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Health insurance policy इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है. बदलती लाइफ स्टाइल, अस्थिर जॉब और बढ़ती जिम्मेदारियों के बीच जॉइंट फैमिली हो या न्यूक्लियर सभी के लिए Health insurence policy एक सुरक्षा चक्र की तरह कार्य करती है.

भारत सरकार की Bhartiy jeevan bima nigam भारतीय जीवन बीमा निगम यानी की (Life Insurance Corporation of India) एलआईसी के अलावा मार्केट में आज (private health insurance companies in India) प्राइवेट कंपनियों की इंश्योरेंस पॉलिसी है. यह प्लान सस्ते भी हैं और ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं. लेकिन पॉलिसीज की इन बढ़ती भीड़ में आपके लिए जरूरी है कि आप इनमें से उन पॉलिसीज को चुने जो आपके लिए फायदेमंद तो हो ही बल्कि आपके काम भी आए. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें.

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय कुछ जरूरी बातें ( how to choose health insurance)
सर्टिफाइट फाइनांस प्लानर (certified financial planner) विभु गोयल के मुताबिक (Health insurance policy) पॉलिसी लेते समय आप सबसे पहले उस कंपनी का रिकॉर्ड चेक कीजिए. आपके लिए यह जानना सबसे ज्यादा जरूरी है कि जिस इंश्योरेंस कंपनी की आप पॉलिसी लेने जा रहे हैं उसने आज तक कितने क्लेम सेटल किए हैं. विभु के मुताबिक इंश्योरेंस वर्ल्ड में इसे क्लेम सेटलमेंट टाइम रेशियो (claim settlement ratio) कहते हैं.

क्लेम सेटलमेंट रेश्यो क्या है? (what is claim settlement ratio in insurance)

यह रेशियो किसी भी पॉलिसी धारक के लिए जानना बहुत जरूरी है. विभु समझाते हुए कहते हैं कि बाजार की भाषा में समझें तो क्लेम सेटलमेंट (claim settlement ratio of health insurance companies) का अर्थ होता है किसी भी बीमा कंपनी द्वारा क्लेम किए गए मामलों की संख्या होता है. जैसे किसी कंपनी के पास 100 मामले आए और उसमें से कंपनी ने केवल 75 मामले ही सेटल किए यानी पैसे दे दिए तो कंपनी का सेटलमेंट रेशियो 75% होगा. विभु गोयल कहते हैं कि उन्हीं कंपनियों ये हेन्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लीजिए जिनका क्लेम रिकॉर्ड काफी अच्छा है.

को-पेमेंट को समझें. (What is an insurance co payment?)
विभु गोयल कहते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेते समय co payment insurance policy पर फोकस करना चाहिए. विभु कहते हैं कि co payment का अर्थ होता है कि मान लीजिए insurance policy लेने वाले ग्राहक ने आवश्यकता पड़ने पर क्लेम किया तो co payment insurance policy के अंतर्गत कस्टमर को एक फिक्स रकम बता दी जाती है जो पॉलिसी लेते समय ग्राहक को देनी होती है. इस तरह इस तय रकम के ऊपर जितना भी पैसा लगता है वह insurance company देती है. आमतौर पर कॉर्पोरेट कंपनियां इसी तरह से प्लान तैयार करती हैं.

इंश्योरेंस पॉलिसी में में डे केयर what is day care in health insurance
विभु गोयल कहते हैं कि health insurance policy में day care का मतलब होता है मरीज के ऑपरेशन की तैयारी के पहले होने वाले खर्चे को मैनेज करना. इसलिए पॉलिसी लेते समय डे केयर को शामिल करना चाहिए. इस संबंध में आपको insurance policy executives से जरूर पूछना चाहिए.

पॉलिसी कितने हॉस्पिटल से जुड़ी हुई है. health insurance company and hospital network
health insurance policy लेते समय किसी भी व्यक्ति के लिए यह जानना जरूरी है कि जिस health insurance company से उसने प्लान लिया है उसका hospital network है या नहीं. कई स्वास्थ्य बीमा कंपनियां ज्यादा अस्पतालों से जुड़ी होती है तो कई कम से. ऐसे में health insurance company और hospital network के बारे में पहले ही पता कर लें ताकि क्लेम करने में आपको दिक्कत नहीं आए. बेहतर है कि आप उस लिस्ट को चेक कीजिए जिसमें हॉस्पिटल नेटवर्क है.

इंश्योरेंस में मेटरनिटी कवरेज maternity leave and health insurance coverage
health insurance company में maternity coverage देखना बहुत जरूरी है. इसका मतलब है कि यदि आप बीमा कंपनी वाइफ के प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले खर्चे को भी उठाएगी. महिलाओं को इस बारे में जरूरी जानकारी लेनी चाहिए.

 

(नोट: यह लेख आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किया गया है और फाइनांशियल एक्सपर्ट विभु गोयल से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है.  यदि आप कोई मेडिकल पॉलिसी खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें.)  

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