Mon. May 6th, 2024
panchak kya hota hai

लोक जीवन और समाज में पंचक को लेकर कई तरह के भ्रम हैं. पंचक को एक अशुभ समय के रूप में देखा जाता है.  (Panchak Dosha, an Inauspicious Period)  अक्सर पंचक का जिक्र किसी मृत्यु अथवा दुर्घटना आदि में किया जाता है. चूंकि पंचक को लेकर जानकारी कम है, इसिलए गलतफहमियां और भ्रम भी ज्यादा हैं. 

दरअसल, पंचक शुभ और अशुभ दोनों होते हैं. पंचक की बात जब भी उठती तो सबसे पहला सवाल मृत्यु को लेकर आता है आखिर पंचक में मरने से क्या होता है? जब मृत्यु और पंचक आपस में जुड़ते हैं तो फिर सवाल और भ्रम पैदा करते हैं कि पंचक क्या है? पंचक मतलब क्या होता है? पंचक में कौन-कौन से कार्य वर्जित हैं? क्या पंचक में गृह प्रवेश कर सकते हैं? पंचक में जन्म लेने वाले बच्चे कैसे होते है? कुल मिलाकर क्या पंचक में शुभ कार्य हो सकते हैं? और पंचक से हमें कितना डरने की जरूरत है और पंचक में सावधानियां कैसे बरतनी हैं? 

पंचक क्या है? (what is panchak yog) पंचक मतलब क्या होता है?

ज्योतिष के अनुसार (Panchak in Astrology) पंचक नक्षत्रों और समय का एक ऐसा चक्र होता है जिसमें अलग-अलग नक्षत्र एक साथ चलते हैं. पंचक का मतलब ही होता है पांच दिन. दरअसल, हिंदू पंचांग के अनुसार 12 माह के एक साल में प्रत्येक माह पांच दिन ऐसे आते हैं जब पंचक की स्थिति बनती है. इन पांचों दिनों का अपना महत्व होता है.

खास बात यह है पंचक में कभी शुभ कार्य किया जाता तो कहीं नहीं किया जाता है. पंचक में कौन-कौन से कार्य किए जाएंगे यह नक्षत्रों की स्थिति पर निर्भर करता है? (why is panchak not good?) यह जानने के लिए कि पंचक में कौन-कौन से कार्य वर्जित हैंं, सबसे अच्छा तरीका होता है योग्य ज्योतिषी से संपर्क करना.

पंचक पांच प्रकार के होते हैं- (Types of panchak in hindi )

    1. रोग पंचक-  (Rog panchak) पंचक के पहले प्रकार में रोग पंचक आता है. ज्योतिष पंचाग के अनुसार जो पंचक रविवार से आरंभ होते हैं उसे रोग पंचक कहा जाता है. ज्योतिष नक्षत्र विज्ञान के अनुसार इस पंचक के प्रभाव में आने से जातकों को मानसिक और शारीरिक कष्ट होते हैं. इस पंचक में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहींं किए जाते हैं.

 

    1. राज पंचक- जो पंचक रविवार के बाद सोमवार से प्रारंभ होते हैं (raj panchak kya hota hai) उन्हें राज पंचक कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राज पंचक शुभ मानें जाते हैं. मान्यता है कि राज पंचक में सरकारी कार्य सुगमता से पूरे हो जाते हैं. यही नहीं राज पंचक के दौरान किसी भी तरह के प्रॉपर्टी के काम करना श्रेयस्कर होता है.

 

    1. अग्नि पंचक- जो पंचक सोमवार के बाद मंगलवार से आरंभ होते हैं उन्हें अग्नि पंचक कहा जाता है. (agni panchak kya hota hai) ज्योतिष के अनुसार मंगलवार से लगने वाले अग्नि पंचक में पांच दिनों तक कोर्ट कचहरी के विवाद से संबंधित फैसले अपने पक्ष में किए जा सकते हैं. हालांकि अग्नि पंचक में आग लगने का भय होता है. (agni panchak me mrityu) ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार अग्नि  को सभी पंचकों में ज्यादा अशुभ माना जाता है और इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत को ठीक नहीं माना जाता है क्योंकि यदि ऐसी चीजों की शुरुआत इस पंचक में होती है तो भविष्य में बड़े नुकसान की संभावना रहती है.

 

    1. मृत्यु पंचक- ज्योतिष नक्षत्र विज्ञान के अनुसार शनिवार को जिस पंचक का प्रारंभ होता है वह मृत्यु पंचक के नाम से (mrityu panchak) जाना जाता है. जब सवाल उठते हैं कि मृत्यु पंचक क्या होता है तो यह मान्यता सामने आती है कि इस पंंचक में मृत्युतुल्य कष्ट पहुंचाता है. एक तरह से अशुभ दिनों की शुरुआत मानी जाती है. जोखिम भरे कार्य तो इस पंचक में बिल्कुल नहीं किए जाने चाहिए. इस पंचक के प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना जलना, खो जाना और कई ऐसे कष्ट  जुड़े होते हैं जो अत्यंक विभत्स और कष्टकारी होते हैं.

