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पितृ दोषपितृ दोष

पितृपक्ष में पितृों को याद किया जाता है. श्राद्ध पक्ष 16 दिनों का एक ऐसा पर्व है जिसमें पुरखों को याद कर पितृों की आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. आपने अक्सर सुना होगा कि जिस परिवार में पितृ यदि प्रसन्न और संतुष्ट हैं तो वहां ना केवल सुख, शांति और समृद्धि रहती है बल्कि उन्नति और बरकत भी रहती है.

किसी व्यक्ति के जीवन में पितृों की कितनी कृपा है, उनका कितना आशीर्वाद है. यह ज्योतिष में के अनुसार पता चलता है. दरअसल, कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति बताती है कि उस जातक पर पितृ कृपा है. पितृ दोष होने पर जीवन में कई तरह की बाधाएं आती हैं. और यही दोष व्यक्ति के जीवन में उन्नति, सफलता और दरिद्रता, पैसे की कमी का कारण बनता है.

कैसे जानें कुंडली में पितृ दोष है?

ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष राहु केतु और शनि की भाव पर दृष्टि, स्थिति और दूसरी अन्य बातों पर निर्भर करता है. पितृ दोष के चलते कई लोग करियर में आगे नहीं बढ़ पाते, शिक्षा में आगे नहीं बढ़ पाता, काम रुक-रुककर होते हैं. संघर्ष के बाद भी सफलता नहीं मिलती, छोटे से छोटे काम में भी इतनी परेशानियां होती हैं कि कार्य के प्रति रुचि ही समाप्त हो जाती है. यही नहीं कई लोगों को कुंडली में पितृ दोष की स्थिति अलग-अलग तरह से होती है. रोग, शोक, कष्ट और दूसरी कई बाधाएं व्यक्ति के जीवन में होती हैं. पितृ दोष की शांति के लिए आपको नरबलि नारायण बलि की पूजा, पितृ दोष पूजा और योग्य ज्योतिष के अनुसार उपाय कराने चाहिए.

पंडित नितिन कुमार व्यास के अनुसार-

कुंडली में पितृ दोष की पहचान योग्य ज्योतिषाचार्य को पत्रिका दिखाकर की जाती है. ज्योतिषाचार्य व्यास के अनुसार-

  • पितृ दोष कैसे बन रहा है उसके आधार पर ही ग्रहों की शांति, और मूल ग्रह के शांति के उपाय किए जाते हैं.
  • पितृ दोष गुरु की स्थिति के अनुसार हो सकता है. यदि गुरु 4-8-12 अथवा नीच राशि में हो तो या अंशों के अनुसार कम हो तो फिर उपाय अलग होंगे.
  • राहु केतु ने कुंडली में एकतरफा स्थिति बना ली हो अथवा शनि-राहु एक दूसरे को देखते हों अथवा सूर्य पर राहु अथवा केतु की छाया हो.
  • लाल किताब कहती है- कुंडली में पितृ दोष कई प्रकार का हो सकता है, यह पूर्वज, भाई, चाचा, पिता, दादा-दादी, बहन, पत्नी, बेटा-बेटी यह एक तरह का ऋण है. जिसकी पूर्ति के लिए जातक कई तरह के कार्यों से जूझता हुआ दिखाई देता है. योग्य ज्योतिषाचार्य ही इसे ठीक से समझकर उपाय बताते हैं.
  • पितृ दोष पूजा कई प्रकार की होती है. जातक कुंडली के आधार पर तय किया जाता है कि पूजा क्या होगी.
  • यदि कुंडली में पितृदोष है तो फिर माता-पिता, वृद्धों को कष्ट ना दें. प्रत्येक अमावस्या पर उपाय करें, यह उपाय क्या होंगे उसके लिए ज्योतिष से सलाह लें.
  • आमतौर पर पितरों के निमित्त भोग लगाकर पितृस्त्रोत का पाठ कर सकते हैं.
  • आप चाहें तो पंचमुख्री, सप्तमुखी, अष्ठमुखी, बारहमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं. नवग्रह रुद्राक्ष माला भी कारगर है.

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पितृ दोष के लक्षण

  • कार्य ना बनना, हर काम में रुकावट आना   
  • प्लान कुछ करना और हो कुछ और जाना
  • हर तरह के कार्यों में बार-बार बाधा पैदा होना
  • उन्नति के सारे मार्ग बन जाना
  • कार्य में मन ही ना लगना
  • बीमार रहना, ऐसे रोग होना की इलाज के बाद भी ठीक ना होना,
  • घर में कोई ना कोई हमेशा बीमार रहना.
  • घर में अशांति, जरा-जरा सी बात पर झगड़ा होना,
  • मनमुटाव होना, रिश्ते बिगड़ते चले जाना
  • गृह क्लेश, सुख-शांति व समृद्धि का अभाव,
  • संतान का बिगड़ना, संतान का अभाव होना, संतान का आकस्मिक मृत्यु
  • स्त्रियों का चरित्र खराब होना,
  • घर के पुरुषों का गलत संगति में पड़ जाना, नशाखोरीऐसे कई तरह के लक्षण हैं जो कुंडली का पितृ दोष से ग्रसित होना बताते हैं. ज्योतिष भारतीय परंपरा का वैज्ञानिक और सांस्कृतिक हिस्सा है. भारतीय संस्कृति में शास्त्रों में तीन प्रकार के ऋण बताए गए हैं उनमें-
  • देव ऋण
  • ऋषि ऋण 
  • पितृ ऋण का उल्लेख मिलता है.हालांकि कई जगह ब्रह्मा के ऋण का भी वर्णन मिलता है, लिहाजा इसे मिलाकर आप चार ऋण मान सकते हैं. लेकिन फिर ऊपर वर्णित तीन ऋण प्रमुख हैं और इनमें से भी पितृ ऋण को सबसे प्रभावकारी माना गया है. प्रभावकारी से तात्पर्य यहांं प्रत्येक मनुष्य के जीवन में प्रभावी होने वाली स्थिति है. ऐसे में योग्य ज्योतिष  के विद्वान कुंडली में दिख रहे पितृृ दोष संबंधी कारणों को देखता है और इसकेे उचित उपाय और पूजा के बारे में जानकारी देता है. आपको सलाह दी जाती है कि इस संबंध में बताए गए कोई भी उपाय ज्योतिष अथवा पारवारिक पंडित से पूछकर ही करें.   

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