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कर्नाटक चुनाव 2018: कांग्रेस-भाजपा में खींचतान, हिंदी भाषा के मुद्देे के बीच देवगौड़ा मजबूत

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कर्नाटक चुनाव 2018: कांग्रेस-भाजपा में खींचतान, हिंदी भाषा के मुद्देे के बीच देवगौड़ा मजबूत
कनार्टक में इस समय कांग्रेस की सरकार है. बीजेेेेपी यहां हर हाल में जीत चाहती है. (फोटो : bjpkarnataka.org)
कनार्टक में इस समय कांग्रेस की सरकार है. बीजेेेेपी यहां हर हाल में जीत चाहती है. (फोटो : bjpkarnataka.org)

दक्षिण भारत के  बड़े राज्य कर्नाटक के लिए वर्ष 2018 चुनावी वर्ष है, लिहाजा यहां नाटक के लिए रूपरेखा बनने लगी है. राज्य में भाजपा, कांग्रेस एवं जनता दल सेकुलर का राजनीतिक प्रभाव है. इस बार भी विधानसभा चुनाव में इनके बीच त्रिकोणीय मुकाबला सुनिश्चित है.

इन मुद्दों पर सियासत की शुरुआत
राज्य की जनता 75 फीसदी साक्षर है. यहां के लोग कन्नड़ भाषी हैं. राज्य के कुछ नेता हिंदी के प्रति विद्वेष फैलाकर कन्नड़ भाषा की कट्टरता पर जोर दे रहे हैं. ये हिंदी विरोध को राजनीतिक मुद्दा बनाकर उसका राजनीतिक दोहन करना चाहते हैं. हिंदी विरोध एवं कन्नड़ के प्रति कट्टरता को कांग्रेस ने  भी अपना मुद्दा बना लिया है. जवाब में भाजपा अब तक खामोश एवं दुविधापूर्ण स्थिति में है.

कांग्रेस की कोशिश किला बचाने की है. यदि वह कर्नाटक हार जाती है तो फिर यह लगातार तीसरी हार होगी. (फोटो : .karnatakapcc.com)
कांग्रेस की कोशिश किला बचाने की है. यदि वह कर्नाटक हार जाती है तो फिर यह लगातार तीसरी हार होगी. (फोटो : .karnatakapcc.com)

कांग्रेस इसे राज्यव्यापी फैलाकर माहौल खराब कर रही है. रेलवे स्टेशन मेट्रो स्टेशन एवं अन्य संस्थानों के बोर्डो पर लिखे हिंदी नामों पर कालिख पोती जा रही है. दक्षिण भारत के  राज्यों में हिंदी के प्रति दुष्प्रवृत्ति है. इस बहाने वे जनता का ध्यान मूल मुद्दों एवं मूलभूत समस्याओं से भटका रहे हैं, इसीलिए इन राज्यों का विकास हिंदी भाषी राज्यों के समान नहीं हो पा रहा है.

कांग्रेस की सरकार
राज्य में अभी कांग्रेस के सिद्धारमैया की सरकार है. वह 13 मई 2013 से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल के 4 वर्ष पूरे कर लिए हैं. सिद्धारमैया 69 वर्ष के हैं. उन पर कुछ आरोप भी लगे हैं. यहां 2018 में कर्नाटक की 15वीं विधानसभा के लिए चुनाव होगा. 

इस बार देवगौड़ा किले में सेंधमारी करना चाहेंगे. उनका विरोध कांग्रेस और बीजेपी दोनों से है. (फोटो : सोशल मीडिया)
इस बार देवगौड़ा किले में सेंधमारी करना चाहेंगे. उनका विरोध कांग्रेस और बीजेपी दोनों से है. (फोटो : सोशल मीडिया)

भाजपा-कांग्रेस में खींचतान, देवीगौड़ा ले जाएंगे बाजी
कर्नाटक के दोनों बड़े राजनीतिक दलों के भीतर खींचतान, असंतोष एवं अंतर्विरोध है. कांग्रेस में मुख्यमंत्री से सिद्धारमैया का विरोध है जबकि भाजपा में बीएस येदियुरप्पा का विरोध है. वही देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेकुलर तीसरा कोण बनाने की स्थिति में है. चुनाव में तीनों के बीच घमासान की स्थिति है. माना जा रहा है कि राज्य में अप्रैल में चुनाव हो सकते हैं. देखा जाए तो ये चुनाव देवगौड़ा, बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनेंगे. यदि पार्टी यहां दोबारा सत्ता में नहीं आती है तो गुजरात-हिमाचल के बाद ये पार्टी की लगातार तीसरी हार होगी.

 (इस लेख के विचार पूर्णत: निजी हैं. India-reviews.com इसमें उल्लेखित बातों का न तो समर्थन करता है और न ही इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी सहमति जाहिर करता है. यहां प्रकाशित होने वाले लेख और प्रकाशित व प्रसारित अन्य सामग्री से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. आप भी अपने विचार या प्रतिक्रिया हमें editorindiareviews@gmail.com पर भेज सकते हैं.)

By सीतेश कुमार द्विवेदी

स्तंभकार और लेखक.

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