मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक बच्चे पर पैरेंटस का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है क्योंकि वो अपना शुरूआती टाइम अपने माता-पिता के साथ बिताता है. जब स्कूल जाता है, तब भी वो पैरेंट्स के साथ अधिक समय बिताता. लेकिन बच्चा जब किशोर अवस्था में आता है तो वह अपने दोस्तों के साथ भी काफी टाइम रहता है. बच्चे अपने माता पिता के व्यवहार को ध्यान में रखते हैं कि वे किस तरीके से बातचीत करते हैं, अपने आस पास के लोगों के साथ कैसे रिएक्ट करते हैं, ये सारी बातें जाने अंजाने में बच्चों के अंदर स्वयं आ जाती हैं.
वैसे तो आज के दौर में पैरेंट्स अपने बच्चों को लेकर जागरूक रहते है और ये अच्छी तरह समझते हैं कि उनके बच्चों में अच्छी आदतें हों और वे माहौल के मुताबिक स्वयं को ढाल सकें, इसलिए पैरेंटस को उनका रोल मॉडल बन कर उदाहरण पेश करना चाहिए ताकि उनके बच्चे जैसा वो चाहते हैं, वैसा बनें.
बच्चों को निडर बनाए-
बच्चों को शुरू से ही निडर बनायें. उन्हें डरने वाली कहानियां न सुनायें क्योंकि मेट्रो सिटिज में पैरेंटस वर्किंग होते हैं और कई बार बच्चों को घर में अकेला रहना पड़ता है. ऐसी कंडीशन में वो सुरक्षित महसूस करें.
फ्रेंड की तरह व्यव्हार करे-
बच्चों को यदि आप प्यार दुलार सिखाना चाहते हैं तो उन्हें किस और हग करते रहें. कभी-कभी सिर और कंधे पर प्यार भरा हाथ रखें. गोदी में थोड़ी देर उनका सिर रख उन्हें अपना प्यार दिखाएं जिससे वे सुरक्षित महसूस करें. बच्चों की पढ़ाई व एक्टीविटिज में रूचि लें. उनके साथ बच्चे बनकर खेलने की कोशिश करे. किशोर अवस्था में बच्चों के साथ दोस्ताना बिहेवियर करें. इससे वे भी आपको प्यार देंगे आपकी बात मानेंगे.
गुस्सा न करे-
पैरेंटस को अपनी भावनाएं भी दिखाते रहना चाहिए. जैसे हंसते मुस्कुराते रहना स्वाभाविक है. गुस्सा आना भी स्वाभाविक है. ऐसे में कभी-कभी किसी पर बच्चे कहना न मानें तो एक दम गुस्सा करने के बजाय बच्चे को समझने की कोशिश करे. अगर बिना वजह बच्चे पर गुस्सा आए तो पैरेंट्स को सारी बोलने में परहेज नहीं करना चाहिए. ऐसे में बच्चे को भी फील होगा कि अपनी गलती कैसे महसूस की जाए.
बच्चो की सलाह ले-
घर के कुछ मामले में जैसे मैन्यू तैयार करने में. अनावश्यक सामान फेंकने में, इंटीरियर डेकोरेशन में बच्चों की सलाह लेनी चाहिए. इससे बच्चे भी कुछ बातों में आपसे सलाह लेना पसंद करेंगे. बच्चों को अपने बिहेवियर से यह जता देना चाहिए कि क्या उन्हें पसंद नहीं है.. ऐसे में बच्चे वो काम नहीं खाएंगे जो आपको पसंद नहीं.
पैरंटस जो भी करते हैं बच्चे उन्हें आसानी से फालो करते हैं. यदि बच्चे परिवार के साथ जुड़ें रहेंगे तो उनका एटिट्यूड हेल्दी बनेगा. इसके के लिए अपना एटिट्यूड भी हेल्दी बनाएं कि आपके बच्चे जिंदगी को मस्त तरीके से, पाजिटिव होकर, सुरक्षित लाइफ जी सकें.