राजीव गांधी हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं और देश के विकास में उनका महत्वपूर्ण स्थान है. क्योंकि राजीव गांधी ने ही 21वी सदी के भारत का खाका तैयार किया था. उनकी मृत्यु (Rajiv Gandhi Death) एक दर्दनाक तरीके से हुई थी. राजीवगांधी की हत्या में कई लोग शामिल थे जिसमें से कुछ लोगों को जेल की सजा सुनाई गई थी. हाल ही में उन्हीं में से एक की रिहाई सुप्रीम कोर्ट ने Article 142 के अंतर्गत विशेषाधिकार से की है.

राजीव गांधी की हत्या कैसे हुई? (Why Rajiv Gandhi Assasinated?)
21 मई 1991 को राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में एक चुनावी रैली आयोजित कर रहे थे. इसी दौरान एक महिला ने उन्हें एक हार पहनाया. महिला खुद मानव बम के रूप में थी. हार पहनाने के बाद ही बम फट गया और दर्दनाक तरीके से भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मृत्यु हो गई.
राजीव गांधी की हत्या किसने की? (Who Assasinate Rajiv Gandhi?)
राजीव गांधी की हत्या लिट्टे समूह की सोची-समझी साजिश थी, जिसे वे कई महीनों से अंजाम देने की फिराक में थे. इनके ग्रुप में कई लोग थे जो मर-मिटने के लिए तैयार थे. राजीव गांधी की हत्या के मामले में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था उनका नाम मुरूगन, एजी पेरारिवलन, संथन, एस नलिनी, पी रविचंद्रन, जय कुमारन और पयास थे. इन सभी में से एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने के ऑर्डर दिये हैं.
अनुच्छेद 142 क्या है? (Explain Article 142 in Hindi)
अनुच्छेद 142 (What is Article 142?) के अनुसार सुप्रीम कोर्ट को ये पावर है कि
- जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सर्वोच्च न्यायालय का आदेश सर्वोपरि होगा.
- अपने न्यायिक निर्णय देते समय न्यायालय ऐसे निर्णय दे सकता है जो इसके समक्ष लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिये आवश्यक हों और इसके द्वारा दिये गए आदेश संपूर्ण भारत संघ में तब तक लागू होंगे जब तक इससे संबंधित किसी अन्य प्रावधान को लागू नहीं कर दिया जाता है.
- संसद द्वारा बनाए गए कानून के प्रावधानों के तहत सर्वोच्च न्यायालय को संपूर्ण भारत के लिये ऐसे निर्णय लेने की शक्ति है जो किसी भी व्यक्ति की मौजूदगी, किसी दस्तावेज़ अथवा स्वयं की अवमानना की जाँच और दंड को सुरक्षित करते हैं.
कैसे रिहा हुआ राजीव गांधी का हत्यारा (AG Perarivlen Relese News)
राजीव गांधी की हत्या के मामले में एजी पेरारिवलन, मुरूगन, संथन और नलिनी को कोर्ट के द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी. संवैधानिक प्रक्रिया के तहत चरोइन ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी लेकिन राष्ट्रपति ने 11 वर्षों तक कोई फैसला नहीं सुनाया. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.
उम्रक़ैद में किसी दोषी को 14 वर्ष की जेल होती है. इन दोषियों की सजा 30 वर्ष हो जाने पर तमिलनाडु सरकार ने इनकी रिहाई की मांग की. राज्य सरकार के मंत्रीमण्डल ने इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित किया और उसे स्वीकृति के लिए राज्यपाल के पास भेज दिया. राज्यपाल ने उस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेज दिया.
मामला जब सुप्रीम कोर्ट में आया तो केंद्र सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति के पास मंत्रिमंडल का प्रस्ताव है अब वे ही इस मामले में अंतिम फैसला ले सकते हैं. तब कोर्ट ने कहा कि यदि एक सप्ताह में राष्ट्रपति का फैसला नहीं आया तो संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट विशेष पावर का उपयोग करके पेरारिवलन को रिहाई का आदेश दे देगा. जब समय पूरा हुआ तो सुप्रीम कोर्ट ने यही किया. परिणाम स्वरूप राजीव गांधी का हत्यारा एजी पेरारिवलन रिहा हो गया है.
पेरारिवलन तमिलनाडू के वेल्लोर में पदीय हुआ था. गिरफ्तारी के समय वह इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में अपना डिप्लोमा पूर्ण कर चुका था. जेल में रहकर उसने बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उसने इसी में मास्टर्स किया. उसने ये एक्जाम 90 फीसड़े से ज्यादा नंबर से पास किया था. उसकी रिहाई में उसके अच्छे बिहेवियर का भी काफी ज्यादा योगदान है.
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