उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा शहर है चित्रकूट (Chitrakoot). चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे बसा (Chitrakoot river mandakini) एक पर्यटन शहर हैं. यहां पर पूरे साल सैलानी आते हैं. इस शहर की खास बात ये है की जब भगवान राम को चौदह साल का वनवास दिया गया था तब उन्हें 11 साल का वनवास (shri ram vanvaas) यहीं गुजारा था. उनसे जुड़े कई धार्मिक स्थल यहां पर आज भी मौजूद हैं.
चित्रकूट में घूमने की जगह (Chitrakoot tourist place)
चित्रकूट (Chitrakoot) मुख्य तौर पर भगवान राम के वनवास से जुड़ा है इसलिए यहां पर अधिकतर स्थान उन्हीं से जुड़े हैं. अगर आपकी हिन्दू धर्म के प्रति गहरी आस्था है तो आपको यहां जरूर आना चाहिए. यहां पर भगवान राम से जुड़े कई धार्मिक स्थल है.
रामघाट (Chitrakoot raamghat)
चित्रकूट शहर मन्दाकिनी नदी के किनारे पर बसा है. मन्दाकिनी नदी के किनारे चित्रकूट में राम घाट है. पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास काल में भगवान राम, माता सीता और अनुज लक्ष्मण ने यहां पर कुछ समय व्यतीत किया था.
गुप्त गोदावरी (Gupt Godavari)
राम घाट से ही 19 किलोमीटर दूर एक आकर्षक गुफा है जिसे गुप्त गोदावरी गुफा कहा जाता है. ये स्थान गोदावरी गुफा के अंदर मौजूद है. इस गुफा के अंदर गोदावरी नदी की एक धारा 12 महीने बहती है और बहती-बहती गायब हो जाती है. इसके बाद इसे विशाल चट्टान की छत से बाहर निकलते हुए देखा जाता है.
चित्रकूट झरना और दंतेवाड़ा माँ काली मंदिर (Chitrakoot fall and dantewada mandir)
चित्रकूट का झरना देखने के लिए आपको जगदलपुर से कार बुक करके आना पड़ेगा. इस खूबसूरत झरने तक पहुंचने के लिए आपको चित्रकूट से 3 घंटे का सफर करना पड़ता है. इसके अलावा यहां पर दंतेवाड़ा माँ काली मंदिर भी है.
सती अनुसुइया का आश्रम (Sati anusuiya aashram chitrakoot)
चित्रकूट से 16 किलोमीटर दूर घने जंगल में सती अनुसूइया आश्रम है. इस आश्रम में महर्षि अत्रि अपनी पति अनुसुइया तथा तीन पुत्रों के साथ रहा करते थे.
हनुमान धारा (Hanumaan dhara chitrakoot)
चित्रकूट से 5 किलोमीटर की दूरी पर हनुमान धारा स्थित है. ये चित्रकूट के जंगल में एक पहाड़ी पर स्थित है. ये स्थान हनुमान जी को समर्पटी है. यहां पर जाने के लिए 360 सीडियाँ चढ़नी पड़ती है. कहा जाता है की हनुमानजी ने लंका में आग लगाने के बाद गुस्सा शांत करने के लिए यहीं से छलांग लगाई थी और ठंडे पानी में खड़े रहकर अपना गुस्सा शांत किया था.
भरत मिलाप (Bharat milap chitrakoot)
चित्रकूट का एक और धार्मिक स्थल है भरत मिलाप मंदिर ये परम कुटीर के पास है. रामायण में जो आपने भरत और राम मिलाप देखा था वो यहीं पर हुआ था. भगवान राम के पद चिन्ह आज भी यहां मौजूद हैं.
कामदगिरि पर्वत (Kaamadgiri parvat chitrakoot)
चित्रकूट में यदि आपको कुछ रमणीक देखना हो तो आपको कामदगिरि पर्वत जरूर जाना चाहिए. प्राचीन कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने चित्रकूट के इस पावन स्थान पर 108 अग्नि कुंडों के साथ हवन किया था. भगवान राम ने भी वनवास का कुछ समय यहां पर व्यतीत किया था.
जानकी कुंड (Jaanki kund chitrakoot)
चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी के किनारे जानकी कुंड स्थित है. यहां पर जानकी माता के पैरों के चिन्ह है. भगवान राम के वनवास के दौरान ये माता सीता का सबसे पसंदीदा स्थान था. जानकी कुंड के पास ही राम जानकी मंदिर भी बना हुआ है. यहां पर हमुमान जी की विशाल मूर्ति के भी दर्शन आप कर सकते हैं.
स्फटिक शिला (Sfatik shila chitrakoot)
स्फटिक शिला चित्रकूट में जानकी कुंड से ही कुछ दूरी पर मौजूद है. यहां माना जाता है की भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता का श्रंगार किया था. यहां पर जयंत नाम के एक कौवे ने माता सीता को काट लिए था जो एक राक्षस था.
लक्ष्मण चौकी (Laxman chouki chitrakoot)
चित्रकूट में एक घूमने वाली जगह लक्ष्मण चौकी भी है. ये राम शिया चट्टान से 100 मीटर की दूरी पर है. कहा जाता है की अनुज लक्ष्मण भगवान राम और माता सीता के लिए इस चट्टान पर बैठकर पहरेदारी करते थे. यहां पर लक्ष्मण के पैरों के निशान देखे जा सकते हैं.
चित्रकूट कैसे जाएं? (How to go chitrakoot?)
चित्रकूट जाने के लिए आप किसी भी माध्यम से जा सकते हैं लेकिन आप इन साधनों से सीधे चित्रकूट नहीं जा सकते. अगर आप हवाई जहाज से जाने की सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले इलाहाबाद जाना पड़ेगा. यहां से बस या कार के माध्यम से आपको चित्रकूट जाना पड़ेगा. अगर आप ट्रेन से जाने की सोच रहे हैं तो आपको चित्रकूट से 8 किमी दूर कर्वी रेल्वे स्टेशन पर उतरना पड़ेगा. यहां से आप किसी बस या वाहन की मदद से चित्रकूट पहुंच सकते हैं. चित्रकूट जाने के लिए आप चाहे तो खुद के वाहन या बस का चुनाव भी कर सकते हैं.
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