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अरुण जेटली (Arun jaitley) के बारे में आप कितना जानते हैं? अधिकतर लोग तो सिर्फ इतना ही जानते हैं की वो भारत के वित्तमंत्री (ex finance minister) थे. लेकिन अरुण जेटली को सिर्फ वित्त मंत्री (finance minister) कहना गलत होगा क्योंकि वे इससे भी बढ़कर हैं. अरुण जेटली की कहानी (arun jaitley life story) काफी दिलचस्प है जो एक आम लड़के के भारत के वित्तमंत्री बनने तक का सफर है.

अरुण जेटली का जीवन परिचय

अरुण जेटली 28 दिसंबर 1952 (arun jaitley birth) को नई दिल्ली में जन्में थे. उनके पिता किशन जेटली (arun jaitley father) एक वकील थे और उनकी माँ रतन प्रभा (arun jaitley mother) थीं. अरुण जेटली ने स्कूल की पढ़ाई (arun jaitley education) सेंट जेवियर्स स्कूल में की थी. इसके बाद उन्होने अपनी (arun jaitley college) कॉलेज की पढ़ाई श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से की थी. यहाँ उन्होने कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया था. यहाँ से पढ़ाई के बाद जेटली ने 1977 में (arun jaitley qualification) दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉं की डिग्री की. पढ़ाई के दौरान एक छात्र के रूप में उन्होने पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. साल 1982 में अरुण जेटली ने (arun jaitley wife) संगीता जेटली से शादी की. उनका एक पुत्र रोहन जेटली और बेटी सोनाली जेटली है.

अरुण जेटली की कहानी

अरुण जेटली का राजनीतिक करियर (arun jaitley political career) करीब 2 दशक लंबा है. 1991 में वे बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने थे. इसके बाद 1999 में आम चुनाव होने से पहले ही वे बीजेपी के प्रवक्ता बन गए थे.1999 में हुए आम चुनाव के बाद अरुण जेटली का राजनीतिक करियर (arun jaitley minister post list) कुछ इस तरह रहा.

– 13 अक्टूबर 1999 को उन्हें सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया. इसी दौरान उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी नियुक्त किया गया.

– साल 2000 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया और साथ ही कानून, न्याय और कंपनी मामलों और जहाज़रानी मंत्री बनाया गया था. भूतल परिवहन मंत्रालय के विभाजन के बाद वह नौवहन मंत्री थे.

– साल 2002 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया 2003 तक वे इस पद पर बने रहे.

– 29 जनवरी 2003 को केंद्रीय मंत्रिमंडल को वाणिज्य और उद्योग और कानून और न्याय मंत्री के रूप में फिर से चुना गया.

– साल 2004 में बीजेपी की हार के बाद अरुण जेटली को बीजेपी में महासचिव के रूप में काम करने का मौका मिला इसके साथ ही उन्होने अपने कानूनी करियर वापसी की.

– साल 2009 में बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाया. राज्यसभा में विपक्ष के नेता बनने के दौरान उन्होने महिला आरक्षण विधेयक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और साथ ही जन लोकपाल विधेयक के लिए अन्ना हज़ारे का समर्थन किया.

– साल 2014 से पहले उन्होने सीधे कोई चुनाव नहीं लड़ा लेकिन साल 2014 में हुए आम चुनाव में उन्होने अमृतसर से चुनाव लड़ा लेकिन वहाँ अमरिंदर सिंह से हार गए जो कॉंग्रेस से थे.

मोदी और जेटली

साल 2014 में आम चुनाव में मोदी सरकार की जीत के बाद अरुण जेटली को वित्त मंत्री (arun jaitley finance minister) बनाया गया. अरुण जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुगलबंदी काफी पहले से है. साल 1995 से 2001 के बीच 6 सालों के लिए मोदी गुजरात की राजनीति से दूर हो गए थे और दिल्ली में रह रहे थे उस समय में उन्हें गुजरात वापस भेजने के निर्णय में लाल कृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली का हाथ था.

साल 2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अरुण जेटली मोदी सरकार के सबसे शक्तिशाली मंत्री बन गए. पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश का काला धन बाहर निकालने के लिए नोटबंदी जैसा फैसला रातोंरात लागू किया और देश की जनता को चौका दिया.

नोटबंदी के फैसले की कई लोगों ने कड़ी निंदा की लेकिन सभी जानते थे की ये काफी हद तक सही फैसला था और इससे उन लोगों का कोई नुकसान नहीं हुआ जिनके पास कालाधन नहीं था. मोदी सरकार में पीएम मोदी की दो प्रमुख हाथों में एक अमित शाह हैं तो दूसरे अरुण जेटली है.

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