Sat. Apr 27th, 2024

भूलने की बीमारी है अल्जाइमर, बुढ़ापे की बजाय जवानी में हो रही

कहीं आप बात करते हुए कुछ भूल तो नहीं जाती जैसे विषय के बारे में या शब्दों के बारे में. कभी-कभी रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली चीजों के नाम तक भी आपकी जुबां तक आते-आते न जाने कहां गायब हो जाते हैं, बाद में चाहे याद आ जाएं. इस समस्या को हल्का न लें. हो सकता है स्ट्रेस में रहने के कारण आपके साथ ऐसा हो रहा हो या अल्जाइमर रोग की शुरूआत हो.

 क्या कहता है सर्वे

एक सर्वे के अनुसार दुनियां भर में करीब 1 करोड़ 60 लाख लोग अल्जाइमर रोग से पीडि़त हैं. अधिक मरीज़ विकासशील देशों से हैं. अमेरिका में हुई रिसर्च में महिलाएं इस रोग से अधिक पीडि़त हैं. इसकी वजह है स्ट्रेसफुल लाइफ स्टाइल.

एक रिसर्च के अनुसार महिलाएं कम उम्र से ही तनाव में रहने लगती हैं और उम्र के मध्य पड़ाव तक पहुंचते-पहुंचते इस रोग के दायरे में दोगुना तक आ जाती हैं यानी उनमें अल्जाइमर होने का 80 प्रतिशत खतरा बढ़ जाता है. दूसरी तरफ सामान्य जिंदगी जीने वाली महिलाओं को इसकी शिकायत 20 प्रतिशत रहती है. सर्वे के बाद इस बीमारी के कारण को जाना गया.

 बहुत सी महिलाएं हर बात पर तनाव बनाकर रखती हैं. इस कारण उनका स्वभाव चिड़चिड़ा, नर्वस रहना, बेचैन रहना उनकी आदत में शुमार हो जाता है. इससे उन्हें नींद नहीं आती और कोई न कोई डर उन्हें जकड़े रहता है. यही टेंशन बाद में अल्जाइमर की वजह बन जाती है.

कई काम एक साथ तो नहीं करते

एक मनोचिकित्सक के अनुसार, ‘महिलाओं को एक साथ कई कामों पर ध्यान देना पड़ता है मसलन नौकरी, बच्चे, घर, रिश्तेदार, खरीदारी आदि. उनके दिमाग एक साथ कई चीजों पर चलते रहते हैं. यही कारण हैं कि वे उसी समय में कई काम निबटाना चाहती हैं और काम पूरे न होने पर या सही न होने पर वे तनावग्रस्त हो जाती है. बार-बार दिमाग तनाव से भर जाता है और कई रोग घेर लेते हैं. अभी तक इसे बुढ़ापे की बीमारी माना जाता था पर आधुनिक समय में अधिक तनाव ने कम उम्र वालों को भी इसे अपना शिकार बना लिया है.

 क्यों होता है ये रोग?

एमिलॉयड फ्लेवस नाम से दिमाग की कोशिकाओं में धीरे-धीरे जमा होने के कारण याददाश्त कमजोर पड़ती जाती है जैसे-जैसे कोशिकाएं संकरी होती जाती हैं वैसे-वैसे यह रोग बढ़ता जाता है. अल्जाइमर डिमेंशिया से ब्रेन के प्रोसेस में दिक्कतें आने लगती हैं. अगर तनाव लगातर बना रहता है तो यह रोग दिन प्रतिदिन बढ़ जाता है.

इसके कारण ब्रेन कमजोर होता चला जाता है और व्यक्ति की सीखने की क्षमता, बात करने की क्षमता, रोजमर्रा काम करने की क्षमता कम होती जाती है. इससे वो और परेशान होकर चीजों को रखकर भूलने लगता है. जरूरी बातें दिमाग से निकल जाती हैं और बात करते करते सही शब्द का प्रयोग नहीं कर पाता. दिमाग सिकुड़ने लगता है और नार्मल बिहेव बनाए रखने की क्षमता कम हो जाती है.

By नीतू गुप्ता

लेखक और पत्रकार.

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *