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जब भी रक्षाबंधन पर राखी बांधने की बात आती है तो आपने भ्रदाकाल का नाम सुना होगा. आखिर क्या है यह भद्रा?जब भी रक्षाबंधन पर राखी बांधने की बात आती है तो आपने भ्रदाकाल का नाम सुना होगा. आखिर क्या है यह भद्रा?

सावन का महीना जहां शिवजी को समर्पित होता है वहीं सावन माह में रक्षाबंधन के त्योहार का हर भाई और बहन बेसब्री से इंतज़ार करते हैं. सावन माह में पुर्णिमा के दिन रक्षाबंधन पर्व को मनाया जाता है. इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र के लिए कामना करती है. इस दिन यदि विधि-विधान से शुभ मुहूर्त में राखी बांधी जाये तो काफी अच्छा होता है.

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? | Why do we celebrate Raksha Bandhan?

रक्षाबंधन के बारे में कई मान्यताएँ हैं, इससे संबन्धित कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं जिनमें से एक कथा हम आपको बता रहे हैं. एक बार राजा बली ने 100 यज्ञ पूरे करके स्वर्ग पर आधिपत्य करने का प्रयास किया. देवराज इंद्र इससे डर गए और भगवान विष्णु के पास चले गए. तब भगवान विष्णु ने इस समस्या के समाधान के लिए वामनअवतार धारण किया और वे राजा बली के पास गए. राजा बली ने उनसे दक्षिणा लेने के लिए कहा तो उन्होने कहा कि उन्हें तीन पग जमीन चाहिए.

राजा बली ने कहा ठीक है आप तीन पग जमीन ले लीजिये. तब भगवान विष्णु ने दो पग में ही पृथ्वी को नाप दिया. तब राजा बली समझ गए कि ये वामन कोई आम व्यक्ति नहीं है. राजा बली ने उनके सामने सिर झुकाया. जिस पर भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्हें साक्षात दर्शन दिये. भगवान विष्णु ने राजा बली को पाताल लोक में रहने के लिए कहा. तब राजा बली ने कहा कि यदि वे उनके साथ वहाँ रहेंगे तभी वे पाताल मे रहेंगे.

इस पर भगवान विष्णु मान गए. दूसरी तरफ लक्ष्मी जी चिंतित हो गई. तब नारद जी ने उन्हें उपाय बताया कि आप राजा बली को अपना भाई बना लें और अपने पति को उनसे मुक्त करा लें. तब लक्ष्मी जी ने ऐसा ही किया. वे एक साधारण महिला के रूप में रोती हुई राजा बली के पास गई. राजा बली ने कारण पूछा तो उन्होने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं है. तब राजा बली ने उन्हें अपनी धर्म बहन बनाया. बाद में लक्ष्मी जी ने दक्षिणा के रूप में विष्णु जी को मुक्त कराया. माना जाता है कि तभी से रक्षाबंधन मनाया जाता रहा है.

रक्षाबंधन पूजा विधि | Raksha Bandhan Pooja vidhi

– रक्षाबंधन वाले दिन सुबह उठें और स्नान करें तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– इसके बाद सभी देवी देवताओं को प्रणाम करें और उनकी पूजा करें.
– इसके बाद एक थाली लें जो किसी धातु की हो.
– इस थाली में राखी, अक्षत, और रोली रखें.
– सबसे पहले अपने इष्ट देव या फिर कृष्ण भगवान को राखी बाँधें.
– इसके बाद अपने भाई को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बिठाए.
– भाई के सिर को रुमाल से ढंके.
– भाई के माथे पर टीका लगाएँ.
– अक्षत के कुछ छींटे आशीर्वाद के रूप में छींटे.
– दिया जलाकर भाई की आरती उतारें.
– इसके बाद दायीं कलाई पर राखी बाँधें.
– राखी बांधते हुए ये मंत्र बोलें ‘ॐ येन बद्धों बली राजा दानवेन्द्रों महाबलः’
– इसके बाद भाई-बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाये.
– भाई अपनी बहन के पैर छूएँ और उनका आशीर्वाद लें.
– इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार दें.

रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त | Raksha Bandhan Shubh Muhurta

रक्षाबंधन के दिन राखी बांधते वक़्त भद्राकाल और राहुकाल का विशेष ध्यान देना चाहिए. इन दोनों काल को बहुत ही अशुभ माना गया है. 22 अगस्त 2021, रविवार को आप सुबह 6.15 बजे से 5.31 बजे तक राखी बांध सकते हैं. राखी बांधने का सबसे अच्छा मुहूर्त दोपहर 1.42 बजे से शाम 4.18 बजे तक है.

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