भारत का केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख काफी चर्चा में है. इसकी वजह ये है की सोनम वांगचुक और वहाँ के आम नागरिक लद्दाख के पर्यावरण को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, दूसरी ओर लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की जा रही है जिससे लद्दाख को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हो सके. अनुसूची हमारे संविधान का एक विशेष भाग है. जिसमें छठी अनुसूची में शामिल राज्य विशेष महत्व रखते हैं.
अनुसूची क्या है?
अनुसूची भारतीय संविधान का अहम हिस्सा है. संविधान में 12 अनुसूचियाँ वर्णित हैं जिनमें हर अनुसूची एक अलग विषय से संबंधित है.
पहली अनुसूची
पहली अनुसूची में राज्यों के नाम एवं उनके न्यायिक क्षेत्र तथा संघ राज्य क्षेत्राओं के नाम एवं उनकी सीमाओं का वर्णन किया गया है. अर्थात इसमें भारत, भारत के राज्य तथा उसके केंद्र शासित प्रदेशों के बारे में बताया गया है.
दूसरी अनुसूची
दूसरी अनुसूची में संवैधानिक पदों पर आसीन पदाधिकारियों के भत्ते, विशेषाधिकार से संबंधित प्रावधान है. इसमें भारत के राष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति और उपसभापति, राज्य विधानमंडल के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च नयायालय के न्यायाधीश तथा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद शामिल हैं.
तीसरी अनुसूची
तीसरी अनुसूची में उच्च पदाधिकारियों के शपथ एवं प्रतिज्ञान का प्रावधान दिया गया है. इनमें संघ के मंत्री, संसद के निर्वाचित सदस्य, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, राज्य मंत्री, राज्य विधानमंडल के निर्वाचित सदस्य तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की शपथ के बारे में बताया गया है.
चौथी अनुसूची
चौथी अनुसूची में राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों, तथा राज्य सभा में सीटों के आवंटन के बारे में बताया गया है.
पाँचवी अनुसूची
पाँचवी अनुसूची में अनुसूचित और जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन एवं नियंत्रण का प्रावधान है. इन सभी क्षेत्रों पर राज्यपाल प्रशासन करता है तथा इनसे संबंधित रिपोर्ट को राष्ट्रपति के पास भेजता है. किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित राष्ट्रपति करते हैं.
छठी अनुसूची
छठी अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम में जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उपबंधित किया गया है. छठी अनुसूची के तहत जनजातीय क्षेत्रों में स्वयततः जिले बनाने का प्रावधान है. राज्य के भीतर इन जिलों को विधायी, न्यायिक एवं प्रशासनिक स्वायत्ता मिलती है. राज्यपाल को यह अधिकार होता है कि वह इन जिलों की सीमा को घटा-बढ़ा सके.
सातवी अनुसूची
सातवी अनुसूची में तीन सूचियों का वर्णन है जिनके माध्यम से केंद्र एवं राज्य के मध्य शक्तियों का विभाजन किया जाता है. ये सूचियां संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची है.
आठवी अनुसूची
आठवी अनुसूची में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं का वर्णन है. संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है. ये 22 भाषाएं असमिया, बांग्ला, बोडो, डोंगरी, गुजराती, तमिल, तेलेगु, उर्दू, हिन्दी, कन्नड, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिन्धी हैं. आठवी अनुसूची में इंग्लिश भाषा को शामिल नहीं किया गया है.
नौवी अनुसूची
नौवी अनुसूची भूमि सुधारों एवं जमीदारी प्रणाली के उन्मूलन से संबंधित संसद के अधिनियम दिए गए हैं. इसमें वर्णित विषय न्यायालय में वाद योग्य नहीं है.
दसवी अनुसूची
इसमें दल बदल रोधी कानून का जिक्र किया गया है.
ग्यारहवी अनुसूची
ग्यारहवी अनुसूची में पंचायती राज का उल्लेख किया गया है. इसके तहत पंचायती राज से संबंधित प्रावधान उल्लिखित हैं.
बारहवी अनुसूची
संविधान की 12वीं अनुसूची में शहरी क्षेत्र में स्थानीय शासन यानी नगर पालिकाओं का उल्लेख किया गया है. बारहवीं अनुसूची में वर्तमान में नगर पालिकाओं के पास में 18 विषय शामिल किए गए हैं .
लद्दाख क्यों कर रहा छठी अनुसूची की मांग
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद लेह और लद्दाख के लोग काफी खुश थे. लद्दाख में बौद्ध की बहुतायत है और उनकी यह शिकायत थी कि कश्मीर के राजनेता उनकी अनदेखी करते थे. 5 अगस्त 2019 को जब केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य से हटाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया तो जम्मू और कश्मीर को विधायिका दी लेकिन लद्दाख को ब्यूरोक्रेट्स के हाथों सौंप दिया गया.
लद्दाख के लोगों का प्रदर्शन इसी बात को लेकर है. बहुतों को लगता है कि सरकार अब उनसे दूर हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के नेताओं ने संविधान को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की है. फिर भी सरकार लद्दाख को संविधान की छठी सूची में शामिल नहीं कर रही है.
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