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Cheap loan : लोन कैसे सस्ता होता है, रेपो रेट रिवर्स रेपो रेट क्या है?

भारत में हर दो महीने में खबरों में आप ये सुनते होंगे की लोन सस्ते (cheapest loan) होंगे या महंगे होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोन कैसे सस्ते और महंगे होते है? (how loan cheap and costly) दरअसल लोन तो हम सभी कभी न कभी लेते ही हैं लेकिन ये नहीं जानते की बैंक से लिए जाने वाला लोन कब और कैसे सस्ता और महंगा हो जाता है. अगर आप लोन लेते हैं तो आपको ये बात पता होनी चाहिए की लोन कब सस्ता होता है और कैसे सस्ता होता है. लोन सस्ता होने का अपना पूरा प्रोसेस है जिसे समझने के लिए आपको कुछ बैंकिंग टर्म को समझना पड़ेगा.

आरबीआई मौद्रिक नीति (RBI monetary policy)

भारत में हर दो महीने में ये खबर आती है के लोन सस्ता होने वाला है या महंगा होने वाला है. ये खबर तब आती है जब आरबीआई मौद्रिक नीति (RBI monetary policy) जारी करती है. आरबीआई यानि भारत का केन्द्रीय बैंक हर दो महीने में मौद्रिक नीति की समीक्षा करती है. इस मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद ही सभी लोन सस्ते या महंगे किए जाते हैं.

मौद्रिक नीति में हर दो महीने में रेपों रेट, रिवर्स रेपों रेट, सीआरआर तय किए जाते हैं जिनके कारण बैंक से मिलने वाला लोन सस्ता या महंगा होता है. हर दो महीने में इन्हें इसलिए भी तय किया जाता है ताकि देश में मुद्रा प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके इसके साथ ही महंगाई पर लगाम लगाई जा सके.

लोन कैसे सस्ता होता है? (Loan cheap process)

हम जो लोन लेते हैं वो हम सामान्य बैंक से लेते हैं जैसे एसबीआई, पीएनबी, एचडीएफ़सी आदि. इनमें जो ब्याज दर हमे बताया जाता है उसी पर हमें लोन लेना पड़ता है. अब आप जो बैंक से लोन लेते हैं वो बैंक भी लोन लेती है आपको लोन देने के लिए. बैंक जो लोन लेती है वो आरबीआई से लेती है और बैंक को भी आरबीआई को ब्याज चुकाना पड़ता है. आरबीआई जब ब्याज दर बढ़ा देता है तो आपको ज्यादा दर पर यानि महंगा लोन मिलता है और ब्याज दर कम हो जाती है तो लोन सस्ता हो जाता है.

रेपो रेट क्या होती है? (What is repo rate?)

रेपो रेट (repo rate) वह रेट होता है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है. जिस तरह आप बैंक से लोन लेते हैं ब्याज पर ठीक उसी तरह आरबीआई सभी बैंकों को लोन देता है और वो जिस ब्याज दर पर देता है उसे रेपो रेट कहते हैं. जब रेपो रेट कम होता है तो लोन सस्ता हो जाता है और जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ा दिया जाता है तो लोन महंगा हो जाता है.

रिवर्स रेपो रेट क्या होती है? (What is reverse repo rate?)

जिस तरह आप बैंक के पास पैसा जमा करते हैं और बैंक आपको उस पर ब्याज देता है ठीक उसी तरह बैंक भी अपना पैसा आरबीआई के पास जमा करता है और आरबीआई उस पर ब्याज देती है. इस ब्याज दर को रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) कहते हैं. रिवर्स रेपो रेट का काम बाजार में कैशफ़्लो को नियंत्रित करना है. जब भी कैशफ़्लो ज्यादा हो जाता है तो रिवर्स रेपों रेट बढ़ा दिया जाता है ताकि बैंक अपने पास का पैसा ब्याज कमाने के लिए आरबीआई के पास जमा कर दे.

इस तरह बैंक के लोन हर दो महीने में सस्ते और महंगे हो जाते हैं. लेकिन ये जरूरी नहीं की बैंक लोन हर महीने सस्ते या महंगे हो. कुछ मॉनीटरी पॉलिसी में ये सारे रेट को स्थिर भी रखा जाता है. ये सब मार्केट में मनी फ्लो को देखते हुए किया जाता है.

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