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Ravivar Vrat Katha: सूर्यदेव करेंगे धन-धन्य से पूर्ण, रविवार को सुनें सूर्यदेव व्रत कथा

रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव को समर्पित होता है. इस दिन सूर्यदेव की आराधना की जाती है. जो भी व्यक्ति रविवार के दिन सूर्यदेव का व्रत रखता है सूर्यदेव उसके हर कष्ट हर लेते हैं. सूर्यदेव उसे धन-धान्य की कोई कमी नहीं होने देते. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा करने के बाद सूर्यदेव की कथा सुनने से सूर्यदेव आपकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं.

रविवार व्रत पूजा विधि | Surya Dev Pooja Vidhi

– प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– मन को शांत करके सूर्य देव का स्मरण करें.
– घर के किसी पवित्र स्थान पर भगवान सूर्य की स्वर्ण निर्मित मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
– इसके बाद विधि-विधान सूर्य भगवान की पूजा करें.
– पूजा करने के बाद सूर्य भगवान की कथा सुनें.
– सूर्य भगवान की कथा सुनने के बाद सूर्य देव की आरती करें.
– इसके बाद ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:’ मंत्र का 12, 5 या 3 माला जाप करें.
– इसके बाद शुद्ध जल, रक्त चन्दन, अक्षत, लाल फूल और दूर्वा से सूर्य को अर्घ दें.
– शाम के समय सात्विक भोजन करें व फलाहार करें.

रविवार व्रत के नियम | Ravivar Vrat ke Niyam

– रविवार का व्रत एक साल या 30 रविवार, 12 रविवार या एक साल तक करना चाहिए.
-रविवार व्रत पूजा करने के लिए लाल वस्त्र धारण करना चाहिए.
– रविवार के दिन नमक नहीं खाना चाहिए.
– रविवार के व्रत में भोजन एक ही समय पर करना चाहिए.
– भोजन तथा फलाहार सूर्य के प्रकाश रहते कर लेना चाहिए.

रविवार (सूर्यदेव) व्रत कथा | Surya dev vrat katha

प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी. वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती. रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती, उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए रविवार व्रत कथा सुनकर सूर्य भगवान का भोग लगाकर दिन में एक समय भोजन करती.

सूर्य भगवान की अनुकंपा से बुढ़िया को किसी प्रकार की चिंता एवं कष्ट नहीं था. धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था. उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे जलने लगी. बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी. अतः वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी. पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया.

रविवार को गोबर न मिलने से बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप सकी. आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया. सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी-प्यासी सो गई. प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उस बुढ़िया की आंख खुली तो वह अपने घर के आंगन में सुंदर गाय और बछड़े को देखकर हैरान हो गई.

गाय को आंगन में बांधकर उसने जल्दी से उसे चारा लाकर खिलाया. पड़ोसन ने उस बुढ़िया के आंगन में बंधी सुंदर गाय और बछड़े को देखा तो वह उससे और अधिक जलने लगी. तभी गाय ने सोने का गोबर किया. गोबर को देखते ही पड़ोसन की आंखें फट गईं. पड़ोसन ने उस बुढ़िया को आसपास न पाकर तुरंत उस गोबर को उठाया और अपने घर ले गई तथा अपनी गाय का गोबर वहां रख आई. सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई.

गाय प्रति दिन सूर्योदय से पूर्व सोने का गोबर किया करती थी और बुढ़िया के उठने के पहले पड़ोसन उस गोबर को उठाकर ले जाती थी. बहुत दिनों तक बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता ही नहीं चला. बुढ़िया पहले की तरह हर रविवार को भगवान सूर्यदेव का व्रत करती रही और कथा सुनती रही. लेकिन सूर्य भगवान को जब पड़ोसन की चालाकी का पता चला तो उन्होंने तेज आंधी चलाई. आंधी का प्रकोप देखकर बुढ़िया ने गाय को घर के भीतर बांध दिया. सुबह उठकर बुढ़िया ने सोने का गोबर देखा उसे बहुत आश्चर्य हुआ.

उस दिन के बाद बुढ़िया गाय को घर के भीतर बांधने लगी. सोने के गोबर से बुढ़िया कुछ ही दिन में बहुत धनी हो गई. उस बुढ़िया के धनी होने से पड़ोसन बुरी तरह जल-भुनकर राख हो गई और उसने अपने पति को समझा-बुझाकर उसे नगर के राजा के पास भेज दिया. सुंदर गाय को देखकर राजा बहुत खुश हुआ. सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा.

उधर सूर्य भगवान को भूखी-प्यासी बुढ़िया को इस तरह प्रार्थना करते देख उस पर बहुत करुणा आई. उसी रात सूर्य भगवान ने राजा को स्वप्न में कहा, राजन, बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरंत लौटा दो, नहीं तो तुम पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा. तुम्हारा महल नष्ट हो जाएगा. सूर्य भगवान के स्वप्न से बुरी तरह भयभीत राजा ने प्रातः उठते ही गाय और बछड़ा बुढ़िया को लौटा दिया.

राजा ने बहुत-सा धन देकर बुढ़िया से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी. राजा ने पड़ोसन और उसके पति को उनकी इस दुष्टता के लिए दंड दिया. फिर राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि सभी स्त्री-पुरुष रविवार का व्रत किया करें. रविवार का व्रत करने से सभी लोगों के घर धन-धान्य से भर गए, नगर में चारों ओर खुशहाली छा गई. स्त्री-पुरुष सुखी जीवन यापन करने लगे तथा सभी लोगों के शारीरिक कष्ट भी दूर हो गए.

सूर्य देव आरती | Surya Dev Aarti

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