Fri. Apr 19th, 2024
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हर साल विज्ञान के अलग-अलग क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों से नवाजा जाता है. ऐसा ही एक अवार्ड है “इगनोबल अवाॅर्ड” यह पुरस्कार बाकि से कुछ अलग है. यह अवॉर्ड अजीबो-गरीब शोध जिनके बारे में जानकर आपको हंसी आ जाए की खोज करने वाले साइंटिस्ट को दिया जाता है. यह अवार्ड 10 अलग-अलग क्षेत्र के लिए दिया जाता है. 

“दी हार्ट” रखी गई थी अवॉर्ड थीम 

इस वर्ष के लिए “इगनोबल पुरस्कार” की थीम दी हार्ट रखी गई थी. हालांकि शरीर के विभिन्न हिस्सों के लिए किए गए शोधों को पुरस्कार के लिए प्रस्तुत किया गया था. इस साल चिकित्सा के क्षेत्र में अवॉर्ड पाने वाले शोधकर्ताओं ने “क्या रोलर कोस्टर की सवारी करने से किडनी स्टोन से राहत मिलेगी” विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया था. इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि इन तरीकों से किडनी स्टोन से छुटकारा मिल सकता है. 

Colonoscopy के लिए भी मिला पुरस्कार 

चिकित्सा शिक्षा श्रेणी का “इगनोबल पुरस्कार” जापान के एक साइंटिस्ट को दिया गया. जापान के अकीरा होरिउची ने “क्या बैठे-बैठे कुशलता पूर्वक स्वंय की कोलानोस्कोपी को आसानी से किया जा सकता है” विषय पर शोध किया था. शोध के दौरान जापान के वैज्ञानिक अकीरा होरिउची ने खुद पर यह टेस्ट कर के देखे. इस रिसर्च में उन्हें सफलता मिलने पर पुरस्कृत किया गया. 

साहित्य, रसायन के लिए भी दिया गया “इगनोबल”

“जटिल उत्पाद या मशीनरी का उपयोग करने वाले अक्सर काम लेते वक्त मशीन का मैनुएल नहीं पढ़ते” इस विषय पर भी एक टीम ने शोध किया. शोधकर्ताओं ने इसे सच पाया. इस क्षेत्र में अध्य्यन करने वाली टीम को साहित्य के क्षैत्र का “इगनोबल पुरस्कार” प्रदान किया गया. 

इसके अलावा रसायन का इगनोबल उस टीम को दिया गया, जिन्होंने एल्कोहल क्लीनर की जगह थूक से चीजें चमकाने के बारे में पता लगाया. 1800 साल पुरानी मूर्तियों को थूक और अलग-अलग एल्कोहल क्लीनर से साफ कर इस रिसर्च को पूरा किया गया. 

टेशन फ्री रहने बॉस के पुतले में चुभोएं सुई

इकाॅनामिक्स का “इगनोबल” उस अध्यन के लिए दिया गया, जिसमें बताया गया कि आपका बॉस यदि आपको परेशान करता है तो आप उसके पुतले पर सुई चुभो दें. इससे आपको तनाव से मुक्ति मिलेगी. रिसर्च के दौरान पाया गया कि भड़ास निकालने से लोग सच में तनावमुक्त महसूस करते हैं. पुरस्कार समारोह में विजेताओं को बोलने के लिए केवल एक मिनट का ही समय दिया गया था. इसके बाद बोलने पर कार्यक्रम में बैठे बच्चे बोलने से पुरस्कार विजेता को मना करने लगते. 

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