कृष्ण संसार के सर्वाधिक लोकप्रिय और रहस्यमय देवता हैं. पूरी दुनिया के धर्मों और संस्कृति में जितने चर्चित कृष्ण हुए उतना कोई नहीं हुआ. वे एक ऐसे ईश्वर के रूप में प्रतिष्ठित हुए हैं जिसके बारे में पढ़ते, सुनते और जानते ही विश्व की हर संस्कृति आज भी जिज्ञासा से भर जाती है. गीता के जरिये श्रीकृष्ण ने संसार के सामने एक ऐसे विश्व ग्रंथ को रचा है जिसमें विश्व के हर व्यक्ति का दर्शन छिपा है.
क्यों अलग हैं श्रीकृष्ण
श्रीकृष्ण हिंदू संस्कृति में संपूर्ण अवतार माने जाते हैं. वे 16 कलाओं के ज्ञाता और हर विधा में निपुण हैं. श्याम वर्ण के और कई अद्भुत वे हैं एक लेकिन उनके रूप अनेक हैं.
एक ओर वे एक नटखट पुत्र हैं तो एक ओर आज्ञाकारी शिषय, एक तरफ सखा हैं तो दूसरी ओर असंख्य गोपियों के प्रेमी, कहीं युद्ध में सारथी बनकर अर्जुन को दिशा निर्देश दे रहे हैं तो दूसरी ओर वे दवारकाधीश के रूप में राजा हैं. कहीं गीता जैसे ग्रंथ से वे उच्चकोटि के दार्शनिक हैं. भारतीय संस्कृति में एक चरित्र की इतनी विविधता और रूप कहीं नहीं है.
हिंदू धर्म में विष्णु के अवतार
सनातन धर्म के अनुसार अधर्म और पाप का नाश करने के लिए भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतार लेते हैं. विष्णु ने क के 23 अवतारों को ‘श्रीराम’ और ‘श्रीकृष्ण’ का सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.
राम के रूप में जहां विष्णु मर्यादापुरुषोत्तम हैं और समाज व्यवस्था में निर्धारित नियमों के बीच रहना व आचरण करना सिखाते हैं तो वहीं कृष्ण के रूप में एक राजनीतिवेता हैं.
एक कलाकार, एक दार्शनिक और समस्त नियमों को तोड़कर नये नियमों को रचने वाले. उन्हें कई जगह लीलाधर भी कहा गया है. कृष्ण लीलाओं का विस्तार से वर्णन श्रीमद् भागवत में किया गया है. यह हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख ग्रंथ है. यह मनुष्य मात्र के लिए है. देश, काल, परिस्थिति से परे यह हर तरह के धर्म बंधन से परे है.

क्यों रहस्यमय हैं कृष्ण
कृष्ण को खास मानने वाले लोगों में जहां एक ओर उनके भक्तों की संख्या है तो वहीं पूरी दुनिया के बुद्धिवादियों, नास्तिकों पर भी लगातार कृष्ण छाए रहे हैं और उन्हें प्रभावित करते रहे हैं. विशेष रूप से गीता के जरिये जितना आश्चर्य उन्होंने दुनिया की सारी सभ्यताओं के भीतर पैदा किया गया है वैसा आज तक नहीं हुआ.
श्रीकृष्ण भारतीय हिंदू संस्कृति के भीतर एक ऐसे नायक के रूप में हैं जिसने हर समय में लोगों को प्रभावित किया. उन्हें जीवन जीने की कला सिखाई और निर्भय जीवन दर्शन दिया.
मथुरा में जन्में श्रीकृष्ण मामा कंस की क्रूर परछाई से बचते रहे और अंत में उन्होंने उनका नाश भी किया. कृष्ण का बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना में बीता. वे द्वारिका में रहे और सोमनाथ के पास स्थित प्रभास क्षेत्र में उनकी मृत्यु हुई. हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण की कहानियां और उनकी लीलाएं हर समय नई रही हैं और उनसे उत्पन्न शिक्षा ने लाखों करोड़ों लोगों को प्रभावित किया है.