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hing ki kheti

दुनियाभर में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां हींग की खपत सबसे ज्यादा होती है और यहाँ हींग को दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है. (Hing ki Kheti) इसकी वजह ये है कि भारत की मिट्टी हींग की खेती के लिए अनुकूल नहीं है लेकिन फिर भी देश में काफी किसान ऐसे हैं जो हींग की खेती कर रहे हैं (Asafoetida Farming) और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

भारत के सभी राज्यों में हींग की खेती कर पाना संभव नहीं है लेकिन फिर भी देश के कुछ हिस्सों में हींग की खेती की जा रही है. यदि आप भी हींग की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपको जरूर जानना चाहिए कि हींग की खेती कैसे होती है?

हींग की खेती कहाँ होती है? (Where is asafoetida cultivated?)

हींग सोफ़ प्रजाति का एक ईरानी मूल का पौधा है. हींग का पौधा आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में फलता-फूलता है. इसकी खेती 20-30 डिग्री सेल्सियस वाले पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है.

भारत में जो हींग इस्तेमाल किया जाता है वो ईरान, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से आता है. भारत में अफगानिस्तान से आने वाले हींग की डिमांड काफी ज्यादा है.

भारत के हर राज्य में Hing ki kheti नहीं होती है. वर्तमान में भारत में हींग की खेती हिमालय के क्षेत्र और लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में अधिक हो रही है. ये खेती CSIR और Institute of Himalayan Bioresource Technology के सहयोग से साल 2016 से की जा रही है.

हींग की खेती कैसे करें? (How to cultivate asafoetida?)

हींग की खेती के लिए रेतीली मिट्टी, पहाड़ी मिट्टी में की जाती है जहां पानी किसी भी तरह से रुक न सकें. अगर आप अलग से मिट्टी में 40 प्रतिशत तक रेट को मिला लें तो हींग का विकास किया जा सकता है.

हींग की खेती करने के लिए नए किसानों को थोड़ा संघर्ष करना पड़ेगा. (Hing ki kheti kaise kare?) इसके बीज आपको सरकार की आज्ञा पर ही मिल सकते हैं. अगर आप हींग की खेती करना चाहते हैं तो आपको नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट एंड जेनेटिक विभाग से संपर्क करना होगा.

हींग कैसे बनती है? (How is asafoetida made?)

हींग का उत्पादन हींग फेरुला एसाफ़ोइटीडा के पौधे से होता है. (Hing kaise banti hai?) इस पौधे की जड़ों से एक रस का रिसाव होता है जिसे इकट्ठा किया जाता है. इसे कच्ची हींग कहा जाता है.

जड़ों से जो रस निकलता है उसकी गंध काफी तीखी होती है और वो खाने योग्य नहीं मानी जाती है. इसमें खाने लायक गोंद और स्टार्च को मिलाकर इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तैयार किया जाता है.

हींग में किन चीजों को डालकर प्रोसेस किया जा रहा है इसी के आधार पर हींग की कीमत तैयार होती है. हींग के प्रोसेस होने के बाद ही इसे बाजार में बेचा जाता है.

भारत में जो हींग आयात किया जाता है वो कच्चा हींग होता है. कंपनियों द्वारा उसे प्रोसेस करके, उसकी पैकिंग करके मार्केट में अपना लेबल लगाकर बेचा जाता है.

हींग कहाँ बेचें? (Where to sell asafoetida?)

कच्चे हींग को आप किसी भी अच्छे हींग डीलर या कंपनी को सीधे तौर पर बेच सकते हैं. लेकिन यदि आप उसे प्रोसेस कर पाते हैं तो आप इसे अपने खुद के प्रोडक्शन के तहत बेच सकते हैं.

हींग बेचने के लिए भारत काफी बड़ा मार्केट है (Hing ki kheti) और इसमें अभी भी हींग के लिए काफी संभावना है. हींग के मार्केट में कोई बड़े दिग्गज भी नहीं है इसलिए हींग से कमाई करने के लिए भारत काफी अनुकूल जगह है.

भारत में हींग की कीमत इतनी ज्यादा क्यों है?

भारत में यदि हींग की कीमत की बात करें तो 10 ग्राम वाले हींग के पैकेट की कीमत 70 रुपये से 100 रुपये के बीच होती है. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में हींग की कीमत कितनी ज्यादा है.

भारत में हींग की कीमत (Hing price in India) ज्यादा होने का कारण ये है कि इसे तैयार करने में काफी समय और मेहनत लगती है. आमतौर पर हींग का पौधा लगाने के बाद चार से पाँच साल बाद ही पौधा वास्तविक उपज दे पाता है. शुरुआत के चार साल में आपको एक पौधे से करीब आधा किलो हींग ही प्राप्त होती है. इसलिए हींग की कीमत काफी ज्यादा होती है.

भारत में हींग का उत्पादन अब धीरे-धीरे होने लगा है और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट इस पर काफी काम भी कर रहे हैं. अगर वे इसमें सफल हो जाते हैं तो हो सकता है भारत में हींग की कीमतों में कमी आए और भारत को हींग के लिए दूसरे देशों पर निर्भर न रहना पड़े.

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