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गुप्त नवरात्रि कब है, जानिए क्या है गुप्त नवरात्रि का महत्व?

सालभर में आने वाले दो नवरात्रि के बार में हर कोई जानता है जिन्हें चैत्र और शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. काफी सारे लोग सिर्फ उन नवरात्रि के बारे में जानते हैं जो दशहरे से पहले आते हैं लेकिन सालभर में कुल चार बार नवरात्रि आते हैं जिनमें से दो बार गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2023) आते हैं जिनके बारे में आप यहाँ जानने वाले हैं.

गुप्त नवरात्रि क्या है? (Gupt Navratri Kya hai?)

गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है लेकिन ये आम लोगों के लिए नहीं होती है. हालांकि आप चाहे तो इस दौरान माँ की पूजा अर्चना कर सकते हैं और व्रत कर सकते हैं. गुप्त नवरात्रि आमतौर पर तंत्र साधना करने वालों के लिए होती हैं जो सिद्धियाँ प्राप्त करना चाहते हैं.

गुप्त नवरात्रि साल में दो बार माघ और आषाढ़ के माह में आती है. इन माह के शुरू के नौ दिन ही गुप्त नवरात्रि कहलाते हैं. इस दौरान माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान की गई देवी की शक्ति पूजा व्यक्ति को सभी संकटों से मुक्त करती है और विजय का आशीर्वाद प्रदान करती है.

गुप्त नवरात्रि का समय साधना और तंत्र शक्तियों में इजाफा करने के लिए होता है. तंत्र साधना में विश्वास रखने वाले भक्त इस दौरान कड़ी तपस्या करते हैं और दस महाविद्या से साधना करते हैं.

इस दौरान गुप्त रूप से माता दुर्गा की पूजा की जाती है इसलिए इस नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. इन नौ दिनों तक अखंड ज्योत जलई जाती है, नियमित पूजा अर्चना की जाती है और दस महाविधा की साधना की जाती है. ये सब कुछ गुप्त रूप से किया जाता है.

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या क्या है? (Das Mahavidya in Gupt Navratri)

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या के पूजन को प्रमुखता दी जाती है. महाकाली के उग्र और सौम्य दो रूपों में अनेक रूप धरहन करने वाली दस महाविद्या हुई हैं. ये माँ दुर्गा के दस महारूप कहे जाते हैं. प्रत्येक महाविद्या अद्वितीय रूप लिए हुए प्राणियों के समस्त संकटों का हरण करने वाली होती है.

1) देवी काली : तंत्र साधना में तांत्रिक देवी काली के रूप की उपासना किया करते हैं.

2) देवी तारा : ये सर्वसिद्धिकारक मानी जाती हैं. ये महासुन्दरी कला-स्वरुपा हैं तथा सबकी मुक्ति का विधान रचती हैं.

3) माँ ललिता : माँ ललिता की पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है. दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है.

4) माँ भुवनेश्वरी : सर्वोच्च सत्ता की प्रतीक हैं. इनके मंत्र को समस्त देवी देवताओं की आराधना में विशेष शक्ति दायक माना जाता है.

5) त्रिपुर भैरवी : माँ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं.

6) माता छिन्नमस्तिका : ये भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति करती हैं, इन्हें माँ चिंतापूर्णी के नाम से भी जाना जाता है.

7) माँ धूमावती : इनके पूजन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. इनका रूप अत्यंत भयंकर हैं और इन्होंने शत्रुओं के संघार के लिए ऐसा रूप धारण किया था.

8) माँ बगलामुखी : ये स्तंभन की अधिष्ठात्री हैं. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है.

9) देवी मातंगी : यह वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कही जाती हैं. इनमें संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं. भगवती मातंगी अपने भक्तों को अभय का फल प्रदान करती हैं.

10) माता कमला : ये सुख संपदा की प्रतीक मानी जाती हैं. भौतिक सुख की इच्छा रखने वाले इनकी आराधना करते हैं.

गुप्त नवरात्रि कब है? (Gupt Navratri Kab hai?)

नए साल के पहले महीने में ही गुप्त नवरात्रि आ रही है. इस वर्ष 22 जनवरी 2022 को सुबह 2 बजकर 22 मिनट पर गुप्त नवरात्रि आरंभ हो रही है. गुप्त नवरात्रि का समापन 30 जनवरी, सोमवार को होगा. इस दौरान आप गुप्त नवरात्रि की विधिवत पूजा कर सकते हैं.

गुप्त नवरात्रि एक ऐसी नवरात्रि है जिसे विशेष तौर पर मनोकामना पूर्ति और सिद्धि पाने के लिए मनाई जाती है. गृहस्थ जीवन जीने वालों को सात्विक पूजा ही करनी चाहिए. गुप्त नवरात्रि में सिद्दियों के लिए तांत्रिक और अघोरी ही पूजा और अनुष्ठान करते हैं.

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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