 

  1. चोर पंचक-  पांचवा पंचक कहलाता है चोर पंचक. (chor panchak) इसकी शुरुआत शुक्रवार से मानी जाती है. ज्योतिष विद्वान मानते हैं कि इस पंचक में यात्रा बिल्कुल नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह कष्टकारी हो सकती है. इसके अलावा लेन-देन, व्यापार, वस्तु-विनिमय और किसी भी सौदेबाजी से बचना चाहिए. (How many types of Panchak are there) ध्यान रखें इस पंचक का प्रभाव इतना ज्यादा होता है कि मना करने पर भी कार्य करने से  धन हानि, अपमान, किसी भी तरह का नुकसान होता ही है.

पंचक कब लगता है?ज्योतिष में पंचक का महत्व (Panchak Significance)

पंडित नितिन कुमार व्यास के अनुसार-

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि 9 ग्रहों में जातक के मन को नियंत्रित करने वाला चंद्र ग्रह धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण में जबकि शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चौथे चरणों आता है अर्थात् भ्रमण करता है तो वह काल पंचक कहलाता है. पंडित व्यास कहते हैं कि ऐसे ही जब चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में गोचर होता है तो भी पंचक का जन्म होता है.

पंचक को लेकर पंडित मनोज कुमार द्विवेदी कहते हैं-

ज्योतिष के अनुसार पंचक में धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद और रेवती जैसे नक्षत्र आते हैं और इन्हीं सारे नक्षत्रों के मेले से जो समय की स्थिति पांच दिनों के अंतराल में बनती है तब महीने के वह पांच दिन पंचक कहे जाते हैं.

अब सवाल यह उठता है कि पंचक के कौन कौन से नक्षत्र होते हैं? तो प्ंडित नितिन कुमार व्यास बताते हैं कि हर नक्षत्र का अपना महत्व होता है और यदि इन पांचों ही नक्षत्रों की बात करें तो-

  • धनिष्ठा नक्षत्र में आगे से जलने, अथवा अग्नि लगने की संभावना होती है.
  • शतभिषा नक्षत्र में कलह, झगड़े, लड़ाइयां और बड़े स्तर पर विवाद पैदा होते हैं.
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग, बीमारियां, महामारियां आदि फैलने की स्थितियां पैदा होती हैं.
  • उतरा भाद्रपद में धन की चोरी, जुर्माना अथवा धन के रूप में दंड मिलने के हालात पैदा होते हैं.
  • रेवती नक्षत्र में पैसा खो जाना, चोरी हो जाना, अथवा किसी भी प्रकार से धन हानि की परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं.

पंचक में कौन से कार्य नहीं किए जाते हैं?

पंडित नितिन कुमार व्यास के अनुसार-  पंचक में ऐसे मारक और हानि पहुंचाने वाले क्रूर नक्षत्रों का योग बनने के चलते पंचक में शुभ और कुछ विशेष प्रकार के कार्य नहीं किए जाते हैं. (what should not be done in panchak)

पंडित व्यास कहते हैं- पंचक के इन पांच नक्षत्रों में से किसी नक्षत्र में (what happens if baby is born in panchak?)  जन्म होने से पांच बच्चों का जन्म होता है, यानी की पंचक में जन्म लेने वाले बच्चे अपने साथ पांच और बच्चों के जन्म की स्थिति तैयार करते हैं. जबकि ऐसे ही पंचक में (panchak death) एक मृत्यु होने पर पांच लोगों की मृत्यु होने की संभावना होती है. (Panchak death) ऐसे में मृतक की आत्मा की शांति के लिए गरुड़ पुराण में उपाय बताए गए हैं. 

पंचक काल के उपाय और पंचक काल में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए (Panchak Kaal Remedies)

  • पंचक में किसी भी प्रकार से लकड़ी का सामान नहीं खरीदा जाता है.
  • ना तो लकड़ी एकत्र करना और ना ही लकड़ी की चीजें खरीदना है.
  • पंचक में लकड़ी के पलंग अथवा लकड़ी चारपाई बनवाना अशुभ माना जाता है.
  • पंचक में कंस्ट्रक्शन कार्य चल रहा हो तो विशेष रूप से मकान पर छत नहीं डलवाना चाहिए.
  • पंचक के समय में घर की छत डलना भविष्य के लिए अशुभ होता है.
  • पंचक में शव जलाना वर्जित है, यानी दाह संस्कार नहीं किया जाना चाहिए.
  • दाह क्रिया पंचक निकलने के बाद होनी चाहिए अन्यथा जीव आत्मा को अशांति मिलती है.
  • शास्त्रों के अनुसार मृत व्यक्ति के (Panchak death rituals) अंतिम संस्कार के लिए पंचक का समय वर्जित है.
  • पंचक में ना घर से बाहर निकला जाता है और ना ही किसी तरह की यात्रा की जाती है.
  • पंचक में दक्षिण दिशा की यात्रा करना तो विशेष रूप से वर्जित है क्योंकि दक्षिण दिशा यम की दिशा कहलाती है.
  • पंचक में किसी भी प्रकार का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है.

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