Wed. Oct 9th, 2024

आज के दौर में अधिकतर ऑफिस एअर कंडीशंड होते हैं, साथ ही हर टेबल पर कंप्यूटर भी होता है. लगातार कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करना और ए. सी. वातावरण में कुर्सी पर बैठे रहना कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है. हमें इसका पता ही नहीं चलता और बीमारियां धीरे-धीरे हमारे शरीर में जगह बना लेती है.

ऑफिस में काम करते वक्त होने वाली बीमारियां   (health risks of desk jobs and diseases)

हमें इन बीमारियों का अहसास तब होता है जब हमारी पीठ, कंधे, गर्दन व सिर में दर्द होने लगता है, आंखें भारी होने लगती हैं, चक्कर आने लगते हैं. लेकिन फिर भी इन प्रॉब्लम पर ध्यान देने के बजाय इन्हे टालते रहते हैं और काम करते रहते हैं. जब ये प्रॉब्लम बड़ी हो जाती है तो तब हम डॉक्टर को दिखाते है.

बेहतर यही होगा अगर हम स्टार्टिंग से ऑफिस में काम साथ साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखें तो हमें इन प्रॉब्लम को फेस नहीं करना पड़ेगा. इसके लिए कुछ टाइम और वर्क मैनेजमेंट की जरूरत है जिससे हम स्वस्थ बने रह सकते हैं.

लंबे समय तक चेयर पर ना बैठें,  हर आधे घंटे बाद उठें  (Avoid long chair time in office) 

लगातार कुर्सी पर बैठकर काम करना सेहत के लिए ठीक नहीं है क्योंकि हम कई घंटे तक सही पोश्चर में बैठ नहीं सकते. इससे कमर दर्द की प्रॉब्लम होती है. सही पोश्चर कुर्सी से अपनी बॉडी के बैक को सटा कर बैठना है जो अधिक समय के लिए संभव नहीं.

अगर हम आधे घंटे में उठ कर वाशरूम तक या अपने लिए पानी लेने तक उठ जाते हैं तो कमर और आंखों को थोड़ा आराम मिलता है. साथ ही पैरों और बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन ठीक तरह से रहता है.

एसी से होता है डिहाइड्रेशन (Air conditioner side effects in office jobs)

एअर कंडीशन रूम में टेम्प्रेचर नार्मल से कई जयदा ठंडा होता है. ठंडे वातावरण में प्यास कम लगती है और शरीर में नेचुरल नमी में भी कमी आती है. इसलिए हमें थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहना चाहिए. शरीर में खुश्की आने से बालों और त्वचा पर सीधा प्रभाव पड़ता है और स्किन खिंची खिंची लगने लगती है.

प्रकृति का आनन्द लें- अगर ऑफिस के आस-पास हरियाली या पार्क है तो लंच टाइम में वहां जाएं. अगर ऐसा संभव नहीं है तो अपने ऑफिस की विंडो से पर्दे हटा दें ताकि बाहर का नजारा देख सकें. इससे माइंड भी फ्रेश होगा और आंखों को आराम महसूस होगा. इस दौरान आंखों को खोलें व बंद करें. यह आंखों के लिए एक अच्छा व्यायाम है.

ऑफिस में करें एक्सरसाइज (Encourage more exercise in office)

पांव से चप्पल, जूते उतारें, पैरों को स्ट्रेच करें. बाहर की ओर, फिर अंदर की ओर 5 बार दोनों पैरों को मिलाकर गोल गोल घुमाएं. पूरी तरह खिंचाव बनाते हुए 5 बार क्लाकवाइज, 5 बार एंटी क्लाक वाइज अपनी उंगलियों को पूरी तरह खोलें, बंद करें कम से कम 5 बार.

जमीन पर पैर टिके रहने से उनमें रक्त प्रवाह नहीं होता. हल्का-फुल्का व्यायाम आपके पैरों के ब्लड सर्कुलेशन को सुचारू रखेगा.

अपने दोनों कंधों को ऊपर की ओर उठाएं और 15 तक गिनती गिनें, फिर धीरे-धीरे नोरमल पोजीशन में लेकर आए और 15 तक फिर गिनती गिनें. इसी प्रकार यह व्यव्याम 5 बार रिपीट करे. इससे कंप्यूटर पर काम करते हुए कंघों में जकड़न महसूस नहीं होगी.

अपनी गर्दन पीछे की ओर ले जाकर रीढ़ पर टिकाएं और 5 तक गिनें, फिर धीरे से सामान्य, फिर आगे की ओर 15 तक गिनें. इसे भी 5 बार रिपीट करे.

गर्दन को दाएं कंधे पर लिटाएं, कंधा ऊपर न करें. गर्दन जहां तक लेट सके, लिटाएं, 5 तक गिनें, फिर धीरे धीरे सामान्य अवस्था में लाएं, फिर बांई ओर ले जाएं, 5 तक गिनें, फिर सामान्य स्थिति में आएं.

इसी प्रकार 3 से 5 बार इस क्रिया को रिपीट करे. इससे आपको गर्दन में मूवमेंट होगी और ब्लड सर्कुलेशन भी नार्मल रहेगा, गर्दन में अकड़न नहीं आएगी. इसी प्रकार गर्दन को धीरे-धीरे क्लाकवाइज, फिर एंटी क्लाॅकवाइज घुमाएं. यह प्रक्रिया होने पर गहरी सांस ले. यह क्रिया 2 से 5 बार करे.

कम से कम हर घंटे में खड़े होकर अपनी पीठ को सीधा करें और थोड़ा रिलेक्स करें. चाहें तो धीरे-धीरे अपनी रीढ़ को पीछे की ओर मोड़ें. कुछ पल रूकें, फिर सीधा करें.

डाॅक्टर की सलाह के मुताबिक अपने टेस्ट करवाते रहें जैसे बी पी, शुगर और कोलेस्ट्राल का टेस्ट आदि ताकि समय रहते इन पर काबू पाया जा सके.

ऑफिस में अगर लंच टाइम 1 घंटे का हो तो वीक में एक या दो बार अपनी आंखें बंद कर सिर मेज पर रखकर थोड़ा रेस्ट कर लें. वैसे ऑफिस के दोस्तों के साथ बातचीत करने पर भी फ्रेशनेश आती है.

ऑफिस में सीढ़ियां हों और आपका आॅफिस ऊपर के फ्लोर पर हो तो जहां तक आप सीढ़ियों से चढ़ कर जा सकते हैं, जाएं. बाद में लिफ्ट का सहारा लेकर जा सकते है

इन व्यायामों के अतिरिक्त रोज सुबह घंटा घर पर या पार्क में व्यायाम अवश्य करें ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से व्यायाम पर रहे और शरीर स्वस्थ बना रहे.

(नोट: यह लेख आपकी जागरूकता और समझ बढ़ाने के साझा किया गया है. किसी बीमारी के शिकार हैं तो डॉक्टर से सलाह जरूर  लें. ) 

By नीतू गुप्ता

लेखक और पत्रकार.

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