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mangalvar vrat katha

मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा की जाती है. काफी सारे लोग इस दिन व्रत रखते हैं, काफी सारे हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) पाठ करते हैं और बजरंगबली की पूजा-अर्चना करते हैं. यदि आप हनुमानजी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको मंगलवार व्रत कथा (Mangalvar vrat katha) जरूर पढ़नी और सुननी चाहिए. इस लेख में आप मंगलवार व्रत कथा विधि, मंगलवार व्रत के नियम, मंगलवार व्रत कथा के फायदे और मंगलवार व्रत कथा के बारे में जानेंगे.

मंगलवार व्रत के नियम | Mangalvar vrat rules

– अपना मन शांत रखें और बजरंगली का ध्यान करें.
– दिनभर नमक का सेवन न करें.
– दिन में केवल एक बार भोजन करें.
– व्रत में पवित्रता का ध्यान रखें.

मंगलवार व्रत के फायदे | Mangalvar vrat benefits

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मंगलवार व्रत यानी हनुमानजी का व्रत करने के कई सारे फायदे होते हैं.
– हनुमानजी का व्रत करने से कुंडली में मौजूद सभी ग्रह शांत हो जाते हैं.
– हनुमानजी अपने भक्तों के हर संकट को दूर करते हैं.
– संतान प्राप्ति के लिए भी हनुमानजी का व्रत फलदायी माना जाता है.
– इस व्रत को करने से भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव आप पर नहीं पड़ता.
– मंगलवार का व्रत करने से सम्मान, साहस और पुरुषार्थ बढ़ता है.

मंगलवार व्रत कथा विधि | Mangalvar vrat katha vidhi

– प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– उत्तर-पूर्व दिशा में एकांत में हनुमानजी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
– गंगाजल के छींटे देकर उन्हें लाल कपड़ा अर्पित करें.
– इसके बाद फूल, कुमकुम और अक्षत के छींटे दें.
– चमेली के तेल का दिया जलाए.
– इसके बाद हनुमानजी की कथा सुने और हनुमान चालीसा का पाठ करें.
– हनुमानजी को प्रसाद चड़ाए और सभी में प्रसाद वितरण करें.
– किसी भी माह के शुक्ल पक्ष से व्रत आरंभ किया जा सकता है.
– मनोकामना के लिए व्रत कर रहे हैं तो 21 या 45 मंगलवार व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
– 21 या 45 मंगलवार व्रत करने के बाद विधि-विधान से उद्यापन करना चाहिए.

मंगलवार व्रत कथा | Mangalvar vrat katha

ऋषिनगर में केशवदत्त ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ रहता था. केशवदत्त के घर में धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। नगर में सभी केशवदत्त का सम्मान करते थे, लेकिन केशवदत्त संतान नहीं होने से बहुत चिंतित रहता था. दोनों पति-पत्नी प्रति मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करते थे. विधिवत मंगलवार का व्रत करते हुए कई वर्ष बीत गए. ब्राह्मण बहुत निराश हो गया, लेकिन उसने व्रत करना नहीं छोड़ा.

कुछ दिनों के बाद केशवदत्त हनुमानजी की पूजा करने के लिए जंगल में चला गया. उसकी पत्नी अंजलि घर में रहकर मंगलवार का व्रत करने लगी. दोनों पति-पत्नी पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार का विधिवत व्रत करने लगे. अंजलि ने अगले मंगलवार को व्रत किया लेकिन किसी कारणवश उस दिन अंजलि हनुमानजी को भोग नहीं लगा सकी और उस दिन वह सूर्यास्त के बाद भूखी ही सो गई.

अगले मंगलवार को हनुमानजी को भोग लगाए बिना उसने भोजन नहीं करने का प्रण कर लिया. छः दिन तक अंजलि भूखी-प्यासी रही. सातवें दिन मंगलवार को अंजलि ने हनुमानजी की पूजा की, लेकिन तभी भूख-प्यास के कारण अंजलि बेहोश हो गई. हनुमानजी ने उसे स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा- ‘उठो पुत्री! मैं तुम्हारी पूजा-पाठ से बहुत प्रसन्न हूँ. तुम्हें सुंदर और सुयोग्य पुत्र होने का वर देता हूं.’ यह कहकर हनुमानजी अंतर्धान हो गए. तत्काल अंजलि ने उठकर हनुमानजी को भोग लगाया और स्वयं भोजन किया.

हनुमानजी की अनुकम्पा से अंजलि ने एक सुंदर शिशु को जन्म दिया. मंगलवार को जन्म लेने के कारण उस बच्चे का नाम मंगलप्रसाद रखा गया. कुछ दिनों बाद अंजलि का पति केशवदत्त भी घर लौट आया. उसने मंगल को देखा तो अंजलि से पूछा- ‘यह सुंदर बच्चा किसका है?’ अंजलि ने खुश होते हुए हनुमानजी के दर्शन देने और पुत्र प्राप्त होने का वरदान देने की सारी कथा सुना दी. लेकिन केशवदत्त को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ. उसके मन में पता नहीं कैसे यह कलुषित विचार आ गया कि अंजलि ने उसके साथ विश्वासघात किया है. अपने पापों को छिपाने के लिए अंजलि झूठ बोल रही है.

केशवदत्त ने उस बच्चे को मार डालने की योजना बनाई. एक दिन केशवदत स्नान के लिए कुएं पर गया. मंगल भी उसके साथ था. केशवदत्त ने मौका देखकर मंगल को कुएं में फेंक दिया और घर आकर बहाना बना दिया कि मंगल तो कुएं पर मेरे पास पहुंचा ही नहीं. केशवदत्त के इतने कहने के ठीक बाद मंगल दौड़ता हुआ घर लौट आया.

केशवदत्त मंगल को देखकर बुरी तरह हैरान हो उठा. उसी रात हनुमानजी ने केशवदत्त को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा- ‘तुम दोनों के मंगलवार के व्रत करने से प्रसन्न होकर, पुत्र जन्म का वर मैंने दिया था. फिर तुम अपनी पत्नी पर शक क्यों करते हो? उसी समय केशवदत्त ने अंजलि को जगाकर उससे क्षमा मांगते हुए स्वप्न में हनुमानजी के दर्शन देने की सारी कहानी सुनाई. केशवदत्त ने अपने बेटे को हृदय से लगाकर बहुत प्यार किया. उस दिन के बाद सभी आनंदपूर्वक रहने लगे.

मंगलवार का व्रत जो भी व्यक्ति विधिवत करता है उसके दुख केशवदत्त की तरह दूर हो जाते हैं. हनुमानजी अपने भक्तों के हर दुख को दूर करते हैं. उन्हें धन-संपत्ति और संतानसुख देते हैं.


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