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custody vs arrest

पुलिस और आपराधिक मामलों से संबंधित कोई खबर को पढ़ते या देखते समय हम दो शब्दों को अधिक सुनते हैं. पुलिस ने किसी व्यक्ति को हिरासत (Custody) में लिया या फिर पुलिस ने किसी व्यक्ति को गिरफ्तार (Arrest) किया.

आमतौर पर ये दोनों शब्द लगते एक जैसे हैं क्योंकि दोनों में ही पुलिस एक व्यक्ति को थाने ले जा रही है लेकिन दोनों के बीच काफी ज्यादा अंतर है. इसलिए ये समझना जरूरी है कि हिरासत और गिरफ़्तारी में क्या अंतर (Custody and Arrest Difference) होता है.

काफी सारे लोग हिरासत और गिरफ़्तारी को एक ही समझते हैं जबकि दोनों में काफी ज्यादा अंतर होता है. वैसे लोग ऐसा इसलिए भी समझते हैं क्योंकि दोनों ही केस में पुलिस किसी व्यक्ति को पकड़कर जेल या थाने ले जा रही है.

ऐसे में लोग ये मान लेते हैं कि उसे गिरफ्तार ही किया गया था. भले ही कुछ घंटों के भीतर उसे छोड़ दिया गया हो लेकिन लोगों को यही लगता है कि उसे गिरफ्तार किया गया था.

हिरासत क्या होती है? (What is Custody?)

कई बार खबरों में इस शब्द को आपने सुना और पढ़ा होगा कि फलाने व्यक्ति को पुलिस द्वारा हिरासत (Custody in Hindi) में लिया गया.

हिरासत एक कानूनी शब्द है जिसका अर्थ किसी व्यक्ति को पुलिस या अन्य सरकारी अधिकारियों द्वारा कानूनी प्रक्रिया के अधीन रखा जाना है.

किसी अपराध के होने पर पुलिस को कई व्यक्तियों पर शक हो सकता है. जब तक पुलिस के पास कोई ठोस सबूत न हो तो पुलिस उस व्यक्ति को वारंट जारी करके गिरफ्तार भी नहीं कर सकती. ऐसे में पुलिस शक के आधार पर किसी व्यक्ति को हिरासत में ले सकती है.

किसी व्यक्ति को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की जाती है. उसे कुछ घंटों के लिए थाने बुलाया जाता है. अगर पुलिस को लगता है कि उस व्यक्ति ने कुछ नहीं किया है तो उसे छोड़ दिया जाता है. लेकिन यदि वो अपना गुनाह स्वीकार कर लेता है तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है.

गिरफ्तार करने का क्या मतलब है? (What does arrest mean?)

किसी अपराध के हो जाने पर जब पुलिस को ये यकीन हो जाता है कि ये अपराध किस व्यक्ति द्वारा किया गया है तो पुलिस वारंट जारी करके उस व्यक्ति को गिरफ्तार (Arrest) करती है. ऐसा तभी संभव है जब उस व्यक्ति के खिलाफ पुलिस के पास ठोस सबूत हो. हालांकि कुछ मामलों में पुलिस शक के आधार पर भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है.

पुलिस जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार (Arrest) करती है तो उसे उसका कारण और वारंट बताना होता है साथ है उसे 24 घंटों के भीतर कोर्ट में पेश भी करना होता है. पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में लेकर भी गिरफ्तार कर सकती है.

अब आप समझ गए होंगे कि हिरासत और गिरफ़्तारी में क्या अंतर है? हिरासत का मतलब है शक के आधार पर जांच के लिए थाने ले जाना और गिरफ़्तारी का मतलब है आपको अपराध के शक में कोर्ट में पेश करने के लिए थाने ले जाना. हिरासत में आप कुछ घंटों के लिए थाने जाते हैं जबकि गिरफ़्तारी में कोर्ट के आदेश के अनुसार ही आप जेल से बाहर आ सकते हैं.

भारतीय कानून के अनुसार, पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए निम्नलिखित आधारों (Reason for Arrest) पर संदेह कर सकती है:
– व्यक्ति ने कोई अपराध किया है.
– व्यक्ति अपराध करने वाला होने का संदेह है.
– व्यक्ति अपराध करने वाला होने का आशंका है.
– गिरफ्तारी के बाद, पुलिस को व्यक्ति को अदालत में पेश करना होता है, जहां उसे आरोपों का सामना करना पड़ता है.

गिरफ्तार या हिरासत में लेने पर व्यक्ति के अधिकार (Rights of a person when arrested or detained)

किसी व्यक्ति को पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया जाता है या फिर गिरफ्तार कर लिया जात है तो उसके पास निम्नलिखित अधिकार होते हैं.

1) उस व्यक्ति को क्यों गिरफ्तार किया गया है व्यक्ति को ये जानने का अधिकार होता है. उसे पता होना चाहिए कि उसकी गिरफ़्तारी का क्या कारण है.
2) किसी व्यक्ति को यदि गिरफ्तार किया गया है तो उसे 24 घंटों के भीतर कोर्ट में पेश होने का अधिकार है.
3) गैर जमानती अपराध के लिए व्यक्ति को जमानत पाने का अधिकार है.
4) गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को कोर्ट में बिना भेदभाव के सुनवाई का अधिकार है.
5) व्यक्ति को अपना वकील रखने और अपना पक्ष रखने का अधिकार होता है.
6) व्यक्ति अपनी मेडिकल जांच करनाने की मांग कर सकता है. ये सभी अधिकार गिरफ़्तारी और हिरासत में लिए हुए व्यक्ति के पास होते हैं.

हिरासत और गिरफ़्तारी दोनों ही अलग-अलग शब्द है. इन्हें एक मानने की गलती न करें. कई बार लोग हिरासत में लिए हुए व्यक्ति को ये समझते हैं कि यही अपराधी है जबकि अपराधी वो तब होता है जब कोर्ट उसे अपराधी मान ले और सजा दे. एक बात और ध्यान रखें कि हिरासत में लिया हुआ व्यक्ति गिरफ्तार हो सकता है और गिरफ़्तारी के बाद आपको कारावास यानी जेल हो सकती है.

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