Sun. Apr 28th, 2024
janmashtami 2021

पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने समय-समय पर कई अवतार लिए हैं और श्रीकृष्ण अवतार उन्हीं अवतारों में से एक प्रमुख अवतार है. श्रीकृष्ण ने दुनिया को कंस जैसे पापी से मुक्ति दिलाई. वहीं दूसरी ओर श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना की और धरती से कई पापियों का नाश किया. हर साल हिन्दू धर्म के लोग जन्माष्टमी का त्योहार धूम-धाम से मनाते हैं. इसे सावन महीने में आने वाले रक्षाबंधन के बाद आठवे दिन मनाया जाता है. जन्माष्टमी से जुड़े कई सवाल इन्टरनेट पर खोजे जाते हैं जिनमें से कुछ सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिलेंगे.

जन्माष्टमी कब है? | Janmashtami 2021 Kab hai

हिन्दू पांचांग के अनुसार भाद्रमास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी कहा जाता है. साल 2021 में जन्माष्टमी कब है? तो इस सवाल का जवाब है कि साल 2021 में जन्माष्टमी 30 अगस्त को है. देशभर में इसी दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी.

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? | Janmashtami Katha

हिन्दू धर्म से जुड़े अधिकतर लोग इस बारे में जानते हैं कि जन्माष्टमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है. यदि आप अभी तक इस बात को नहीं जानते हैं तो आपको इस बारे में जरूर जानना चाहिए. जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है.

द्वापर युग में राक्षसों का आतंक बढ़ता जा रहा था. इनमें से कंस एक ताकतवर और घमंडी राजा था. उसका सोचना था कि लोग भगवान की जगह उसकी पूजा करें. जो भी व्यक्ति कंस को भगवान मानने से इंकार करता कंस उसकी हत्या कर देता. उसका अत्याचार दिन ब दिन बढ़ता जा रहा था.

एक दिन कंस के सामने भविष्यवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी की आठवी संतान कंस का वध करेगी. ये सुनते ही कंस ने अपनी बहन देवकी और अपने बहनोई वासुदेव को कारागार में डलवा दिया. जब भी देवकी किसी बच्चे को जन्म देती तो कंस उसे मार डालता. इस तरह देवकी और वासुदेव की आठवी संतान का जन्म हुआ. ये आठवी संतान कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु का अवतार श्रीकृष्ण थे.

जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो कारगार के ताले अपने आप खुल गए और और कृष्ण को वहाँ से बाहर निकालने का रास्ता साफ हो गया. वासुदेव अपने नवजात पुत्र को लेकर गोकुल पहुंचे और उन्होने यशोदा की बेटी से अपने पुत्र को बदल दिया. इसके बाद वे उस पुत्री को लेकर वापस कारागार में आ गए. बाद में कंस को जब खबर लगी की देवकी की आठवी संतान का जन्म हो चुका है तो कंस उसे मारने के लिए कारागार में गया. उसने उस बच्ची को पत्थर पर दे मारा. वो बच्ची माँ योगमाया में परिवर्तित हो गई और उसने कंस की मृत्यु के बारे में चेतावनी दी और वो लुप्त हो गई.

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उत्सव को ही जन्माष्टमी कहा जाता है. श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे हुआ था. इसी कारण अष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे इस त्योहार को मनाया जाता है.

जन्माष्टमी पूजन विधि | Janmashtami 2021 Pujan Vidhi

जन्माष्टमी पर रात्रि के समय श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है.अगर आप घर पर पूजा करने वाले हैं तो नीचे दी गई विधि को देखकर जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं.
– जन्माष्टमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– इसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके व्रत करने का संकल्प लें.
– एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ और उस पर श्रीकृष्ण जी की मूर्ति या फिर तस्वीर को स्थापित करें.
– मूर्ति के सामने एक दीपक जलाए साथ ही धूपबत्ती और अगरबत्ती भी जलाएन.
– भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करें कि ‘हे भगवान कृष्ण ! कृप्य यहाँ पधारें और पूजा ग्रहण करें.’
– श्रीकृष्ण को पंचामृत स्नान कराएं.
– गंगाजल से स्नान कराएं.
– वस्त्र पहनाएँ और शृंगार करें.
– इसके बाद रोली और अक्षत के साथ तिलक करें.
– माखन मिश्री का भोग लगाएँ एवं अन्य सामाग्री अर्पण करें.
– पूजा के दौरान तुलसी का पत्ता विशेष रूप से अर्पण करें साथ ही पीने के लिए गंगाजल रखें.
इस तरह श्रीकृष्ण की पूजा करें और उनका ध्यान करें.

जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त | Janmashtami 2021 Shubh Muhurt

जन्माष्टमी 2021 का प्रारम्भ 29 अगस्त रविवार रात 11 बजकर 5 मिनट से होगा. वहीं इसका समापन 30 अगस्त सोमवार को रात 1 बजकर 59 मिनट पर होगा. पूजा के मुहूर्त की बात करें तो ये 30 अगस्त रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.

यह भी पढ़ें :

जन्माष्टमी विशेष 2020: क्यों सर्वाधिक लोकप्रिय और रहस्यमय हैं कृष्ण

Janmashtami 2020: कौन थी राधा? श्रीकृष्ण की प्रिय सखी या पत्नी?

कैसे और कितनी उम्र में हुई थी श्रीकृष्ण की मृत्यु?

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *