Sun. Apr 28th, 2024

झूठे रेप केस में फंसा रहा है कोई तो यह हैं आपके कानूनी अधिकार, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

NCRB के मुताबिक रेप भारत में महिलाओं के खिलाफ किए जाने वाला चौथा Common Crime है. साल 2018 के आंकड़ों को देखे तो भारत में 32 हजार से भी ज्यादा रेप केस पूरे भारत में रजिस्टर हुए हैं. इन रेप केस में कुछ केस ऐसे भी होते हैं जो किसी व्यक्ति को फंसाने के लिए दर्ज किए जाते हैं. जिन्हें झूठे रेप केस कह सकते हैं. 

दरअसल, यदि कोई महिला किसी व्यक्ति पर झूठा रेप केस लगाती है तो उस स्थिति में आपके क्या कानूनी अधिकार हैं. आप इस लेख में जान सकते हैं.

रेप केस की धारा एवं सजा (Section and Punishment for Rape Case)

रेप केस दर्ज होने पर आरोपी पर आईपीसी की धारा 376 लगाई जाती है (How to escape from IPC 376) और इसके लिए अपराधी को कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान है. यदि अपराध अति गंभीर किस्म का है तो अपराधी को 10 साल की सजा भी हो सकती है. अब अगर किसी व्यक्ति पर रेप केस लगाया जाता है और वो किसी तरह साबित हो जाता है तो उसकी दुनिया में तो बदनामी होना ही है और साथ ही उसे सजा भी होना है. चाहे उसने ये अपराध किया हो या न किया हो.

झूठे रेप केस से कैसे बचें? (False Rape Case in India)

झूठे रेप केस से बचने के लिए कानूनन आपके कुछ अधिकार हैं. किसी अच्छे वकील की मदद से आप कुछ हद तक झूठे रेप केस से बच सकते हैं और अपने आप को निर्दोष साबित कर सकते हैं. (What to Do When Someone Makes False Accusations Against You.)

इसमें आपके पास तीन तरह के ऑप्शन होते हैं जिनमें आप अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए प्रयत्न कर सकते हैं.

1) अग्रिम जमानत
2) काउंटर केस
3) बरी होने के बाद

#1. अग्रिम जमानत (Anticipatory bail in Rape Case)

  • कोई भी महिला यदि आपको बार-बार धमकी देती है या उसकी नीयत आपको ऐसी लगती है कि वो आप पर झूठा रेप केस लगा सकती है तो उसके बोलने के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग करने का प्रयास करें जिससे आप सबूत जुटा सके.
  • इसके अलावा अपने लिए अग्रिम जमानत का प्रबंध करके रखें. इसके लिए आपको वकील की मदद लेनी चाहिए. यदि आप अग्रिम जमानत ले लेते हैं तो पुलिस कस्टडी में आपको परेशान नहीं किया जाता है और आपकी बेल जल्दी हो जाती है.

#2. काउंटर केस (Counter case against rape case)

काउंटर केस आप अरेस्ट होने या चार्जशीट फाइल होने के बाद कर सकते हैं. इसके लिए आप CRPC की धारा 482 के तहत आवेदन कर सकते हैं और FIR में बताई गई आपराधिक कार्यवाही को खारिज करने की मांग कर सकते हैं. लेकिन उसमें आपको ये बताना होगा कि आप निर्दोष हैं.

महिला जिस दिन और जिस वक़्त पर रेप का आरोप लगा रही है उस वक़्त आप उसके साथ नहीं थे. अतः आपको ये बताना होगा कि जो आरोप लगाया गया है वो आपके द्वारा संभव ही नहीं था. हाईकोर्ट आपकी कार्यवाही को खारिज कर सकता है.

अरेस्ट होने के बाद यदि आपको लगता है कि पुलिस और हाईकोर्ट के अधिकारी मिलकर आपको दोषी साबित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं और झूठे केस में महिला का साथ दे रहे हैं. ऐसी स्थिति में आप हाईकोर्ट में रिट जारी कर सकते हैं. संविधान के अनुच्छेद 226 अदालत को इजाजत देता है कि वह संबंधित अधिकारियों को अपनी ड्यूटी उचित रूप से निभाने के लिए रिट जारी कर सकती है.

#3. अरेस्ट होने के बाद-

अगर किसी व्यक्ति को रेप के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाए और उसके बाद कोर्ट उसे बरी कर दे तो फिर आगे क्या किया जा सकता है.

 

  • कोर्ट से बरी होने के बाद भी व्यक्ति के कुछ कानूनी अधिकार होते हैं.

– आईपीसी की धारा 211 के तहत झूठी आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए एफ़आईआर दर करवा सकते हैं. इस मामले में सात साल की जेल हो सकती है.

– आईपीसी के धारा 182 के तहत झूठी गवाही देने के लिए तथा निर्दोष व्यक्ति को फंसाने के लिए 6 महीने की जेल हो सकती है.

– आप आईपीसी की धारा 499 तथा 500 के तहत आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर सकते हैं. इसमें दो साल की जेल होती है.

– आप मानहानि का दीवानी मामला भी दर्ज करवा सकते हैं. इसमें आपको आर्थिक मुआवजा मिल सकता है.

ये कुछ विकल्प थे जिनसे आप झूठे रेप केस के चंगुल से बच सकते हैं तथा अरेस्ट होने के बाद भी कानूनी प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं. केस कोई भी हो आपको खुद को बचाने वाले सबूत हमेशा रखने चाहिए. यदि कोई व्यक्ति आपको ऐसी धमकी दे रहा है तो उसके गवाह तथा रिकॉर्डिंग को रखें ताकि ऐसी परिस्थिति में आप बच सकें.

यह भी पढ़ें :

Dowry Case : झूठे केस में फंसा रही पत्नी, कैसे लड़ें 498 A के खिलाफ केस

पत्नी के झूठे केस से बच सकता है पति, जानिए पति के अधिकार?

Defamation Case : मानहानि क्या होती है, मानहानि केस कैसे करें?

By राजीव गोयल

राजीव गोयल, मुंबई हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, नई दिल्ली के मेम्बर हैं. अधिवक्ता के रूप में वे 10 वर्षो से प्रैक्टिस कर रहे हैं. उन्होंने कानून की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की है. एक वकील के तौर पर राजीव, सिविल, क्रिमिनल सर्विस मैटर, उपभोक्ता मामले, सूचना का अधिकार, फैमिली कोर्ट, बैंकिंग-सेबी और कम्पनी मामले, मेडिकल कॉलेज व एडमिशन संबंधी मामलों में अपना पक्ष रखते हैं.

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *