Tue. Oct 8th, 2024
Arthritis

गठिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें पेशेंट के लिए चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है. विदेशों में इसे रोगों का राजा कहा जाता है. इसे वंशानुगत यानी कि जैनेटिक बीमारी माना जाता है. यह बीमारी अस्थि संधि से भी शुरू हो सकती है. इसमें आगे धीरे-धीरे अन्य छोटी-बड़ी संधियां प्रभावित होने लगती हैं और उनमें बदलाव आ जाते हैं. जिन लोगों में गठिया के लक्षण साफ दिखाई देने के बाद भी डॉक्टर के पास नहीं जाते और अपना इलाज नहीं कराते, वे अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण दस वर्ष कम कर लेते हैं और बहुत तकलीफ उठाते हैं. 

क्या हैं गठिया के लक्षण-

जोड़ों और पैर के अंगूठे में सूजन और दर्द से बीमारी की शुरुआती लक्षण मिलते हैं. यह गठिया के हमले की शुरूआत है. इस दौरान डॉक्टर को दिखाकर इलाज कराकर इसके हमले को धीमा किया जा सकता है या इस बीमारी को पूरी तरह रोका जा सकता है. यह समय महत्त्वपूर्ण होता है और यदि यही चला गया तो लाइफ के लिए यह खतरनाक हो सकता है. वैसे तो यह बीमारी पहले 40 वर्ष की उम्र के बाद होती थी लेकिन अब अब किसी भी उम्र में हो रही है. शुरुआत में यह बीमारी प्रभाव तेजी से दिखाती है और पीडि़त व्यक्ति पांच से दस साल के अंदर रोगी की हालत बेहद खराब हो जाती है. 

क्या हैं गठिया के कारण-

गठिया का सीधा कनेक्शन लाइफ स्टाइल से है. गठिया की शुरूआत मोटे, दिन में सोने और रात में जागने वाले व्यक्तियों, नमकीन चटपटे, गरम पदार्थों को ज्यादा खाने वालों को होती है. शराब, सिरका, आसव, गन्ना, दही, अजीर्ण अवस्था में गरिष्ठ खाना करने वालों में यह समस्या अधिक पाई जाती है. गठिया भी शूगर की तरह डाइजेशन, चयापचय और मेटाबालिज्म की बीमारी है. इससे ब्लड में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जो दालों से मिलने वाली प्यूरीन नाम के प्रोटीन का एक घटक होता है जिसके चलते अस्थि संधियों में सोडियम बाइयूरेट का जमाव क्रिस्टल के रूप में होने लगता है. इसका दर्द सुई की भांति तेज चुभने वाला होता है. यह जमाव गुर्दे और स्कीन में भी होता है. गठिया में किडनी, यूरीनल में दर्द या पथरी व धमनी संबंधी समस्याएं होती हैं.


Image Source: unsplash.com

ये हैं गठिया के लक्षण-

गठिया के पेशेंट को पहले पेट में जलन होती है. पेट में गैस की अधिकता होती है. मुंह के स्वाद में खराबी आ जाती है. भूख में गड़बड़ी और बेचैनी के लक्षण देखे जाते हैं. आधी रात को पैर के अंगूठे में अचानक पीड़ा होती हैं, जोड़ लाल पड़ जाते हैं दबाने पर गड्डा महसूस होता है, बुखार चढ़ जाता है. अंगूठे के जोड़ों में एक या दोनों तरफ सूजन हो जाती है. कभी-कभी तेज दर्द होता है. ब्लड टेस्ट यूरिक एसिड ज्यादा पाया जाता है. हड्डियों के जोड़ों और सिरों पर यूरेटस के क्रिस्टल का जमाव होता है जो एक्सरे टेस्ट दिखता है. वाइट ब्लड सेल्स और ई॰एस॰आर॰ में बढ़ोतरी दिखाई देती है. हाथों की अस्थियों और उंगलियों के पोरों में पोलापन महसूस होता है. हड्डियों में विकृति आ जाती है.

