पिछले कुछ बरसों की तरह 2018 में भी खान एक्टर्स का जलवा बॉक्स ऑफिस पर नजर आएगा. इस साल शाहरूख की सिर्फ एक फिल्म आनंद एल राय द्वारा निर्देशित ’ज़ीरो’ 21 दिसंबर को आएगी. शाहरुख पहली बार इसमें एक बौने का किरदार निभाते नजर आएंगे. उनके अपोजिट अनुष्का और कैटरीना महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं.
आमिर की आएगी ये फिल्म
आमिर की 07 नवंबर को ’ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ रिलीज होगी. इसमें पहली बार वो अमिताभ बच्चन के साथ नजर आएंगे. आमिर की बस एक यही फिल्म इस साल आ सकेगी. अगले पांच साल तक ’महाभारत’ फ्रेंचाइजी में व्यस्त रहने वाले है. इसके कई भाग एक के बाद एक बनेंगे.
’टयूबलाइट’ सलमान के प्रशंसकों को निराश करने वाली फिल्म थी लेकिन ’टाइगर जिंदा है’ ने सलमान को फिर उसी ऊंचाई पर पहुंचा दिया जहां वो पिछले 8 साल से जमे हैं. उनकी तीन फिल्में बन रही हैं, लेकिन अभी यह कह पाना मुश्किल है कि इस साल उनकी कौन सी फिल्म रिलीज हो सकेगी.
कंगना को कामयाबी का इंतजार
कंगना रानावत के अहंकार की वजह से कामयाबी उनसे कुछ रूठी हुई है. वह पिछले काफी वक्त से कामयाबी का बाट जोह रही है. ऋतिक रोशन के साथ विवाद ने उनकी छबि को कुछ अलग अंदाज में पेश किया है, लेकिन इस बीच वे कई दूसरे स्टार्स के साथ भी मनमुटाव के चलते विवादों में रही है.उम्मीद की जा रही है कि ’मणिकर्णिकाः द क्वीन ऑफ झांसी’ के साथ वह फिर से रेस में शामिल हो सकती हैं.
अक्षय कुमार स्टॉरर ’पैडमेन’ अरूणाचलम मुरूगनंथम के जीवन पर आधारित है, तो दूसरी ओर अच्छे और बुरे दोनों रूपों में ख्याति प्राप्त कर चुके संजय दत्त की बायोपिक बन रही है. राज कुमार हीरानी निर्देशित इस बायोपिक में संजय दत्त का किरदार रनबीर कपूर निभा रहे हैं. इस फिल्म को लेकर दर्शकों के बीच गहरी उत्सुकता है.
आएंगी ये फिल्में भी
इनके अलावा साइना नेहवाल, संदीप सिंह पर आधारित ’सूरमा’, गुलशन कुमार के जीवन पर आधारित ’मुगल’, मनमोहन सिंह पर आधारित द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर, गरीब बच्चों को आईआईटी की मुफ्त कोचिंग देने वाले आनंद कुमार पर आधारित ’सुपर 30’, कैलाश सत्यार्थी के जीवन पर आधारित ’झलकी’. कुल मिलाकर पिछले कुछ सालों से बॉक्स ऑफिस पर जिस तरह से बायोपिक बेस्ड फिल्में चमत्कार कर रही हैं, उसका नतीजा है कि 2018 में बायोपिक की भरमार होगी.
बायोपिक से मोह भंग
यूं तो बॉलीवुड में इक्का दुक्का ही ऐतिहासिक फिल्में बन रही हैं, लेकिन जिस हिसाब से संजय की फिल्म का देश भर में जनता से लेकर राज्य सरकारों ने विरोध किया, उसके बाद इस तरह की फिल्मों से फिल्मकारों का मोह पूरी तरह भंग हो चुका है.
ऐतिहासिक फिल्में बनाकर गड़े मुर्दे उखाड़ने के शौकीन रहे संजय लीला भंसाली को ’पद्मावती’ को रिलीज कराने के लिए जिस तरह के लोहे के चने चबाने पड़े उसके बाद शायद मन ही मन वो आइन्दा कभी ऐतिहासिक फिल्में न बनाने की कसम खा चुके हैं. लेकिन इस बारे में अब तक उन्होंने कोई एलानिया बयान नहीं दिया है.