हर व्यक्ति पैदा होने के साथ सुनने की क्षमता लेकर पैदा होता है. लेकिन कई बार कुछ बच्चों में जन्मजात सुनने की क्षमता (hearing loss) नहीं होती या उनमें बहरापन (deafness) होता है. कुछ लोग अपने जीवन में बाद में बहरेपन के शिकार हो जाते हैं. बहरापन इंसान को मानसिक रूप से काफी परेशान करता है खासतौर पर उन लोगों को जिन्हें अपने जीवन में बाद में बहरेपन का सामना करना पड़ा हो क्योंकि इन्होंने अपने सुनने की क्षमता का अहसास पहले कर लिया इसके बाद कम होने पर वे मानसिक रूप से काफी परेशान हो जाते हैं.
बहरापन क्या है? (what is deafness?)
अगर कोई इंसान दूसरे इंसान से बात कर रहा है. पहला बोल रहा है और दूसरे उसे सुन नहीं पा रहा है या कम सुन पा रहा है तो ये बहरापन है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो किसी व्यक्ति के बोलने पर कोई दूसरा इंसान सुन नहीं पा रहा है तो वो बहरापन है. हालांकि ये सभी में एक जैसा नहीं होता ये किसी में ज्यादा होता है तो किसी में कम होता है.
बहरापन कितने तरह का होता है? (types of hearing loss)
बहरापन दो तरह का होता है. एक तो वो जो जन्म जात होता है. यानि किसी व्यक्ति के पास जन्म के समय से ही सुनने की क्षमता नहीं है. वही दूसरी स्थिति में व्यक्ति के पास सुनने की क्षमता तो होती है लेकिन किसी ना किसी वजह से अचानक या धीरे-धीरे उसकी सुनने की क्षमता कम होती जाती है और इसका अंत बहरेपन पर होता है.
बहरेपन के कारण (Causes of deafness)
– हर इंसान का कान कुछ हद तक शोर को सहन कर सकता है यदि उससे ज्यादा शोर कान में जाता है तो कान को नुकसान पहुँचता है. यदि आप या कोई व्यक्ति दिन भर शोर के बीच रहता है जो कान की सुनने की क्षमता से भी ज्यादा है तो इसकी वजह से दिमाग को ध्वनि भेजने वाली तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुँचता है जिसके कारण आपको धीमा सुनाई देने लगता है.
– अगर आप कान का मैल समय पर साफ नहीं करते हैं या फिर काफी दिनों से आपने कान का मैल साफ नहीं किया है तो इसकी वजह से भी आपकी सुनने की क्षमता कम हो जाती है क्योंकि मैल की वजह से ध्वनि तरंगे कान तक नहीं पहुँच पाती है.
– कान के बाहरी और मध्य भाग में संक्रमण, असामान्य रूप से हड्डी का बढ़ना या फिर ट्यूमर के होने के कारण भी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है.
– तेज आवाज या फिर सिर में लगी चोट के कारण कान के पर्दे के फट जाने के कारण, कान में किसी नुकीली चीज को घुसाने के कारण बहरेपन की समस्या हो सकती है.
बहरेपन से बचाव कैसे करें? (How to prevent hearing loss?)
किसी व्यक्ति को बहरापन नहीं है और वो इसका शिकार नहीं होना चाहता तो उसे कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे वो बहरेपन का शिकार ना हो और इससे बच सके. बहरेपन से बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें-
– अगर आप किसी ऐसी जगह पर काम करते हैं जहां दिनभर शोर होता है तो वहाँ पर earplug/earmuff का उपयोग करें. अगर आप लगातार शोर को सुनते हैं तो इससे आपकी सुनने की क्षमता बहुत जल्दी प्रभावित होती है. शोर में काम करने वाला व्यक्ति बहुत जल्दी बहरेपन का शिकार हो जाता है.
– लंबे समय तक तेज आवाज में हेडफोन लगाकर या ईयरफोन लगाकर संगीत ना सुने. इसके कारण भी आप बहरेपन का शिकार हो सकते हैं.
– इसके अलावा यदि आपको लगता है की आपकी थोड़ी भी सुनने की क्षमता कम हुई है तो एक बार सुनने की क्षमता का परीक्षण जरूर करवाएँ.
बहरेपन का इलाज (treatment of hearing loss)
बहरेपन का इलाज (deafness treatment) संभव है लेकिन इसका इलाज इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है. बहरेपन के निम्न इलाज संभव हैं.
– बहरेपन का इलाज करने में सबसे पहले कान का मैल देखा जाता है. अगर किसी व्यक्ति को कान के मैल के कारण कम सुनाई दे रहा है तो उसके कान की अच्छे से सफाई करके मैल निकाला जाता है. इसके अलावा कान के मैल कठोर भी हो जाता है जिसे नर्म करके डॉक्टर उपकरण द्वारा निकलते हैं और उन्हें बहरेपन की समस्या से निजात दिलाते हैं.
– किसी के कान में संक्रमण है, दर्दनाक चोट है तो इसके लिए कानों की सर्जरी की जाती है. इसमें कान में एक बहुत ही चोटी ट्यूब डालकर कान की सफाई की जाती है और संक्रमण करने वाली चीज को हटाया जाता है.
– अगर बहरापन कान के भीतर के हिस्से में नुकसान के कारण हुआ है तो उस स्थिति में हियरिंग एड्स लगाए जाते हैं जिससे दोनों कानों से बराबर सुनाई दे सके.
कान के बहरेपन का इलाज उसकी स्थिति पर निर्भर करता है. हालांकि बहरापन होने का मुख्य कारण शोर या फिर कान में या सिर पर लगी चोट है. बहरेपन से बचने के लिए आपको शोर और चोट दोनों से दूर रहना है साथ ही अपने कान की सफाई समय पर करनी है. इन चीजों के जरिये ही आप कान के बहरेपन से बच सकते हैं.
नोट: यह लेख आपकी जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि आप संबंधित बीमारी से ग्रस्त हैं अथवा बीमारी के लक्षण महसूस होते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें. बिना चिकित्सकीय सलाह के किसी भी तरह के उपाय ना करें और बीमारी को लेकर धारणा ना बनाएं. ऐसा करना सेहत के लिए नुकसानदायक है.
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