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तलाक में पति भी मांग सकता है गुजारा भत्ता, जानिए तलाक गुजारा भत्ता से जुड़े नियम

तलाक होने पर हमेशा ये देखा गया है कि पति, पत्नी को गुजारा भत्ता (Divorce Alimony)देता है. लेकिन आज के समय में कई मामले ऐसे सामने आ रहे हैं जिसमें पति को पत्नी द्वारा गुजारा भत्ता दिया जा रहा है और पत्नी के गुजारा भत्ता मांगने पर इनकार किया जा रहा है.

गुजारा भत्ता क्या है? (Talak Gujara Bhatta Kya hai?)

गुजारा भत्ता एक ऐसा भत्ता है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को खाना, कपड़ा, घर, शिक्षा और मेडिकल जैसे बेसिक जरूरत के लिए वित्तीय रूप से मदद करता है. हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के तहत दो तरह के गुजारा भत्ते होते हैं.

1) अंतरिम गुजारा भत्ता
2) परमानेंट गुजारा भत्ता

अंतरिम गुजारा भत्ता उस भत्ते को कहा जाता है जब कोर्ट की कार्यवाही चल रही हो और शुरुआत में खर्च करने के लिए शिकायतकर्ता के पास पैसा न हो. वहीं परमानेंट गुजारा भत्ता तलाक के बाद मिलता है जो पति की संपत्ति और जिम्मेदारी को देखते हुए दिया जाता है.

पति को कितना गुजारा भत्ता देना होता है? (Amount of divorce alimony)

कोर्ट द्वारा अगर पति को गुजारा भत्ता देने के लिए कहा जाता है तो आखिर उसे कितना गुजारा भत्ता देना होगा? आमतौर पर मेंटेनेंस वाले केस में लगभग 20 प्रतिशत सैलरी का हिस्सा ही पत्नी को दिलवाया जाता है.

गुजारा भत्ता तय करते वक्त कोर्ट भत्ता देने वाले और मांगने वाले दोनों की कमाई के साधन, दोनों की जरूरत, उनके अलग रहने की वजह, दोनों की प्रॉपर्टी और घरवालों की जिम्मेदारी देखते हुए गुजारा भत्ता तय किया जाता है.

पत्नी को गुजारा भत्ता कब मिलता है? (Divorce Alimony Rule for Wife)

गुजारा भत्ता अधिकतर केस में पत्नियों को ही मिलता है. लेकिन इसके लिए निम्न स्थितियों को ध्यान में रखा जाता है.

– जब पति ने पत्नी को तलाक दिया हो.
– पति से पत्नी ने तलाक लिया हो.
– तलाक के बाद पत्नी ने दूसरी शादी न की हो .
– खुद का भरण-पोषण कर पाने में असमर्थ हो.

कुछ खास परिस्थतियों में पत्नी पति से गुजारा भत्ता की मांग नहीं कर सकती है.

– पत्नी खुद की कमाई से भरण-पोषण कर पा रही हो.
– पत्नी बेवजह ही पति से अलग रह रही हो.
– दोनों आपसी समझौते से अलग रह रहे हो.
– पत्नी का शादी के बाद किसी और से संबंध हो.

पति को गुजारा भत्ता कब मिलता है? (Divorce Alimony Rule for Husband)

कुछ खास परिस्थितियों में पति को भी गुजारा भत्ता मिल सकता है.
– जब पति बेरोजगार हो और पत्नी कमा रही हो.
– पति शारीरिक या मानसिक तौर पर कमजोर हो और पैसे कमाने के लायक न हो, जबकि उसकी पत्नी कमा रही हो.
– कोर्ट में तलाक का केस चल रहा हो और पति के पास फीस के पैसे न हो.
– पति के पास बुनियादी जरूरत के पैसे न हो.

लिव इन में रहने वाले पार्टनर के अधिकार (Divorce Rule for Live In couple)

काफी सारे कपल आजकल लिव इन में रहते हैं. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला अपने पार्टनर के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ते के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है. यहाँ तक कि लिव इन रिलेशन में पैदा होने वाला बच्चा भी हक रखता है.

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