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आर्थिक सर्वेक्षण से Zero Budget तक, क्या होता है बजट में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का मतलब?

budget glossary 2022

साल 2022 में 1 फरवरी को देश का बजट पेश होने वाला है. इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन वास्तव में क्या होगा ये आने वाले समय पर ही निर्भर करेगा. यदि आप बजट (Budget 2022) को समझना चाहते हैं तो आपको बजट में इस्तेमाल होने वाले कुछ खास शब्दों की जानकारी जरूर होना चाहिए.

बजट की अपनी शब्दावली होती है. इसमें कई तरह के शब्दों का उपयोग किया जाता है जो आम लोगों की समझ से बाहर होते हैं. ऐसे ही कुछ शब्दों के मतलब हम आपको बताने वाले हैं.

आर्थिक सर्वेक्षण क्या होता है? (What is economic survey?) 

बजट पेश करने के ठीक एक दिन पहले सरकार संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करती है. इसे इकनॉमिक सर्वे भी कहा जाता है. इसमें भारत की अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर पेश की जाती है. इसके जरिये देश की वर्तमान अर्थव्यवस्था की हालत के बारे में संसद में बताया जाता है. इसमें सरकार की नीतियों के बारे में, साल भर विकास में क्या ट्रेंड रहा, किस क्षेत्र से कितनी पूंजी आई, कौन सी योजना किस तरीके से लागू हुई, कितना खर्च हुआ? इसका पूरा ब्यौरा रहता है. इसे बजट का मुख्य आधार माना जाता है.

वित्त वर्ष क्या होता है? (What is financial year?) 

अंग्रेजों के अनुसार जनवरी से दिसंबर तक एक साल होता है, हिन्दू धर्म में चैत्र से फाल्गुन तक एक साअल होता है. लेकिन आर्थिक मामलों में साल अलग होता है. भारत में सरकारी वित्तीय कामकाज वित्त वर्ष के हिसाब से होते हैं. भारत में वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता है और 31 मार्च पर खत्म होता है. बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों में जो आपका एक साल होता है वो अप्रैल से मार्च तक होता है.

प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर क्या होते हैं? (Direct and indirect tax) 

सरकार देश के हर व्यक्ति से टैक्स वसूलती है. वो प्रत्यक्ष रूप से भी हो सकता है और अप्रत्यक्ष रूप से भी. जब आप अपनी आय पर सरकार को टैक्स देते हैं तो उस टैक्स को प्रत्यक्ष कर कहा जाता है. जैसे इनकम टैक्स होता है. इसके अलावा आप किसी सर्विस या किसी प्रॉडक्ट को खरीदने के लिए जो टैक्स चुकाते हैं उसे अप्रत्यक्ष कर कहते हैं. क्योंकि ये प्रॉडक्ट की कीमत में जोड़कर ही आपको दे दिया जाता है.

जीएसटी एवं एक्साइज़ ड्यूटी (GST and Excise Duty) 

जीएसटी का मतलब गुड्स एंड सर्विस टैक्स है. इसे हिन्दी में वस्तु एवं सेवा कर भी कहा जाता है. ये देशभर में लगने वाला एक समान टैक्स है. इसे वस्तु एवं सेवाओं पर लगाया जाता है. जब आप किस प्रॉडक्ट को खरीदते हैं तो उसे खरीदने के बदले में आपको उस पर अलग से टैक्स देना होता है जिसे जीएसटी कहा जाता है. इसके अलावा जो टैक्स शराब तथा अन्य चीजे जो सरकार के अधीन आती है उन पर लगाए जाने वाला टैक्स एक्साइज ड्यूटी कहा जाता है.

कस्टम ड्यूटी क्या होती है? (What is Custom Duty?)

