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Budget 2023: क्या होता है बजट, जानिए कितने प्रकार के होते हैं बजट?

budget kya hai

भारत में हर वर्ष 1 फरवरी को संसद में बजट पेश किया जाता है. जिसके बाद देश की अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव आते हैं. बजट हर साल अपने साथ कुछ न कुछ परिवर्तन लेकर आता है. बजट तो हर साल आता है, (Budget Kya hai?) इसमें होने वाले बदलाव के बारे में भी हम दिलचस्पी से पढ़ते हैं लेकिन बजट क्या होता है और कितने प्रकार का होता है इस बारे में काफी कम ही जानते हैं.

बजट क्या होता है? (What is Budget?)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 (Article 112) में केन्द्रीय बजट का जिक्र है. बजट सरकार की वार्षिक आय और व्यय का एक विवरण है. बजट आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित व्यय और अपेक्षित प्राप्तियों या राजस्व की रूपरेखा तैयार करता है. बजट सरकार की बैलेंस शीट को भी दर्शाता है. बजट लोगों को देश की अर्थव्यवस्था के बारे में भी सूचित करता है.

बजट केंद्र सरकार संसद में पेश करती है. मतलब ये केंद्र सरकार का बजट होता है. केंद्र सरकार पूरे देश को सुचारु रूप से चलाने के लिए पैसों की जरूरत होती है. सरकार ये पैसा आपसे डायरेक्ट और इन डायरेक्ट टैक्स के रूप में वसूलती है. बजट में आम जनता को यही बताया जाता है की सरकार आने वाले समय में किस सेक्टर पर कितना पैसा खर्च करने वाली है, कितनी नौकरियां लाने वाली हैं, कितनी योजनाएं लाने वाली है. इसके साथ ही ये भी बताती है कि सरकार अपनी कमाई के लिए आप पर कितने रेट पर टैक्स लागू करने वाली है.

आपने देखा होगा कि जब सरकार बजट लाती है तो इनकम टैक्स की रेट में बदलाव होता है. कई चीजों के दाम बढ़ जाते हैं वहीं कई चीजों के घट भी जाते हैं. ऐसा सरकार अपनी आय को अपने व्यय के बराबर करने के लिए करती है. जिस तरह हम अपनी आय के हिसाब से अपना खर्च चलाते हैं ठीक उसी तरह सरकार भी देश को चलाती है.

बजट के प्रकार (Types of Budget)

सरकार जो बजट बनाती है उसकी प्रक्रिया के दौरान सरकारी हस्तक्षेप, सरकार के कल्याणकारी स्वरूप, देश हित आदि के आधार पर बजट को अनेक रूप में बांटा गया है.

1) आम बजट

ये एक सामान्य तरह का बजट है जिसमें समस्त आय और व्यय का लेखा जोखा होता है. इस बजट में वस्तुओं या मद का महत्व उद्देश्य की अपेक्षा अधिक होता है. इसे पारस्परिक बजट भी कहते हैं. बदलते हुए स्वरूप को देखते हुए बजट की यह प्रणाली भारत की समस्याओं को सुलझाने में असफल रही है. इसके स्थान पर निष्पादन बजट की आवश्यकता महसूस के गई है.

2) निष्पादन बजट

वह बजट जिसका निर्माण परिणामों को ध्यान में रखकर किया जाए वह निष्पादन बजट कहलाता है. इसमें सरकार उपलब्धियों पर ध्यान रखते हुए प्रस्तावित कार्यक्रमों की रूपरेखा एवं उन पर खर्च किए जाने वाले सभी मदों का मूल्यांकन आदि करती है. इसे उपलब्धि बजट भी कहा जाता है. भारतीय संसद में साल 2005 को निष्पादन बजट पेश किया गया था.

3) आउटकम बजट

वो बजट जिसमें साधनों के साथ-साथ उन लक्ष्यों को भी निर्धारित किया जाता है जिन्हें प्राप्त करना आवश्यक माना जाता है. इस बजट के अंतर्गत एक वित्तीय वर्ष के लियए किसी मंत्रालय अथवा विभाग को आवंटित किए गए बजट में मूल्यांकन किए जा सकने वाले भौतिक लक्ष्यों का निर्धारण इस उद्देश्य बजट से किया जा सकता है.

4) संतुलित बजट

यह एक आधार बजट है जिसे व्यवहार में लाना मुश्किल है. इस तरह के बजट में विभिन्न क्षेत्रों का समान अनुपात में आवंटन किया जाता है. इसमें व्यय एवं प्राप्ति का अंतराल सीमित होता है. जिसके परिणामस्वरूप बजट के अनुमानित घाटे एवं वास्तविक घाटे में भी अंतर नहीं है.

5) लैंगिक बजट

इस तरह के बजट को महिला एवं शिशु कल्याण को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. यह बजट अधिकांश तौर पर महिला विकास एवं सशक्तिकरण की योजनाओं के लिए राशि सुनिश्चित कराता है.

6) शून्य आधारित बजट

इस तरह के बजट में पिछले वर्षं के आँकड़ों को आधार न मानकर शून्य को आधार माना जाता है. इस बजट को तब अपनाया जाता है जब आम बजट घाटे में चलने लगता है. बढ़ते घाटे पर अंकुश लगाने में ये सहायक होता है.

बजट का मुख्य काम होता है सरकार की आय-व्यय का हिसाब रखना. भारत के लोकतान्त्रिक गणराज्य है जहां जनता द्वारा, जनता के लिए शासन किया जाता है. ऐसे में सरकार कहाँ पर कितना पैसा खर्च कर रही है और कितना कमा रही है इस बात की जानकारी बजट के माध्यम से दी जाती है.

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