सतर्कता ही गठिया का  इलाज- 

गठिया का पेशेंट पहले-पहल इसे मामूली बात कहकर टालता है. सुनी-सुनाया ट्रीटमेंट लेता रहता है और खुदके ठीक होने की का इंतजार करता रहता है. लेकिन आगे चलकर ये बीमारी और गंभीर होती जाती है. पेशेंट को फिजिकली और मेंटली ज्यादा परेशानी होने लगती है. यदि इसका इलाज शुरुआत में ही हो जाए तो पेशेंट को काफी राहत मिलती है. 

क्या है गठिया का इलाज-

गठिया की चपेट में आने वाले ज्यादातर पेशेंट को अपनी लाइफ स्टाइल को बदलना चाहिए. ज्यादा देर तक तक पालथी मारकर बैठने, पैर को एक के ऊपर एक क्रास बनाकर रखने से इसे बढ़ावा मिलता है. कोशिश करें कि ज्यादा देर पालथी मारकर न बैठें. कुर्सी में बैठते या बिस्तर में सोते समय एक पैर के ऊपर दूसरा पैर ज्यादा देर न रखें.

अपना वजन व मोटापा कम करें. जोड़ों पर ज्यादा जोर न दें. कैल्शियम वाली चीजों को बढ़ावा दें. धूप में बैठें और विटामिन डी की मात्रा को संतुलित रूप से बनाएं रखें. हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाएं. घर के अंदर ज्यादा रहने वाली महिलाएं और शहरी महिलाएं धूप में कम ही रहती हैं इसलिए इनका धूप में रहना जरूरी है.

Image soucre: pixabay.com
Image soucre: pixabay.com

गठिया के पेशेंट को जूते और कपड़े तंग नहीं पहनना चाहिए. पैर मोड़कर ज्यादा न रहना चाहिए और खड़े होते समय दोनों पैर बराबर रखना चाहिए. कोशिश करें कि शरीर का वजन एक जैसा रहे. कुर्सी आदि में बैठते समय दोनों पैर का तला शरीर में एक समान हो. 

गठिया के पेशेंट बनने से पहले अपनी लाइफ में एक्सरसाइज को शामिल करें. ठंडे स्थानों में ज्यादा न रहें और ना ही ठंडी चीजें ज्यादा खाएं. इसके अलावा ज्यादा ठंडे पानी से न नहाएं और कोशिश करें कि गुनगुना या हल्का गर्म पानी प्रयोग करें. डॉक्टर के ट्रीटमेंट को गंभीरता से लें और एक्सरसाइज बिल्कुल ना छोड़ें. 

गठिया में क्या खाएं और क्या नहीं-
गठिया में तैलीय पदार्थों से बचें और शराब व सिरके का सेवन न करें. नॉनवेज बिल्कुल ना खाएं और चाय-काफी, चटनी-खटाई, मिठाई और गोभी, टमाटर, पालक, चौलाई, दही, सेम, उड़द आदि गैस बढ़ाने वाली चीजों को ना खाएं. यूरिक एसिड जिससे ज्यादा बढ़ता हो वो चीजें ना खाएं. पानी ज्यादा मात्रा में लें और पुराना गेहूं, चावल, जौ, मसूर, मूंग, करेला, परवल, फल, मिश्री, मक्खन, पनीर, साबूदाना ना खाएं. खाना हमेंशा सादा, गर्म, सुपाच्य और हल्का लें. पेशेंट  को कब्ज, इंनडाइजेशन यानी की अपच ना हो.

पेट हमेंशा साफ रहे इसका ध्यान रखें. इनएक्टिव और जैसी स्थिति में ज्यादा न रहें. रेगुलर दवाइयां लें और व्यायाम जरूर करें. हमेशा डॉक्टर के सम्पर्क में रहें. किसी भी स्थिति में हताश व निराश न हों हंसमुख रहें, इच्छाशक्ति को बनाए रखें. गठिया रोग के हो जाने पर अपनी लाइफ स्टाइल और खान-पान में बदलाव जरूर लाएं. ध्यान रखें इलाज में देरी घातक हो सकती है क्योंकि गठिया की अनदेखी और लापरवाही से यह खतरनाक हो जाता है.

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *