Sat. May 11th, 2024

Holi Kab Hai? 6 या 7 मार्च कब है होली? जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

holi shubh muhurta

मार्च के महीने में होली आ रही है. होलिका दहन होली के पहले रात में किया जाता है. इस बार होलिका दहन को लेकर मतभेद की स्थिति बनी हुई है. काफी लोग 6 मार्च को होलिका दहन बता रहे हैं तो कई लोग 7 मार्च को होलिका दहन बता रहे हैं. हालांकि दोनों ही स्थिति में होली 8 मार्च को ही मनाई जाएगी. लेकिन तिथि की स्थिति के चलते 6 और 7 मार्च दोनों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

होली कब है? (Holi Kab hai?) 

होली का त्योहार भारत में 8 मार्च 2023, बुधवार को मनाया जाएगा. लेकिन इससे पहले होलिका दहन किया जाता है. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च, मंगलवार को शाम 4 बजकर 17 मिनट पर प्रारंभ होगी. इसका समापन 7 मार्च, बुधवार को शाम 6 बजकर 09 मिनट पर होगा. फाल्गुन तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होता है. ऐसे में 7 मार्च को होलिका दहन किया जाना चाहिए.

होलिका दहन शुभ मुहूर्त (Holi Dahan Shubh Muhurta) 

होलिका दहन 7 मार्च को करना है. इसका शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आप होलिका की पूजा करके होलिका दहन कर सकते हैं.

होलाष्टक कब है? (Holashtak Timing) 

होलिका दहन के 8 दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इसे एक अशुभ समय माना जाता है. पंचांग के मुताबिक 27 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे और 8 मार्च तक रहेंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे अच्छा समय नहीं माना जाता है. इसलिए कोई भी शुभ कार्य इसमें नहीं किया जाता है.

होलिका दहन कैसे करें? 

होली के त्योहार पर यदि आप होलिका दहन करना चाहते हैं तो आपको होलिका दहन कैसे करें इस बारे में भी पता होना चाहिए.

होलिका दहन करने के लिए पहले होलिका को बनाना होता है. इसके लिए बसंत पंचमी के दिन से एक डांडा गाड़ा जाता है. मतलब एक पेड़ की शाखा को जमीन में गाड़ा जाता है. इसके बाद इसके आसपास लकड़ी, कंडे आदि सजाए जाते हैं. होलिका दहन वाले दिन ही इन्हें होलिका के रूप में जलाया जाता है.

होली को जलाने से पहले होली की पूजा की जाती है. जैसे भगवान की पूजा की जाती है वैसे ही रोली, अक्षत, फूल, मिठाई से होली की पूजा होती है. इसके बाद होलिका दहन किया जाता है.

होलिका में छेड़ वाले गोबर के उपले, गेहूं की नई बालियाँ और उबटन डाला जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे सालभर व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है और सारी बलाएं दूर हो जाती हैं.

होली का महत्व

होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में याद किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को स्वयं भगवान विष्णु ने बचाया था. प्रह्लाद हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस का पुत्र था. प्रह्लाद हमेशा भगवान विष्णु की आराधना करता था और ये बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी.

हिरण्यकश्यप की एक बहन थी होलिका जिसे वरदान था कि अग्नि भी उसके शरीर को नहीं जला सकती. हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन को दायित्व सौंपा की वो उसके बेटे को भगवान विष्णु की भक्ति से विमुख करे.

होलिका ने ऐसा करने के लिए प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और अग्नि में प्रविष्ठ हो गई. उसने सोचा कि उसे कुछ नहीं होगा लेकिन प्रह्लाद जल जाएगा. भगवान विष्णु के प्रताप से होलिका खुद उस अग्नि में जल गई और प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ. उस दिन से ही होली के त्योहार को मनाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें :

Holi story : भक्त प्रहलाद की कथा और होलिका दहन की कहानी

होली की परंपरा: होलाष्टक में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य?

Holi 2022: इस मुहूर्त में होगा होलिका दहन, कल खेलेंगे रंग

By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *