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क्या पितृ पक्ष के 16 दिनों किसी की मृत्यु शुभ मानी जाती है या अशुभ? जन्म को लेकर क्या कहते हैं विद्वान? (फोटो: Pixabay)क्या पितृ पक्ष के 16 दिनों किसी की मृत्यु शुभ मानी जाती है या अशुभ? जन्म को लेकर क्या कहते हैं विद्वान? (फोटो: Pixabay)

पितृपक्ष 20 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. अपने पुरखों और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, आस्था और उनकी स्मृतियों को याद कर कृतज्ञता ज्ञापित करने का यह 16 दिवसीय पर्व बेहद अनूठा है. दुनियाभर की अलग-अलग संस्कृतियों में केवल भारतीय संस्कृति में ऐसी परंपरा है, जो अपने पूर्वजों को बेहद वैज्ञानिक तरीके से याद करती है.

पितृपक्ष को लेकर कई तरह की मान्यताएं और परंपराएं हैं, लेकिन इस 16 दिवसीय पर्व को लेकर कई लोगों में कई तरह के सवाल रहते हैं. इन्हीं सवालों में से दो अत्यंत महत्वपूर्ण सवाल हैं-

 

1- पहला सवाल यह है पितृ पक्ष में मृत्यु शुभ या अशुभ? यानी श्राद्ध पक्ष में किसी की मृत्यु शुभ मानी जाए या अशुभ?

2- दूसरा सवाल यह है कि पितृ पक्ष में यदि किसी का जन्म हो तो उसे क्या हम अपने पुरखों के आगमन के रूप में देखें? क्या पितृपक्ष में जन्मे बच्चे क्या पितरों के प्रतिनिधि हो सकते हैं? और क्या पितृपक्ष में जन्में जातक ज्योतिष की दृष्टि से भी कुछ खूबियां लिए हुए होते हैं?

आइए जानते हैं कानपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज द्विवेदी से इन दोनों ही सवालों के जवाब-

श्राद्ध पक्ष में हो किसी की मृत्यु तो इससे क्या समझें?

ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज द्विवेदी कहते हैं- श्राद्ध पक्ष भारतीय संस्कृति का एक बेहद महत्वपूर्ण और वैज्ञानिक पर्व है. मनोज द्विवेदी के अनुसार- 16 दिनों में शुभ कार्यों पर पूरी तरह से रोक लग जाती है. इस पर्व में अपने पूर्वजों को तर्पण देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है.

मनोज द्विवेदी के अनुसार-

16 दिवसीय इस पर्व में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो गरुड़ पुराण के अनुसार इन दिनों में स्वर्ग के द्वार खुले रहते हैं और जिस भी मनुष्य की मृत्यु इन दिनों में होती है तो उसे सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

पंडित द्विवेदी कहते हैं कि श्राद्ध पक्ष की समयावधि में गुजरे हुए लोगों का विशेष तर्पण किया जाना चाहिए. इस विशेष तपर्ण से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें अपने कर्मों के अनुसार गति मिलती है.

श्राद्ध पक्ष में मृत्यु होने पर कैसे किया जाता है तर्पण

 

पंडित मनोज द्विवेदी कहते हैं- “श्राद्ध पक्ष में मृत्यु होने पर विशेष विधि से मृत व्यक्ति का श्राद्ध और तर्पण किया जाना चाहिए. तर्पण क्रिया में मृत्यु से लेकर 15 दिनों तक मृत व्यक्ति के नाम से भोजन सामग्री, इसे आप कच्ची खाद्य सामग्री कह सकते हैं उसे या तो दान कर सकते हैं अथवा दाल-चावल, घी, गुड़, इत्यादि नदी में विसर्जित कर दें ताकि मछलियां इस अन्न को ग्रहण करे. मछलियों का आना एक तरह से पूर्वजों के आने का संकेत है.”

पंडित द्विवेेेदी के अनुसार श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों के निमित्त किया गया दान, दक्षिण और परोपकार का कोई भी कार्य आपके परिवार और कुटुम्ब के लिए श्रेयस्कर होता है.

वे कहते हैं-

यदि पुरखे यानी घर का कोई सदस्य असंतुष्ट, अथवा अपघाती मृत्यु का शिकार होता है, या उनकी अकाल मृत्यु होती है या वे दुखी मन से, कलप-कलप के मृत्यु को प्राप्त होते हैं, अथवा उनकी इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं तो फिर परिवार के भीतर जन्म कुंडलियों में पितृदोष होता है और यह पीढ़ी-दर-दर चलता रहता है. यदि समय रहते, ऐसे पुरखों या पितृों की आत्मा की शांति के उपाय किए जाएं अथवा ज्योतिषीय विधान के अनुसार इसका निदान किया जाए तो ना केवल परिवार में उन्नति होती है बल्कि पूर्वजों के आशीर्वाद का असर दूर तक देखने को मिलता है.   

श्राद्ध पक्ष में जन्म लेना शुभ या अशुभ?

श्राद्ध पक्ष में कई तरह के कार्यों को लेकर उठने वाले वाले सवालों में एक और सवाल सबसे महत्वपूर्ण होता है वह है- क्या श्राद्ध पक्ष में जन्म होना शुभ माना जाता है या अशुभ?

इस संबंध में बुराहनपुर मप्र के रहने वाले पंडित नितिन कुमार व्यास कहते हैं-

श्राद्ध पक्ष में जन्म लेने वाले बालक सामान्य ही होते हैं, इन्हें लेकर आप मन में किसी तरह की दुविधा ना पालें. ईश्वर के विधान में जन्म और मृत्यु मनुष्य के हाथ में नहीं है, श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों में किसी बालक या बालिका का जन्म शुभ ही माना जाता है.

पंडित व्यास कहते हैं- शास्त्रों के अनुसार इस पितृ पक्ष की अवधि में जन्म लेने वाले जातकों पर अपने पुरखों और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद बना रहता है. खास बात यह है कि आशीर्वाद की यह छाया उन्हीं पुरखों की होती है जिनका हमारे द्वारा श्राद्ध किया जा रहा है.

 

इस संबंध में ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज कुमार द्विवेदी कहते हैं-

श्राद्ध पक्ष में जन्म लेने वाले बच्चे कुछ खास गुणों से युक्त होते हैं. ऐसे बच्चे बेहद सृजनात्मक होते हैं और इनकी बौद्धिक क्षमता अन्य बच्चों की तुलना में बेहतर होती है. यह ना केवल आत्मविश्वासी होते हैं बल्कि आप गौर करेंगे तो आपको इन बच्चों के गुण आपके परिवार के ही किसी पुरखे से मिलते-जुलते मिलेंगे. हालांकि कर्म के अकाट्य सिद्धांंत से ही जन्म मृत्यु का चक्र चलता रहता है. ऐसे में कोई जातक कैसा होगा यह उसके कर्म चक्र ही निर्धारित करते हैं. इस संबंध में जातक की पत्रिका देखकर ही सटीक आंकलन किया जाता है.   

जाहिर है कुल मिलाकर श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष में जन्म लेने वाले बच्चे किसी भी लिहाज से अशुभ नहीं होते और ना ही इस 16 दिन के पर्व में किसी की मृत्यु को अशुभ माना जाता है. इस संबंध में किसी भी तरह की भ्रांति और अंधविश्वास से बचना चाहिए.

(नोट: यह लेख पुरोहितों, पंडितों और ज्योतिषाचार्यों से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है. इस संबंध में पारिवारिक ज्योतिष, विद्वान अथवा पंडित से जानकारी लें. )

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