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Mohini Ekadashi Katha : हजार गौदान का पुण्य देती है मोहिनी एकादशी की कथा, जरूर करें ये उपाय

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मई माह की 1 तारीख को मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) आ रही है जिसका विशेष महत्व है. हर महीने में दो एकादशी आती है लेकिन इस बार मई में तीन एकादशी आ रही है. ऐसे में मोहिनी एकादशी का विशेष महत्व है.

बैसाख माह के शुक्ल पक्ष को आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी समस्त पापों और दुखों का नाश करती है और सौभाग्य तथा धन का आशीर्वाद देती है. धार्मिक ग्रंथों में भी इसे अत्यंत पवित्र एकादशी माना गया है.

मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Mohini Ekadashi Shubh Muhurta)

एकादशी तिथि प्रारंभ : 30 अप्रैल 2023 को रात 8 बजकर 28 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्ति : 1 मई 2023 को रात 10 बजकर 9 मिनट पर
व्रत पारण का समय : 2 मई को सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 8 बजकर 19 मिनट के बीच

मोहिनी एकादशी की कथा (Mohini Ekadashi Vrat Katha)

कथा के अनुसार सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नाम की एक नगरी में घुतिमान नाम का राजा राज करता था, उसी नगर में एक धन-धान्य से सम्पन्न और पुण्यवान धनपाल नाम का वैश्य भी रहता था. वह भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था. उसने नगर में अनेक भोजनालय, प्याऊ, कुएं, धर्म शाला, सरोवर आदि बनवाएं थे.

धनपाल के 5 पुत्र थे – सुमना, सद्बुद्धि, मेधावी, सुकृति और धृष्टबुद्धि. इन पांचों में से धृष्टबुद्धि सबसे महापापी था. वह दुराचारी, वेश्या की संगति वाला था और पर स्त्री के साथ भोगविलास करता था. तथा मांस और मदिरा का सेवन भी करता था. वह पितरों को नहीं मानता था. गलत कामों में पिता का धन नष्ट करता था.

धृष्टबुद्धि की इन्हीं आदतों से परेशान होकर उसके पिता ने उसे घर से निकाल दिया. इसके बाद वह अपने गहने-कपड़े बेचकर अपना निर्वाह करने लगा. धीरे-धीरे उसने सबकुछ बेच दिया. अंत में वैश्या और उसके दोस्तों ने भी उसका साथ छोड़ दिया. जब वह भूखा मरने लगा तो उसने चोरी करना सीख लिया.

एक बार वह पकड़ गया तो वैश्य पुत्र जानकर चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. थोड़े दिनों बाद वह बहेलिया बन गया. वह धनुष-बाण लेकर पशु-पक्षियों को मार-मारकर खाने लगा. एक दिन वह भोजन की तलाश करता हुआ कौडिन्य ऋषि के आश्रम पहुँच गया.

उस समय बैसाख माह चल रहा था और ऋषि गंगा स्नान कर रहे थे. ऋषि के कपड़ों से कुछ छींटे धृष्टबुद्धि पर भी पड़े और उसे कुछ सद्बुद्धि प्राप्त हुई. उसने कौडिन्य ऋषि के हाथ जोड़े और कहा कि ये मुनि मैंने जीवन में बहुत पाप किए हैं. आप इन पापों से छूटने का कोई साधारण और बिना धन का उपाय बताएं.

मुनि ने उसके दिन वचन सुनकर प्रसन्नता पूर्वक कहा कि तुम बैसाख माह के शुक्ल पक्ष को आने वाली मोहिनी एकादशी का व्रत करो. इससे तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे. मुनि के ऐसे वचन सुनकर वह अत्यंत प्रसन्न हुआ और उसने बताई गई विधि से व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गए.

अंत में वह गरुड़ पर बैठकर विष्णुलोक को गया. अतः इस व्रत को करने से सभी मोह और पाप नष्ट हो जाते हैं. संसार में इस व्रत से श्रेष्ट और कोई व्रत नहीं है. इसकी कथा सुनने से ही हजार गौदान का फल मिलता है. इसकी कथा पुण्य देने में सक्षम है. हर मनुष्य को मोहिनी एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए.

मोहिनी एकादशी के उपाय (Mohini Ekadashi Upay)

मोहिनी एकादशी व्रत कथा सुनने से तो आपको लाभ मिलता ही है साथ ही इस दिन आपको कुछ खास उपाय भी करने चाहिए।

1) ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु को गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए.

2) इस दिन मान लक्ष्मी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए. दोनों उपायों से जीवन में आर्थिक उन्नति आती है.

3) एकादशी के दिन शाम को तुलसी के पौधे के पास एक देसी घी का दीपक जलाना चाहिए. इसके साथ ‘ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्’ मंत्र का जाप करें और 11 बार तुलसी की परिक्रमा करें.

4) बैसाख माह में राहगीरों को जल दान करने एवं पशु-पक्षियों को खाना खिलाने एवं पानी पिलाने से विशेष लाभ मिलता है.

मोहिनी एकादशी का दिन विशेष दिन है. इस दिन आपको विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और उनके लिए व्रत रखना चाहिए. इस व्रत को करने से आपके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे.

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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