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प्रकृति हमेशा ही इंसानों को अपने रहस्यों के प्रति प्रभावित करती रही है. ऐसा ही एक रहस्य है कुछ पक्षियों के गले से निकलने वाला मधुर स्वर. आखिर कैसे कुछ पंछी अपने गले से विभिन्न मधुर स्वर निकल लेते हैं. पक्षियों की मधुर आवाज़ के पीछे उनके सीने में छुपे एक रहस्यमयी अंग से आती है.

किस अंग से आती है मधुर आवाजें? 

पक्षियों के साइन में एक विशेष अंग होता है सिरिंक्स. वैज्ञानिकों का कहना है कि जैव विकास की प्रक्रिया में सिरिंक्स केवल एक बार विकसित हुआ है और यह विकास से सर्वथा नवीन रचना के निर्माण का दुर्लभ उदाहरण है. क्योंकि अन्य किसी संबंधित जीव में ऐसी कोई रचना नहीं पाई जाती, जिससे सिरिंक्स विकसित हो सके.

पक्षी लैरिंक्स से नहीं सिरिंक्स से निकलते है आवाज 

सरीसृप, उभयचर और स्तनधारी सभी में ध्वनि के लिए लैरिंक्स होता है. यह अंग श्वास नली के ऊपरी हिस्से में होता है. इसके ऊतकों की तहों (वोकल कॉर्ड) में कम्पन्न से मनुष्यों की आवाज़, शेर की दहाड़ या सुअरों के किंकियाने की आवाज़ पैदा होती है.

पक्षियों में भी लैरिंक्स होता है, लेकिन ध्वनि निकालने के लिए वे इस अंग का उपयोग नहीं करते. वे सिरिंक्स का उपयोग करते हैं. सिरिंक्स सांस नली में नीचे की ओर जहां से सांस नली दो भागों में बंटती है वहीं होता. 

कैसे हुई खोज 

टेक्सास विश्वविद्यालय की जीवाश्म विज्ञानी जूलिया क्लार्क और उनकी टीम ने पक्षियों में इस विचित्र अंग के विकसित होने के कारण खोजने रिसर्च की. उन्होंने आधुनिक सरीसृपों और पक्षियो में सिरिंक्स और लैरिंक्स के विकास की तुलना कर पाया कि ये दोनों अंग बहुत अलग हैं.

वोकल कॉर्ड के काम करने के लिए लैरिंक्स उसकी उपास्थि से जुड़ी मांसपेशियों पर निर्भर होता है, लेकिन सिरिंक्स उन मांसपेशियों पर निर्भर करता है जो अन्य जानवरों में जीभ के पीछे से हाथों को जोड़ने वाली हड्डियों से जुड़ी रहती हैं.

अब तक यह माना जाता था कि दोनों अंगों की संरचना समान है. ये दोनों अंग अलग-अलग तरह से विकसित हुए हैं. लैरिंक्स मेसोडर्म और न्यूरल क्रेस्ट कोशिकाओं से बनता है, जबकि सिरिंक्स सिर्फ मेसोडर्म कोशिकाओं से बनता है.

आधुनिक पक्षियों के पूर्वजों में थे लैरिंक्स 

शोध में क्लार्क और उनकी टीम ने अनुमान लगाया कि आधुनिक पक्षियों के पूर्वजों में लैरिंक्स मौजूद था. पक्षियों के आधुनिक रूप में आने के समय फेफड़ों के ठीक ऊपर श्वासनली की उपास्थि ने फैलकर सिरिंक्स का रूप ले लिया.  बाद में इसमें मांसपेशियों के छल्ले विकसित हुए जिससे ध्वनि पैदा होती है.

धीरे-धीरे ध्वनि उत्पादन का काम लैरिंक्स से हटकर सिरिंक्स के ज़िम्मे आ गया. सिरिंक्स विभिन्न ध्वनि निकालने के लिए अधिक उपयुक्त भी हैं. सिरिंक्स की एक खासियत यह है कि यह दो भागों से बना है और पक्षी एक साथ दो तरह की ध्वनियां निकाल सकते हैं.

प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित

क्लार्क और उनके सहयोगियों ने अपने निष्कर्ष गत दिनों “प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज” में प्रकाशित किए हैं. सिरिंक्स विकास में एकदम नई संरचना है, जिसमें पहले से मौजूद विशेषताओं या संरचनाओं से जुड़ी कोई स्पष्ट कड़ी नहीं हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन अन्य जीवों, जैसे कछुओं और मगरमच्छों की ध्वनि संरचना समझने में मददगार साबित हो सकता है.                   (स्रोत फीचर्स)

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