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ABG Shipyard Fraud: कौन है ऋषि अग्रवाल, जिस पर लगा है 22,842 करोड़ के घोटाले का आरोप

पहले देश राजनेताओं के घोटाले सुर्खियों में रहते थे लेकिन आजकल बिजनेसमैन के द्वारा किए गए घोटाले सुर्खियों में रहते हैं. ये घोटाले कोई 100 – 200 करोड़ के नहीं होते बल्कि हजारों करोड़ों रुपये के होते हैं. ऐसा ही एक खास बैंकिंग घोटाला एबीजी शिपयार्ड घोटाले के नाम से सामने आया है जिसमें 22,842 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है. ये पूरा पैसा देश के प्रमुख बैंक से लिया गया था. इस मामले में ऋषि अग्रवाल से पूछताछ की जा रही है. 

एबीजी शिपयार्ड क्या है? (ABG Shipyard Limited History) 

ABG Shipyard Limited गुजरात के सूरत और दाहेज में स्थापित कंपनी है. इसे साल 1985 में स्थापित किया गया था. इसका प्रमुख कार्य समुद्री जहाज बनाना और उनकी मरम्मत करना है. अभी तक कंपनी भारत और अन्य देशों के लिए 160 जहाज बना चुकी है. ABG Shipyard देश में Indian Navy और Indian Coast Guard के साथ मिलकर भी काम कर चुकी है. 

ऋषि अग्रवाल कौन है? (Who is Rishi Agrawal?) 

ऋषि अग्रवाल इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं. इसकी वजह ये है कि ऋषि अग्रवाल एजीबी शिपयार्ड लिमिटेड के प्रमुख व्यक्ति है. इस कंपनी के सीईओ ऋषि अग्रवाल ही हैं इसलिए पूरे घोटाले का शिकंजा ऋषि अग्रवाल पर ही कसा जा रहा है. सीबीआई ऋषि अग्रवाल से इस फर्जीवाड़े को लेकर पूछताछ कर रही है.

ऋषि अग्रवाल का जन्म झारखंड के कोडरमा में हुआ था. ऋषि ने अपनी एजुकेशन अमेरिका से की और शिपिंग से जुड़ा बिजनेस करने का मन बनाया. ऋषि ने आरएस नकारा से मगडाला शिपयर्ड को 8 लाख रुपये में खरीदा और उसे एबीजी शिपयार्ड नाम दिया. एबीजी शिपयर्ड देश की दूसरी सबसे बड़ी निजी शिपयार्ड कंपनी रह चुकी है. 

देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला (Largest Indian Banking Scam) 

देश में पहले ही कई बड़े घोटाले हो चुके हैं जो बैंक के जरिये ही हुए हैं ऐसे में एबीजी शिपयार्ड घोटाला कैसे हुआ? यही सवाल आपके दिमाग में खटक रहा होगा. क्या बैंक के पास इन घोटालों को रोकने के लिए कोई नीति नहीं है या फिर बैंक ऐसा जानबूझकर कर रहे हैं.

इसके लिए हम पिछले कुछ घोटालों को देखते हैं.

सबसे पहले देश में विजय माल्या का घोटाला सामने आया था. जिसमें विजय माल्या ने अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए बैंक से 9 हजार करोड़ रुपये उधार लिए और पैसा लेकर भारत छोड़ दिया. 

इसके बाद नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक से 14 हजार करोड़ रुपये लिए और देश छोड़ दिया. 

दोनों ने करीब 23 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया. लेकिन एबीजी शिपयार्ड ने अकेले ने 22,842 करोड़ रुपये का घोटाला कर दिया. वो भी एक बैंक के साथ नहीं. देशभर की 28 बैंक के साथ.

एबीजी शिपयार्ड घोटाला कैसे हुआ? (ABG Shipyard Scam Explained in Hindi) 

इस घोटाले की शुरुआत होती है साल 2001 से जब ये कंपनी मुनाफे में चल रही थी और इसे अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए और पैसों की जरूरत थी. उस समय इस कंपनी ने 28 बैंक से कंसोर्टियम के जरिये 22,842 करोड़ रुपये का लोन लिया. इसके बाद कंपनी ने 10 सालों तक 160 से अधिक जहाजों का निर्माण और मरम्मत की. लेकिन साल 2013 में कंपनी ने इस लोन अकाउंट को एनपीए घोषित कर दिया. इसका मतलब ये है कि कंपनी कर्ज चुकाने में असमर्थ है. 

इस घोटाले में सबसे ज्यादा पैसा देने वाला बैंक आईसीआईसीआई है. आईसीआईसीआई ने एबीजी शिपयार्ड को 7089 करोड़ रुपये दिये थे. इसके बाद आईडीबीआई बैंक ने 3634 करोड़ रुपये दिये. फिर बैंक ऑफ बड़ौदा ने 1614 करोड़ रुपये दिये, फिर पंजाब नेशनल बैंक ने 1244 करोड़ रुपये दिये और इंडियन ओवरसीज बैंक ने 1228 करोड़ रुपये दिये थे. इन्हीं के साथ ही एलआईसी ने भी 136 करोड़ रुपये का लोन दिया था. बाकी पैसा अन्य वित्तीय संस्थान से लिया गया था. 

कैसे सामने आया घोटाला? (ABG Shipyard Fraud in Hindi) 

साल 2013 में जब कंपनी ने लोन को चुकाना बंद कर दिया तो बैंक ने इसे एनपीए में डाल दिया. उस समय इस कंपनी को बेचने की कोशिश की गई लेकिन शिपिंग सेक्टर के हालात खराब थे इसलिए इसका कोई खरीदार नहीं मिला. साल 2016 में भी से एनपीए ही माना गया.

साल 2018 में लोन देने वाली सभी बैंक ने कंपनी की जांच करने के लिए Ernst and young नाम की ऑडिट कंपनी को इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी और पूरी जांच कारवाई. जांच में पाया गया कि जो पैसा कंपनी ने बैंक से लिया है उसका इस्तेमाल गलत जगह किया गया है. कंपनी ने पैसा एबीजी शिपयार्ड को आगे बढ़ाने के लिए लिया था लेकिन इस पैसे को एबीजी शिपयार्ड ने दूसरे देशों में दूसरी कंपनियों में निवेश किया. 

इस तरह ये पूरा फर्जीवाड़ा एबीजी शिपयार्ड कंपनी के द्वारा किया गया. बाद में एसबीआई ने सीबीआई से इसकी शिकायत की और अब सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है.

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