Sat. Dec 7th, 2024

दुनिया में हर व्यक्ति अलग होता है. हर एक वस्तु, हर गंध, हर आकार, फूल, पौधे, वृक्ष, जीव-जंतु प्राणी और इस पृथ्वी की हर एक चीज अपने आप में अलग है. जो कार्य शेर कर  सकता है वह गाय नहीं कर सकती और जो गाय करती है वह शेर से अपेक्षित नहीं है. हवाई जहाज उड़ाने वाला व्यक्ति जरूरी नहीं है कि एक बहुत अच्छी बस चलाए और बस  चलाने वाला व्यक्ति कलेक्टर का काम कर सके.

दरसअल, विज्ञान के नियमानुसार इस विश्व में हर जीवित और निर्जीव व्यक्ति वस्तु अपनी एक अलग खासियत के साथ यहां मौजूद हैं. यदि आपने अपने आस-पास की दुनिया को  गौर किया हो तो आपके पास मौजूद हर व्यक्ति का चेहरा, मोहरा, हाथ-पैर कद काठी और पूरा व्यक्तित्व अलग होता है. इस संपूर्ण ब्रह्मांड में हर चीज एक जैसी नहीं है और ना ही  स्थिर है.

इसके ठीक विपरित यहां की हर चीजें परिवर्तनशील और अलग है. हर प्रतिभा, हर हुनर हर गुण अपने आप में हर व्यक्ति को दूसरे से अलग बनाता है. लेकिन इस छोटी और शाश्वत बात को समझे बिना हर व्यक्ति ना केवल दूसरे को तीसरे से ऊंचा समझता है बल्कि खुदको कम भी आंकता है.

बात बड़ेे लोगों की ही नहीं बल्कि कई परेंट्स अपने बच्चों के साथ (parenting tips) ऐसा करते हैं. हर माता-पिता के लिए जरूरी है कि वह अपने बच्चों की तुलना किसी भी दूसरे बच्चे से ना करें. यह बिल्कुल ना सोचें कि हमारा बच्चा दूसरे के बच्चे की तरह हो. (parenting tips for parent) हर माता-पिता को कुछ जरूरी चीजों को ध्यान रखना चाहिए जिससे वह अपने बच्चे की तुलना यदि जाने-अंजाने भी दूसरे बच्चों से कर रहे हैं तो उससे बचें.

बच्चों की पढ़ाई-लिखाई (study tips for students) की तुलना दूसरे बच्चों से ना करें. उनकी मार्कशीट, उनके सब्जेक्ट्स और अन्य स्कूली गतिविधियों को एकांत में स्कूल टीचर से डिस्कस कर सकते हैं लेकिन  ऐसा करते हुए यदि टीचर भी आपके बच्चे की तुलना में दूसरे बच्चे का नाम ले रही है तो उन्हें भी ऐसा करने से रोकें. यदि आप टीचर हैं तो खुद भी भूलकर ऐसा ना करें. 

बच्चे की खूबियों (how to appreciate your child) को पहचानें और उसे निखारेंं. गलतियों को बताएं और उन्हें सुधारने का प्रयास करें. बार-बार गलतियों पर टोकें नहीं. ऐसा करना उनके आत्मविश्वास को तोड़ता है  और आपके प्रति उसके मन में नकारात्मता भरता है.

बच्चों को घर में पहुंचे किसी मेहमान के सामने (avoid putting too much pressure on Kids) जबरदस्ती किसी तरह की एक्टिविटी करने के लिए दबाव ना डालें. यदि उसे मन से ऐसा करना अच्छा लगता है तो विश्वास बढ़ाएं  लेकिन दस लोगों के सामने उसे बुलाकर किसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद ना खुद करें ना अपनी अपेक्षाओं का भार उस पर डालें. 

बच्चे की पढ़ाई लिखाई से संबंधित किसी भी चीज को केवल बच्चे की कमी समझकर ही उस पर दोषारोपण ना करते रहें. हमारी अपनी शिक्षा पद्धति में (problem of education in India) कई तरह की समस्याएं हैं ऐसे में नादान और मासूम बालक व्यर्थ तनाव का शिकार बनते हैं.

केवल अपना मोबाइल-टीवी (avoid mobile phone and gadgets) या फिर काम को लेकर ही केंद्रित ना रहें. आपको ऑफिस से आकर बच्चों को टाइम देना (how to give quality time to your child) होगा. उसके साथ खेलने के लिए समय निकालना होगा. यदि मोबाइल आप देखते भी हैं तो उसे यूट्यूब से लेकर दूसरे वीडियो पर अच्छी बातें बताएं. सुंदर कथाएं, अपनी संस्कृति से संबधित चीजों से परिचित कराएं.

मां के लिए जरूरी है कि वह दिनभर घर में रहते हुए अपने बच्चे से ( parenting tips for mothers) बातें करें. परिवार, रिश्तेदारों और अन्य चीजों के बारे में उसे बताए. काम करते वक्त अपने काम में उसे शामिल करें. सब्जी खरीदना, घर में कपड़े धोना, खाना बनाना जैसे छोटे-बड़े कामों में उसका सकारात्मक सहयोग लें और उसका आत्मविशास बढ़ाएं.

इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा ना तो हर काम में पूर्ण हो सकता है और ना ही आप उसे एकदम नकारा मानें. वह ईश्वर की ओर से आपको दिया हुआ अनमोल उपहार है.

बच्चे ना किसी मॉल में मिलेंगे ना ऑनलाइन शॉपिंग में. उन्हें उतना ही डांटें जितना जरूरी हो. अपेक्षाएं उतनी ही हों जितनी बच्चे की क्षमता. घर में सद्विचारों, संस्कारपूर्ण माहौल बनाना बतौर माता-पिता आपका काम है. (how to guide a child) परवरिश की जिम्मेदारी आपकी है. आपकी कमजोरी से उसका भविष्य दांव पर लग सकता है.

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