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Ayodhya Ram Temple: 22 जनवरी तक राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस कार्यक्रम को लेकर यूपी समेत देश-विदेश में खुशी का माहौल है. हर तरफ भगवान राम के भव्य मंदिर को लेकर ही चर्चा की जा रही है. वहीं, राम मंदिर और अयोध्या में उद्घाटन समारोह की तैयारी तेजी से चल रही है. इस दौरान राम मंदिर के प्रवेश द्वार की तस्वीरें सामने आई है. इन तस्वीरों को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने शेयर किया है.

ट्रस्ट ने शेयर की मूर्तियों की तस्वीर

ये मूर्तियां राजस्थान के बंसी पहाड़पुर गांव के हल्के गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर से बनी हैं. इस पत्थर से गज, सिंह, हनुमान जी, और गरुड़ जी की मूर्तियां बनाई गई, जिनको 4 जनवरी को स्थापित किया गया है. इससे पहले भी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर सिंहद्वार की तस्वीरें साझा की थीं.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने शेयर पोस्ट पर लिखा कि श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के प्रवेश द्वार पर आज गज, सिंह, हनुमान जी और गरुड़ जी की मूर्तियां स्थापित की गईं हैं. ये मूर्तियां राजस्थान के ग्राम बंसी पहाड़पुर के हल्के गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर से बनी हैं.

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं

  • मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है.
  • मंंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी.
  • मंदिर तीन मंजिला रहेगा. प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी. मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे.
  • मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा.
  • मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप
  • खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं.
  • मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा.
  • दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी.
  • मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी.
  • परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा.
  • मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा.
  • मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे.
  • दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.
  • मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है.
  • मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है.
  • मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.
  • मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे.
  • 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी.
  • मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी.
  • मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा.

By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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