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चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के बारे में तो आप हर साल सुनते होंगे और देखते भी होंगे लेकिन क्या आप वास्तव में जानते हैं चंद्र ग्रहण क्या होता है? (What is Lunar Eclipse?) सूतक काल क्या होता है? सूतक कब से शुरू होता है? इस तरह के सभी सवालों के जवाब आपको यहाँ मिलने वाले हैं. 

चंद्र ग्रहण क्या होता है? (Lunar Eclipse 2022)

चंद्र ग्रहण हर साल आता है और काफी सारे लोगों को इससे डर भी लगता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा की रात को राहू और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं जिस वजह से चंद्र ग्रहण लगता है. 

ऐसा भी माना जाता है कि इस रात नकारात्मक शक्तियां अपने चरम पर रहती हैं. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार चंद्र देव पर कोई संकट न आए इसलिए ग्रहण के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते. पूजा-पाठ तथा समस्त शुभ कार्य इस दौरान नहीं किए जाते हैं. 

दूसरी ओर विज्ञान चंद्र ग्रहण को एक खगोलीय घटना मानता है. चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच होती है. ये आमतौर पर पूर्णिमा की रात ही होता है, क्योंकि इस रात को ही ये एक रेखा में हो सकते हैं. 

जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य से आने वाला प्रकाश सीधे पृथ्वी पर आता है और पृथ्वी की परछाई चंद्रमा पर पड़ती है, जिस वजह से चंद्रमा का प्रकाश ढँक जाता है और हमें चंद्र ग्रहण दिखाई देता है.  

चंद्र ग्रहण के प्रकार (Lunar Eclipse Types)

चंद्र ग्रहण सिर्फ एक ही प्रकार का नहीं होता बल्कि चार प्रकार का होता है.         

1) पूर्ण चंद्र ग्रहण 

पूर्ण चंद्र ग्रहण उस स्थिति को कहते हैं जब सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा बिल्कुल सीधी रेखा में हो. इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक बिल्कुल भी नहीं पहुँच पाता है. ये मान के चलिए कि कुछ घंटों के लिए चाँद पूरा ढँक जाता है. इस दौरान चाँद आपको लाल रंग का दिखाई देता है.  इस घटना को पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है. 

2) अर्ध चंद्र ग्रहण 

जब चंद्र ग्रहण आधा दिखाई देता है या उसका थोड़ा बहुत हिस्सा ढँक जाता है तो अर्ध चंद्र ग्रहण कहलाता है. ऐसा तब होता है जब सूर्य पृथ्वी की सीध से थोड़ा आगे पीछे हो. ऐसी स्थिति में पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्रमा को नहीं ढँक पाती और चंद्रमा का कुछ हिस्सा आपको दिखाई देता है. इसे ही अर्ध चंद्र ग्रहण कहते हैं. 

3) उपछाया चंद्र ग्रहण 

ये ऐसा चंद्र ग्रहण होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की सीध में नहीं बल्कि थोड़ा सा दायें या बाएं होता है. ऐसे में चंद्रमा पर पृथ्वी की परछाई तो नहीं पड़ती लेकिन सूर्य सूर्य का प्रकाश पृथ्वी से परावर्तित होकर चंद्रमा पर पड़ता है. इस घटना को उपछाया चंद्र ग्रहण या Penumbra Lunar Eclipse कहा जाता है.  

सूतक काल क्या है? (Sutak Kaal Kya hai?)

जब भी कोई ग्रहण लगता है तो सूतक काल शुरू हो जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. सूतक काल ग्रहण शुरू होने के कुछ घंटे पहले से शुरू होता है. जैसे सूर्य ग्रहण शुरू होने के 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण के 9-10 घंटे पहले. 

सूतक काल से तात्पर्य एक ऐसे समय से होता है जो काफी संवेदनशील होता है.  ये ऐसा समय होता है जब पृथ्वी पर प्रकृति संवेदनशील स्थिति में होती है. इस दौरान कोई भी सुबह कार्य नहीं किया जाता है. यहाँ तक कि भगवान को स्पर्श भी नहीं किया जाता है.  

सूतक काल में क्या न करें? 

सूतक काल में कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है जिसे आपको ध्यान रखना चाहिए. 

– इस दौरान आपको पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार तो इस दौरान भगवान की प्रतिमा को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए.  

– इस दौरान गर्भवती महिला को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए. उसे ग्रहण में बाहर नहीं निकालना चाहिए. 

– सूतक के दौरान आपको भोजन नहीं बनाना चाहिए और भोजन ग्रहण भी नहीं करना चाहिए. 

– इस दौरान तुलसी के पौधे को छूना चाहिए.  

इस वर्ष का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को लगने वाला है. इस दिन कार्तिक पूर्णिमा का पावन दिन भी है. सूतक काल का प्रारंभ सुबह 9 बजकर 21 मिनट से होगा. 

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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