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आकाश में 330 डिग्री से 360 डिग्री तक के भाग को मीन लग्न (meen lagna) के नाम से जाना जाता है. जिस जातक के जन्म के समय यह भाग आकाश के पूर्वी क्षितिज में होता है उसकी राशि मीन (meen rashi) होती है. मीन राशि जल तत्व वाली राशि है. इसका स्वामी गुरू यानि बृहस्पति होता है. मीन राशि के लोग दयालु, कलात्मक, सहज, सौम्य तथा बुद्धिमान होते हैं.

मीन लग्न में चंद्र (meen lagna me chandra)

मीन लग्न में चंद्र पंचम भाव का अधिपति होता है. पंचम भाव का अधिपति होने के कारण यह जातक के जीवन में बुद्धि, आत्मा, स्मरण शक्ति, विद्या ग्रहण करने की क्षमता, शक्ति नीति, आत्मविश्वास, प्रबंध कुशलता, देव भक्ति, देश भक्ति, नौकरी का त्याग, धन मिलने के उपाय, अनायास धन मिलने की संभावना, व्रत, पुत्र संतान, स्वाभिमान, अंहकार आदि विषयों का प्रतिनिधित्व करता है.

मीन लग्न में सूर्य (meen lagna me surya)

मीन लग्न में सूर्य छठे भाव का अधिपति होता है. छठे भाव का अधिपति होने के कारण सूर्य जातक के जीवन में बीमारी, कर्ज, दुश्मन, चिंता, शंका, पीड़ा, ननिहाल, असत्य भाषण, योगाभ्यास, जमींदारी, साहूकारी, वकालत, व्यसन, ज्ञान, अच्छा या बुरा व्यसन जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है.

मीन लग्न में मंगल (meen lagna me mangal)

मीन लग्न में मंगल दूसरे और नौवे स्थान का अधिपति होता है. दूसरे स्थान का अधिपति होने के कारण मंगल जातक के जीवन में कुल, आंख, नाक, कान, गला, स्वर, आभूषण, सौंदर्य, गायन कुटुंब जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है. वहीं नौवे स्थान का अधिपति होने के कारण वह धर्म, पुण्य, भाग्य, गुरू, ब्राह्ममा, देवता, तीर्थ यात्रा, भक्ति, मानसिक वृत्ति, भाग्योदय, पिता का सुख, तीर्थ यात्रा, दान, इत्यादि विषयों का प्रतिनिधित्व करता है.

मीन लग्न में बुध (meen lagna me budh)

मीन लग्न में बुध चौथे भाव का अधिपति होता है. चौथे भाव का अधिपति होने के कारण बुध जातक के जीवन में भूमि भवन, वाहन, मित्र, साझेदारी, शांति, जल, जनता, स्थायी संपत्ति, दया, परोपकार, छल-कपट, अंतकरण की स्थिति, जलीय पदार्थों का सेवन, धन संचय, झूठा आरोप, अफवाह, प्रेम संबंध, प्रेम विवाह जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है.

मीन लग्न में गुरु (meen lagna me guru)

मीन लग्न में गुरु दसवे भाव का अधिपति होता है. दसवे भाव का अधिपति होने के कारण गुरु आपके जीवन में राज्य, मान प्रतिष्ठा, कर्म, पिता, प्रभुता, व्यापार, अधिकार, ऐश्वर्य भोग, कीर्तिलाभ, नेतृत्व, विदेश यात्रा, पैतृक संपत्ति जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है. उपरोक्त विषय में शुभ फल के लिए अपनी कुंडली में गुरू के स्थान का अध्ययन अवश्य कराएं.

मीन लग्न में शुक्र (meen lagna me shukra)

मीन लग्न में शुक्र तीसरे और आठवे भाव का अधिपति होता है. तीसरे भाव का अधिपति होने के कारण शुक्र आपके जीवन में नौकर, चाकर, सहोदर, अभक्ष्य पदार्थों का सेवन, क्रोध, भ्रम लेखन, कंप्यूटर, मोबइल, अकाउंट्स, पुरूषार्थ, साहस, शौर्य, दासता, योगाभ्यास जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है. वहीं इसके आठवे भाव का अधिपति होने के कारण यह जातक के जीवन में व्याधि, जीवन, आयु, मृत्यु का कारण, मानसिक चिंता, समुद्र यात्रा, नास्तिक विचारधारा, ससुराल, दुर्भाग्य, दरिद्रता, आलस्य, जेलयात्रा, अस्पताल, भूत-प्रेत, जादू-टोना जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है.

मीन लग्न में शनि (meen lagna me shani)

मीन लग्न में शनि ग्यारहवे और बारहवे भाव का अधिपति होता है. ग्यारहवे भाव का अधिपति होने के कारण शनि आपके जीवन में लोभ, लाभ गुलामी, संतान हीनता, कन्या संतति, रिश्तेदार, रिश्वतखोरी, बेईमानी जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है. वहीं शनि के बारहवे स्थाना पर होने के कारण शनि जातक के जीवन में निद्रा, यात्रा, हानि, दान, व्यय, दंड, विदेश यात्रा, भोग ऐश्वर्य, लंपटगिरी, परस्त्री गमन, व्यर्थ भ्रमण जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है.

मीन लग्न में राहु (meen lagna me raahu)

मीन लग्न में राहु सातवे स्थान का अधिपति होता है. सातवे स्थान का अधिपति होने के कारण राहु आपके जीवन में स्त्री, कामवासना, चोरी, झगड़ा, अशांति, उपद्रव, अग्निकांड जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है. आपकी कुंडली में यदि राहु बलशाली है तो आपको उपरोक्त विषय में अच्छे और शुभ फल देगा वहीं कमजारे होने पर वह अशुभ फल देगा.

मीन लग्न में केतु (meen lagna me ketu)

मीन लग्न में केेतु प्रथम स्थान का अधिपति होता है. प्रथम स्थान का अधिपति होने के नाते केतु जातक के जीवन में उसके रूप, चिन्ह, जाति, शरीर, आयु, सुख-दुख, विवेक, मस्तिष्क, व्यक्ति के स्वभाव, आकृति और उसके संपूर्ण व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है.

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By विजय काशिव

ज्योतिषी

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