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Anant Chaturdashi 2021: अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त, पूजन, व्रत कथा और गणेश विसर्जन का मुहूर्त

anant chaturdashi

भगवान गणेश के ग्यारह दिन के उत्सव के समाप्ति का दिन अनंत चतुदर्शी कहा जाता है. दूसरे शब्दों में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को (anant chaturdashi 2021 date) अनंत चतुर्दशी कहा जाता है. इस बार अनंत चतुर्दशी (anant chaturdashi 2021 date in India calendar) 19 सितंबर को पड़ रही है और (pitru paksha 2021 start date and time) 20 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू होने जा रहा है. अनंत चतुदर्शी से आशय है उस अनंत हरि की उपासना और व्रत का दिन. शास्त्रों में अनंत चतुदर्शी का बड़ा महत्व बताया गया है.

अनंत चतुर्दशी पूजन विधि और व्रत (anant chaturdashi ka mahatva)

अनंत चतुर्दशी के दिन प्रात: स्नानादि करने के बाद अक्षत् अर्थात् चावल, दूर्वा और शुद्ध रेशम जिसे कपास का सूत कहा जाता है उसे हल्दी से रंगकर चौदह गांठ लगाकर अनंत को सामने हवन करने की परंपरा है. (anant chaturdashi puja vidhi) पूजन के बाद इस अनंत को पुरुष को दाहिने यानी की सीधे हाथ में जबकि स्त्री को बायीं कलाई में बांधा जाता है.

अनंत चतुर्दशी का (anant chaturdashi vrat kab hai) व्रत रखते समय सिमई युक्त, या बिना नमक का भोजन किया जाता है. यदि आप इस दिन निराहार रहें तो श्रेयस्कर होता है. कहा जाता है कि जो भी जातक इस व्रत का 14 सालों तक विधि-विधान से पालन करता है उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. (ganesh visarjan 2021 date) अनंत चतुर्दशी के दिन ही भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है.

अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Why is Anant Chaturdashi celebrated?)

अनंत चतुर्दशी जहां गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर लोक में प्रचलित है वहीं इस दिन का पुराणों में भी (what is the significance of anant chaturdashi) बहुत महत्व बताया गया है. पौराणिक कथाओं में इस अनंत चतुर्दशी का संबंध युधिष्ठिर से है.

कथा के अनुसार पांडवों के पास से जब उनका राज्य चला गया तब राज्यहीन होने पर भगवान श्रीकृष्ण ने ही उन्होंने अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने के लिए कहा. (anant chaturdashi ka udyapan kaise karen) भगवान ने कहा कि इस व्रत को रखने से तुम्हें ना केवल राज्य की प्राप्ति होगी बल्कि जीवन में स्थिरता की भी प्राप्ति होगी.
कथा के अनुसार श्रीकृष्ण की अनंत चतुर्दशी के व्रत करने की सलाह पर जब युधिष्ठिर ने पूछा कि यह अनंत से क्या आशय है प्रभु? तो भगवान ने कहा कि अनंत श्री हरि विष्णु के ही स्वरूप हैं. कृष्ण ने कहा कि हे युधिष्ठिर इस अनंत चतुर्दशी के व्रत को विधि-विधान और श्रद्धापूर्वक करने से जीवन के सारे संकट समाप्त होते हैं.

अनंत चतुर्दशी तिथि और शुभ मुहूर्त (Anant chaturdashi shubh muhurat)

अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर 2021 को पड़ रही है. तिथि के अनुसार यह भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि होगी-
अनंत चतुर्दशी तिथि आरंभ होने की बात करें तो यह तिथि 19 सितंबर 2021, रविवार सुबह 6 बजकर 07 मिनट से
आरंभ होगी और दूसरे दिन यानी की 20 सितंबर 2021 सोमवार की सुबह 5.30 समाप्त हो जाएगी.

अनंत चतुर्थी के व्रत की कथा (Anant chaturdashi vrat katha in hindi)

अनंत चतुर्थी का नियम धरम और विधि-विधान से व्रत रख पूजन करने के बाद व्रत की कथा भी सुनना चाहिए. इस व्रत की कथा के अनुसार-

एक सुमंत वशिष्ठ गोत्री ब्राह्मण थे और उनकी पत्नी थी दीक्षा थी. दीक्षा महर्षि भृगु की कन्या थी. सुमंत वशिष्ठ और दीक्षा की पुत्री का नाम सुशीला था. लेकिन सुमंत की पत्नी दीक्षा की अचानक मृत्यु हो गई जिसके बाद सुमंत वशिष्ठ गोत्री ब्राह्मण ने दूसरा विवाह कर्कशा नाम की कन्या से कर लिया. जबकि उनकी पुत्री सुशीला का विवाह कौंडिन्य मुनी से हुआ. 

कथा कहती है कि विवाह के पश्चात् कर्कशा सुशीला से क्रोधित रहती थी जिसके चलते सुशीला कर्कशा के कोप का भाजन बनी और साधनहीन हो गई. साधनहीन सुशीला एक दिन अपने पति के साथ नदी के पास पहुंची तो वहां उसने कई महिलाओं को अनंत चतुर्थी का व्रत करते देखा. नदी के तट पर ही सुशीला को महिलाओं ने अनंत चतुर्थी के व्रत की महिमा बताई और अनंत सूत्र बांधने का महत्व बताया-

ऐसे ही एक और दूसरी कथा के अनुसार भाद्रपद की चतुर्थी के दिन भगवान विष्णु ने अपने अनंत रूप को दिखलाया था और इस दिन उनके अनंत रूप की ही पूजा आराधना की जाती है. कहा जाता है श्रीहिर ने इस दिन सृष्टि के में 14 लोकों की रचना की. 14 लोकों में तल, अतल, वितल, सुतल, सलातल, रसातल, पाताल, भू, भव:, स्व:, जन, तप, सत्य मह शामिल होते हैं. कथा के अनुसार इन्हीं सारे 14 लोकों की रक्षा के लिए श्रीहरि विष्णु ने अनंत रूप धारण किए थे.

यही वजह है कि इस दिन को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से विष्णु लोक की भी प्राप्ति होती है. और मनुष्य के जीवन में सुख, समृद्धि और एश्वर्य की प्राप्ति होती है.

आप अनंत चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन (ganesh visarjan 2021 muhurat time) इस चौघड़िया और मुहूर्त में कर सकते हैं.

अनंत चतुर्थी तारीख-19 सितंबर

सुबह – 07:39 से लेकर दोपहर 12:14 तक गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए शुभ समय है.

इसके बाद दोपहर 01:46 से लेकर 03:18 बजे तक का समय भी गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए शुभ है.

यदि आप शाम को विसर्जन करना चाह रहे हैं तो शाम को 06:21 से लेकर रात को 10:46 बजे तक गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए शुभ है.

यदि रात में विसर्जन करना चाह रहे हैं तो आप रात्रि 01:43 से लेकर सुबह 20 सितंबर 03:11बजे तक गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन कर सकते हैं.

इसके बाद उषाकाल मुहूर्त में सुबह 04:40 से 06:08 तक का समय भी भगवान गणेश की प्रतिमा विसर्जन के लिए शुभ है.

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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