोटर वाहन अधिनियम बनाए गए हैं. सभी बीमा पॉलिसी में दो हिस्से होते हैं पहला थर्ड पार्टी बीमा कवर व दूसरा ऑन डैमेज.
क्या है थर्ड पार्टी बीमा कवर
भारतीय मोटर वाहन अधिनियम के तहत देश में सभी वाहनों का थर्ड पार्टी बीमा कवर अनिवार्य होता है. यह बीमा कवर दुर्घटना के समय किसी वाहन के नुकसान की भरपाई के लिए होता है. इसमें गाड़ी के मालिक के वाहन को हुए नुकसान को कवर नहीं करता. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का प्रीमियम IRDA हर साल तय करता है.
(नोट: यह लेख आपकी जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. अधिक जानकारी के लिए किसी इंश्योरेंस एक्सपर्ट की सलाह ज़रूर लें.)