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dhanteras ki katha

दिवाली के पहले धनतेरस मनाई जाती है और धनतेरस एक महत्वपूर्ण त्योहार है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन से ही दिवाली की शुरुआत हो जाती है. लेकिन दिवाली के पहले आने वाली त्रयोदशी को धनतेरस के रूप में क्यों मनाया जाता है ये काफी लोग नहीं जानते हैं. 

धनतेरस क्यों मनाई जाती है? (Why Dhanteras Celebrate?) 

अगर आपसे पूछा जाए कि इस दुनिया में एक इंसान के लिए सबसे कीमती चीज क्या है? या उसके लिए सबसे बड़ा धन क्या है? 

भारतीय संस्कृति में कहा जाता है कि पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया. मतलब इंसान के लिए सबसे बड़ा धन उसका स्वास्थ है, वहीं दूसरे स्थान पर धन है. मनुष्य के जीवन में सबसे कीमती चीज उसका स्वास्थ होता है. 

अगर मनुष्य स्वस्थ है तो वो दुनिया में कितना भी धन कमा सकता है, वहीं यदि उसका स्वस्थ ठीक नहीं है तो उसके पास रखा हुआ धन भी चला जाता है. इसलिए दुनिया में सबसे कीमती चीज स्वस्थ है. 

धनतेरस का त्योहार मनाने के पीछे जो प्रमुख कारण है वो ये है की समुद्र मंथन के समय त्रयोदशी के दिन भगवान विष्णु के अंशावतार के रूप में धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक कहा जाता है. संसार में चिकित्सा विज्ञान के जनक भगवान धन्वंतरि ही हैं. 

भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उत्सव के रूप में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन आयुर्वेद से जुड़े लोग तथा डॉक्टर भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं.  

धनतेरस की पौराणिक कथा (Dhanteras Story in Hindi) 

धनतेरस की कथा के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान विष्णु ने देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आँख फोड़ दी थी.

इस कथा के अनुसार एक समय पर राजा बलि इतने ताकतवर हो गए थे कि वे देवताओं को भयभीत करने लगे थे. देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्त करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुँच गए. 

शुक्राचार्य ने वामन रूप में भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से कहा कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इनकार कर देना. वामन बनकर भगवान विष्णु तुमसे सबकुछ छीनने आए हैं. लेकिन राजा बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी. 

वामन अवतार में भगवान विष्णु राजा बलि के पास गए और उनसे तीन पग भूमि देने के लिए कहा. भूमि दान देने का संकल्प लेने के लिए वामन अवतार भगवान विष्णु जल से कमंडल लेकर संकल्प लेने लगे, लेकिन शुक्राचार्य उनके कमंडल में लघु रूप में चले गए और जल आने का मार्ग अवरुद्ध कर दिया. 

इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने हाथ में रखी हुई कुशा को कमंडल में ऐसा डाला की शुक्राचार्य की आँख फूट गई. शुक्राचार्य छटपटा कर कमंडल से बाहर गिर गए. इसके बाद राजा बलि ने तीन पग भूमि देने का संकल्प लिया. 

तब वामन अवतार में भगवान विष्णु ने एक पग में पूरी जमीन नाप दी और दूसरे पग में पूरा आकाश, तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा, तब राजा बलि ने अपना सिर वामन के चरणों में रख दिया. इस तरह राजा बलि अपना सब कुछ गंवा बैठे. 

इस तरह भगवान विष्णु ने राजा बलि के भय से देवताओं को मुक्ति दिलाई. देवताओं से जो भी धन संपत्ति छीन ली थी वो उन्हें वापस कर दी. इससे देवताओं की संपत्ति बढ़ गई. इसी उपलक्ष्य में धनतेरस का त्योहार भी मनाया जाता है. 

धनतेरस के दिन आपको भी भगवान धन्वंतरि की पूजा करनी चाहिए और उनसे अपने अच्छे स्वास्थ की कामना करनी चाहिए. क्योंकि एक मनुष्य के लिए उसकी सबसे बड़ी संपत्ति धन नहीं बल्कि उसका स्वास्थ है.  

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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