अक्षय कुमार की ’गोल्ड’ रिलीज के लिए तैयार है. उनकी यह फिल्म स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त को रिलीज होगी. यह फिल्म भी देशभक्ति पर केंद्रित है.
रितेश सिंधवानी और फरहान अख्तर की रीमा कगती निर्देशित ’गोल्ड’ भारत के लिए हॉकी में पहला पदक लाने वाले खिलाड़ी बलबीर सिंह के जीवन पर आधारित बायोपिक है.
गोल्ड तकरीबन 3200-3500 स्क्रीन पर रिलीज होने जा रही है. वैसे इसी समय जॉन अब्राहम की सत्यमेव जयते गोल्ड के सामने होगी. लेकिन अक्षय कुमार की फैन फॉलोइंग देखते हुए मल्टीप्लेक्स दर्शकों में गोल्ड के लिए कमी आने की संभावना ना के बराबर है.
फिल्म एक्सपर्ट और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पहले वीकेंड तक अक्षय की गोल्ड 65 करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है.
1948 की कहानी गोल्ड
यह फिल्म 1948 के समय की कहानी है. कहानी खास इसलिए है क्योंकि आजादी के महज 1 साल बाद पहली बार आज़ाद भारत में लंदन ओलंपिक्स में किसी ने पहली बार गोल्ड मेडल जीता था.
यह पूरी दुनिया में आजाद भारत के गौरव की कहानी है. हालांकि इस फिल्म को बॉयोपिक माना जा रहा था, लेकिन यह काल्पनिक है.
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक फिल्म के प्रोड्यूसर रितेश सिधवानी ने कहा, गोल्ड बॉयोपिक नहीं बल्कि एक काल्पनिक कहानी है. फिल्म में 1933-48 का भारत दिखाया गया है. फिल्म उस वक्त देश के हालात और उस समय हॉकी जैसे खेल पर आधारित है.
अक्षय गोल्ड से बनें खास
फिल्म इंडस्ट्री में एक समय खिलाड़ी ब्रैंड बन चुके अक्षय कुमार बॉलीवुड में आज भी खिलाड़ी अंदाज में ही काम कर रहे हैं. एक समय तक उनकी फिल्मों का फॉर्मूला एक्शन, इमोशन और एडवेंचर रहा और बाद में कॉमेडी से होता हुआ सामाजिक मुद्दों पर आ गया है.
खान कैंप से अलग अक्षय का एक अलग स्टारडम और दर्शक है. उनके दर्शक आज भी गांव, कस्बों के लोग हैं. अक्षय उन्हीं के लिए फिल्में बनाते हैं और एंटरटेन्मेंट के साथ सामाजिक संदेश भी देते हैं.
सोशल मैन अक्षय कुमार
बीते कुछ सालों से वे एक नये रूप में नजर आ रहे हैं. हॉली डे, हे बेबी, एयरलिफ्ट, नाम शबाना, जॉली एलएलबी-2, पैडमेन और टॉयलेट एक प्रेम कथा जैसी फिल्मों से उनकी भूमिका सोशल मैन की हुई है.
वे राष्ट्रप्रेम आर्मी-मिशन, सिक्योरिटी एजेंसी और ऑफिसर्स और सोल्जर्स की भूमिका में नजर आए हैं, तो वहीं पैडमेन, टॉयलेट एक प्रेम कथा के साथ उन्होंने सामाजिक मुद्दों और समस्याओं को उजागर किया है.
पिछले साल जॉल एलएलबी-2 में एक वकील की भूमिका में बेहद अलग तरह से नजर आए और दर्शकों ने उन्हें बहुत पसंद किया. खास बात यह कि अक्षय ने केवल सामाजिक मुद्दों की फिल्में ही नहीं की हैं बल्कि वे समाज सेवक के रूप में भी नजर आए हैं.
बीते कुछ सालों में उन्होंने महाराष्ट्र में किसानों की समस्याओं को सुलझाने में भी भूमिका निभाई है. पैडमेन से पहले मुंबई के स्टेशनों पर फ्री पैड मशीन लगवाकर वे चर्चा में आए थे.
फटाफट फिल्मों के हिट फॉर्मूला मैन
एक समय टीवी न्यूज के चर्चित शो आपकी अदालत में अक्षय कुमार ने कहा था कि वे फिल्मों पर एक-एक दो-दो साल का समय जाया नहीं करते बल्कि वे फटाफट शूटिंग करना पसंद करते हैं.
उनका दावा है कि यदि एक दिन में 10 मिनट की भी शूटिंग हो तो भी 30 दिन में एक फिल्म पूरी हो सकती है. उनके चाहने वाले उनकी इसी अदा को पसंद करते हैं. रात को 9 बजे सो जाना और सुबह 4 बजे उठकर सेहत पर फोकस उन्हें जनता के बीच और भी लोकप्रिय बनाता है.
दरअसल, वे फटाफट फिल्मों के वे फॉर्मूला हीरों हैं जिस पर आज की तारीख में हर प्रोड्यूसर पैसा लगाने के लिए तैयार रहता है. ना वे कभी लेट होते हैं ना शूटिंग में उनके कोई नाज नखरे होते हैं. शूटिंग फटाफट होकर फिल्म रिलीज होने की गारंटी का नाम है अक्षय कुमार. वे वाकई में खिलाड़ी की तरह ही काम करते हैं.
बता दें कि इसके अलावा फटाफट फिल्में करने वाले अक्षय की ही इस साल यही ’2.0’ भी आएगी. फिल्म कुछ अलग है और वे रजनीकांत के अपोजिट नेगेटिव किरदार में हैं .इस फिल्म का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है.