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budhvar vrat katha

शास्त्रों के अनुसार बुधवार का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित होता है. किसी भी शुभ काम को करने से पहले गणेश जी का नाम लिया जाता है. वहीं किसी भी तरह की पूजा करने से पहले गणेश जी का आह्वान किया जाता है. बुधवार के दिन यदि व्रत किया जाए तो गणेश जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामना पूर्ण करते हैं.

बुधवार व्रत कथा विधि | Budhvar Vrat katha vidhi

– प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारणा करें.
– इस दिन आप हरे रंग के वस्त्र और माला का प्रयोग करें तो उत्तम रहेगा.
– किसी भी माह के शुक्लपक्ष में पहले बुधवार को व्रत करने का संकल्प लें. आप प्रथम बुधवार से 21 व्रत करने का संकल्प ले सकते हैं.
– भगवान बुध की प्रतिमा स्थापित करें, यदि वह न हो तो आप शंकर भगवान की मूर्ति या गणेश जी की मूर्ति स्थापित करके पूजा कर सकते हैं.
– पूजा करने के लिए हरी चीजों का उपयोग करें.
– मूर्ति स्थापित करने के लिए मूर्ति के नीचे लाल कपड़े का प्रयोग करें.
– इसके बाद कुमकुम, घी, अक्षत और अगरबत्ती से गणेशजी की पूजा करें.
– पूजा में तुलसी का प्रयोग न करें.
– गणेश जी की पूजा में टूटे और गीले चावल का उपयोग न करें.

बुधवार व्रत कथा | Budhvar Vrat katha in hindi

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन समय की बात है जब एक धनी व्यक्ति मधुसूदन अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिए अपनी ससुराल गया. वहां वह कुछ दिन रहा और फिर अपने सास-ससुर से विदा करने को कहा. किन्तु वहां सब बोले कि आज बुधवार का दिन है आज के दिन गमन नहीं करना चाहिए.

वह व्यक्ति नहीं माना और हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर की ओर चल पड़ा. रास्‍ते में उसकी पत्नी को प्यास लगी, तो वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर पानी लेने को चल दिया. जैसे ही वह पानी लेकर अपनी पत्नी के पास लौटा तो वह यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि उसके ही जैसी सूरत और वेश-भूषा वाला एक व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा हुआ है.

वह क्रोधित हुआ और उसने क्रोध से कहा, ‘तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है?’ दूसरा व्यक्ति बोला, ‘यह मेरी पत्नी है. इसे मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ले जा रहा हूं.’ वे दोनों व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे.

तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे. स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन है? तब पत्नी शांत रही, क्योंकि दोनों एक जैसे थे. वह किसे अपना असली पति बताती. वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला, ‘हे परमेश्वर! यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है. तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना चाहिए था. पर तूने किसी की बात नहीं मानी और चल पड़ा.

यह सब लीला बुद्धदेव भगवान की है. तब उस व्यक्ति ने बुद्धदेव जी से प्रार्थना की. उसने अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी. तब बुद्धदेव जी अन्तर्ध्यान हो गए. इसके बाद वह व्‍यक्ति अपनी स्त्री को लेकर घर आया. इसके बाद से ही वे दोनों पति-पत्नी बुधवार का व्रत हर सप्‍ताह नियमपूर्वक करने लगे. मान्‍यता है कि जो व्यक्ति इस कथा को सुनता है और औरों को भी सुनाता है, उसको बुद्धवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है और उसको सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं.

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