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Chaitra Navratri 2022: घटस्थापना और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, इन 5 राशियों को मिलेगा लाभ

chaitra navratri 2022

वर्ष 2022 में चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ 2 अप्रैल से हो रहा है. इसी के साथ हिन्दू नववर्ष की शुरुआत भी हो रही है. चैत्र नवरात्रि  (Chaitra Navratri 2022) के पहले दिन घट स्थापना की जाती है और माताजी की पूजा की जाती है. इस दौरान घट स्थापना से जुड़े कई सवाल आपके मन में होते हैं. जैसे घट स्थापना कैसे करनी है? (Ghat Sthapna Shubh Muhurt) पूजन सामग्री क्या होगी? घट स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है? 

घट स्थापना शुभ मुहूर्त (Ghat Sthapna Shubh Muhurt) 

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है और ये 11 अप्रैल को खत्म होंगे. इस दिन कलश और घट दोनों स्थापित किए जाते हैं तथा माताजी की पूजा की जाती है. 

घट स्थापना के शुभ मुहूर्त की बात करें तो ये 2 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक रहने वाला है.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त की बात करें तो ये 2 अप्रैल को दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक है. 

चैत्र नवरात्रि पूजन सामग्री (Navratri Puja Samagri) 

चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना और कलश स्थापना करके माँ की पूजा करने के लिए आप निम्न पूजन सामाग्री का उपयोग कर सकते हैं. 

माँ दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति लाल रंग की चौकी पीला वस्त्र
लाल रंग की चुनरी मिट्टी का कलश 5 आम की पत्तियाँ 
मिट्टी के बर्तन लाल सिंदूर गुलहद का फूल
फूलों की माला  शृंगार सामाग्री नई साड़ी
गंगाजल अक्षत शहद
कलावा चन्दन रोली
नारियल सूखा नारियल अगरबत्ती
दीपक केसर नैवेध
पंचमेवा गुग्गल लोबान
जौ गाय का घी धूप
पान का पत्ता सुपारी, लौंग, इलायची कपूर
फल-मिठाई हवन कुंड, आम की लकड़ी उपले
लाल रंग का झण्डा दुर्गा चालीसा दुर्गा माँ की आरती

 

चैत्र नवरात्रि घटस्थापना और कलश विधि (Ghat Sthapna Kalash Sthapna Vidhi) 

– सबसे पहले घर की पूर्व या उत्तर दिशा में कोई स्वच्छ स्थान चुनें और वहाँ साफ-सफाई करें.

– उस स्थान को गंगाजल से पवित्र करें.

– अब उस जगह पर साफ मिट्टी बिछा दें और उसमें जौ छिड़के फिर मिट्टी की एक और परत डाल दें जिससे जौ मिट्टी में दब जाएँ और उन्हें अंकुरित होने का मौका मिले.

– अब एक कलश में गंगाजल, कावेरी, यमुना आदि पवित्र नदियों के जल को भरें और एक सिक्का डालें.

– कलश भरने के दौरान वरुण देव का ध्यान करें.

– कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बाँधें और कलश के मुख को मिट्टी की कटोरी से ढँक दे.

– कलश को गणपति का स्वरूप मानकर उसकी पूजा करें. 

– कलश का पूजन होने का मतलब है कि आपने गणपति की पूजा कर ली है.

– इसके बाद पूजन सामाग्री द्वारा आप माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें और उनकी पूजा करें.

– पूजा हो जाने पर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और उनकी आरती करें.

इस तरह आप घटस्थापना, कलश स्थापना और माँ दुर्गा की पूजा कर सकते हैं. 

इन राशि के जातकों को मिलेगा लाभ 

चैत्र नवरात्रि 2022 5 राशि के जातकों के जीवन में लाभप्रद रहने वाली है. इन जातकों के जीवन में कुछ शुभ संकेत देखने को मिल सकते हैं. 

1) मेष राशि के जातकों के जीवन में धन लाभ के योग बन सकते हैं, इस समय आर्थिक स्थिति बेहतर रहने की संभावना है. 

2) वृष राशि के जातकों के लिए भी ये समय काफी अच्छा रहने वाला है. यदि जातक कोई नया काम करना चाहते हैं तो इस दौरान कर सकते हैं.

3) सिंह राशि के वो जातक इस समय का लाभ उठा सकते हैं जो व्यापारी हैं. इन्हें इस समय अच्छा लाभ मिलने के आसार हैं.

4) तुला राशि के जातकों के लिए भी नवरात्रि का समय काफी अच्छा है. जो जातक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उन्हें ये समय बहुत लाभकारी साबित हो सकता है. 

5) मकर राशि के जातकों के लिए भी नवरात्रि का समय काफी अच्छा रहने वाला है. इस दौरान इनका आर्थिक पक्ष मजबूत रह सकता है. 

9 दिनों तक 9 माताओं की पूजा

नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री को पूजा जाता है. ये राजा हिमालय की पुत्री हैं.

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी को पूजा जाता है. इनहोने शिवजी को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी.

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियाँ समाहित है.

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा होती है. इनकी हंसी से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है.

नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा होती है. ये अपनी गोद में कुमार कार्तिकेय को लिए हुए हैं.

नवरात्रि के छठवे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है. इनका जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था. 

नवरात्रि के सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है. इनका स्वरूप देखने में प्रचंड हैं लेकिन ये सदैव शुभ फल देती हैं.

नवरात्रि के आठवे दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है. इनहोने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के कठिन तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. शिवजी ने प्रसन्न होकर इन्हें गौरवर्ण प्रदान किया था. 

नवरात्रि के नौवे दिन माँ सिद्धिरात्रि को पूजा जाता है. ये सिद्धियाँ प्रदान करती हैं इसलिए इन्हें सिद्धिरात्रि कहा जाता है. 

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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