आपने किसी दूसरे देश से कोई चीज बिजनेस करने के लिए मँगवाई तो सरकार उस पर टैक्स लेगी जिसे कस्टम ड्यूटी कहा जाता है. कस्टम ड्यूटी ज्यादा होने से उस प्रॉडक्ट की कीमत में बढ़ोतरी देखी जाती है. जैसे आप कोई इलेक्ट्रोनिक प्रॉडक्ट बनाते हैं उसके लिए आपको किसी छोटे पार्ट को किसी दूसरे देश से मंगवाना पड़ता है तो जब वो भारत आएगा तो उसे लेने के लिए आपको भारत सरकार को कस्टम ड्यूटी देनी पड़ेगी. इसके बाद वो माल आपको मिल जाएगा. अगर वो कस्टम ड्यूटी आपको ज्यादा देनी पड़ी तो आप भी आगे चलकर प्रॉडक्ट की कीमत को बढ़ाकर लेंगे.

ब्लू शीट क्या होती है? (What is Blue sheet?) 

बजट सैकड़ों पेज का होता है. बजट के प्रमुख आंकड़े वाली नीले रंग की सीक्रेट शीट को ब्लू शीट कहा जाता है. ये बजट की बेकबोन होती है. इसे हर हाल में गुप्त रखा जाता है.

राजकोषीय घाटा क्या होता है? (What is Fiscal deficit?)

सरकार को सालभर में कमाना भी होता है और खर्च भी करना होता है. जब सरकार की आय उसके खर्च से कम होती है तो सरकार को घाटा होता है इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है. किसी देश की आर्थिक नीति के लिए ये सबसे महत्वपूर्ण डाटा होता है.

राजस्व घाटा क्या होता है? (What is Revenue Loss?) 

सरकार को जो राजस्व मिलता है उससे अधिक राजस्व यदि खर्च हो जाता है तो उसे राजस्व घाटा कहा जाता है. इसका मतलब ये होता है कि सरकार हर दिन का हिसाब-किताब रखने के लिए सरकार की आय पर्याप्त नहीं है.

बजट एस्टिमेट क्या होता है? (What is Budget Estimate?) 

आने वाले साल में सरकार की कितनी कमाई होगी और सरकार इसमें से कितना खर्च करेगी इसे बजट एस्टिमेट कहा जाता है. इसमें एक अनुमान लगाया जाता है और संसद में बताया जाता है कि बजट का अनुमान कितना रहने वाला है.

Consolidated Fund of India  क्या है?

एक वित्तीय वर्ष में सरकार को जो भी राजस्व मिलता है, जो पैसे उधार मिलते हैं, सरकार जो लोन लेती है वे सभी Consolidated Fund में जाते हैं. सरकार को अपने सभी खर्चो के लिए यहीं से पैसे मिलते हैं. सरकार संसद की मंजूरी के बिना यहाँ से पैसे नहीं निकाल सकती.

विनिवेश क्या होता है? (What is Disinvestment?) 

बजट के दौरान विनिवेश की बात भी की जाती है. सरकार की कई कंपनियों में हिस्सेदारी होती है, कई सरकार के अधीन संस्थान होते हैं. अगर सरकार इनकी कुछ हिस्सेदारी किसी को बेचती है तो इसे विनिवेश कहा जाता है.

जीडीपी क्या होती है? (What is GDP?)

जीडीपी का पूरा नाम सकल घरेलू उत्पाद होता है. ये एक वर्ष के दौरान देश की सीमा भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को जोड़कर हासिल होता है. पिछले वर्ष के मुक़ाबले इस वर्ष कितना उत्पादन हुआ किस रफ्तार से हुआ यही जीडीपी कहलाती है. किसी देश की आर्थिक तरक्की को नापने के लिए ये एक पैमाना है.

जीरो बजट (What is Zero Budget?) 

जीरो बजट का उपयोग भी बजट के दौरान किया जाता है. इसका मतलब होता है कि पिछले वित्त वर्ष में कोई बैलेंस या खर्च को आगे फिर से नहीं दिया जाएगा. जैसे किसी सांसद को उसके क्षेत्र के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये एक वित्तीय वर्ष में मंजूर किए. सालभर में वो सिर्फ 8 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया. ऐसी स्थिति में उसे अगले वित्तीय वर्ष के लिए दो करोड़ रुपये अलग से नहीं दिये जाएंगे. अगले वित्तीय वर्ष में नए सिरे से उसके लिए जरूरत के हिसाब से पैसे आवंटित किए जाएंगे.

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